छत्तीसगढ़

प्रशासन ने हाईकोर्ट के अवमानना नोटिस को किया नजरअंदाज, पीड़ित किसान ने आत्महत्या करने की दी धमकी

गलत तरीके से किसान की जमीन को अरपा भैंसाझार के लिए किया गया अधिग्रहण

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बिलासपुर | प्रशासन द्वारा पहले किसान की जमीन को गलत तरीके से अरपा भैंसाझार के लिए अधिग्रहण किया गया | फिर हाईकोर्ट की अवमानना नोटिस का भी जवाब ना देकर उसे नजरअंदाज किया गया | जिस से पीड़ित किसान ने कभी एसडीएम कभी कलेक्टर के आगे पीछे अपने चप्पल घिसे उसके बाद भी किसान को किसी भी प्रकार का न्याय नहीं मिला |

जलसंसाधन और कोटा प्रशासन की दादागिरी से परेशान होकर किसान दर दर भटकने को परेशान है | नये न मिलने से परेशान होकर पीड़ित किसान केशव दुबे ने आत्महत्या का मन बना लिया है |

केशव दुबे ने बताया कि वह सैदा गांव पटवारी हल्का 41 का रहने वाला है। गांव में ही उसकी खसरा नम्बर 85/9 और 83/9 को मिलाकर कुल तीन एकड़ से अधिक जमीन है। लेकिन कोटा एसडीएम प्रशासन ने बिना अनुमति से खेत से नहर निकालने की कार्रवाई शुरू हो गयी है।

केशव ने बताया कि नहर खुदाई से पहले ना तो अधिग्रहण का प्रकाशन किया गया। ना ही किसी प्रकार की व्यक्तिगत अधीग्रहण की जानकारी ही दी गयी। बावजूद इसके पटवारी,एसडीएम की अनुमति से उसकी जमीन से नहर निर्माण का काम शुरू हो गया है।

केशव के अनुसार अरपा भैंसाझार नहर निर्माण के लिए अधिग्रहण प्रकाशन में उसकी जमीन का जिक्र नहीं है। लेकिन जिस खेत का जिक्र है उससे नहर नहीं निकाला जा रहा है। जबकि उस जमीन के किसान को शासन ने मुआवाजा भी दे दिया है।

बावजूद इसके उस जमीन को छोड़कर मेरी जमीन से नहर निकाला जा रहा है। जिस जमीन का मुआवजा दिया गया उस पर संबधित व्यक्ति का ना केवल कब्जा है..बल्कि फसल भी ले रहा है। शिकायत के बाद भी प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया। बल्कि डरा-धमकाकर उसके ही खेत से नहर निर्माण का कार्य शुरू कर दिया है।

केशव दुबे के वकील ने बताया कि पीड़ित व्यक्ति की तरह से मामले को हाईकोर्ट के सामने लाया गया। जस्टिस संजय के.अग्रवाल की कोर्ट ने 2 फरवरी 2018 को खेत और निर्माण के लिए भौतिक सत्यापन का आदेश दिया। इसके बाद ही नहर निर्माण किए जाने की बात कही।

बावजूद इसके स्थानीय कोटा प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश को दरकिनार कर ना तो भौतिक सत्यापन किया और ना ही हाईकोर्ट को रिपोर्ट देना मुनासिब समझा। केशव दुबे के वकील ने बताया कि स्थानीय प्रशासन के खिलाफ केशव दुबे की तरफ से कोर्ट आफ कन्टेम्पट की याचिका पेश किया गया।

लेकिन स्थानीय कोटा प्रशासन ने कन्टेम्प्ट आदेश को गंभीरता से नहीं लिया। अब तो स्थानीय प्रशासन के आदेश पर अरपा भैंसाझार परियोजना के लिए केशव दुबे की जमीन से नहर निर्माण का काम भी शुरू हो गया है।

वकील के अनुसार काम को रूकवाने और कन्टेम्प्ट आदेश के पालन के लिए कलेक्टर प्रशासन के सामने 12 और 30 जुलाई को अलग अलग आवेदन दिया गया। लेकिन शिकायत को जिला प्रशासन ने भी गंभीरता से नहीं लिया। जिसके चलते गरीब किसान परिवार पर सामने मुसीबत का पहाड़ गिर गया है।

सैदा निवासी किसान केशव दुबे के वकील ने बताया कि यदि जिला प्रशासन से न्याय नहीं मिला तो दुबारा कोर्ट जाएंगे। बलात तरीके से अधिग्रहित की गयी जमीन पर निर्माण कार्य रोकने की मांग करेंगे। वकील के अनुसार जलसंसाधन विभाग के अधिकारी स्थानीय कोटा प्रशासन की मिली भगत से किसान की जमीन को बलात तरीके से हड़पा है।

जबकि जिस जमीन से नहर को निकाला जाना था ..उसके मालिक को मुआवाजा देने के साथ जमीन को वापस कर दिया गया है। इससे जाहिर होता है कि उस दबंंग किसान और स्थानीय प्रशासन के अलावा जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों के बीच मिलीभगत है।

पीडित किसान केशव दुबे ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर अमल के लिए जब भी स्थानीय प्रशासन से सम्पर्क का प्रयास किया गया तो उसे जान से मारने की धमकी मिली। दबंग किसान स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों ने दो टूक कहा कि जो कुछ करना है कर ले लेकिन नहर उसकी ही जमीन से निकलेगी।

शिकायत के बाद प्रशासन ने सुनवाई की तारीख 7 नवम्बर 2019 का दिया है। क्योंकि सबको मालूम है कि इस दौरान नगर का निर्माण हो जाएगा।

केशव ने बताया कि उसका प्रशासन के अधिकारियों और न्याय से विश्वास उठ गया है। हाईकोर्ट के कन्टेम्पट आदेश का भी डर अधिकारियों में नहीं है। समझ में नहीं आ रहा है कि अब कहां जाएं।

जबकि जल संसाधन अधिकारी और स्थानीय प्रशासन के साथ लोगों को अच्छी तरह से मालूम है कि प्रकाशन के समय उसकी जमीन का जिक्र नहीं था। जाहिर सी बात है कि उसे मुआवजा भी नहीं मिला। जिसे मुआवाजा मिला उसकी जमीन सुरक्षित है। मेरी जमीन से नहर निकाला जा रहा है।

करूंगा आत्महत्या

यदि हाईकोर्ट और जिला प्रशासन से न्याय नहीं मिला तो वह आत्महत्या कर लेगा। इसके लिए कोटा प्रशासन के साथ जिला प्रशासन और जलसंसाधन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी जिम्मेदार होंगे।

 
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