August 7, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
रोजगार सहायक को किया गया पद से पृथकहर घर तिरंगा अभियान : बिहान की दीदियां देश सेवा में जुटीं, डेढ़ लाख तिरंगा बनाने का मिला ऑर्डरअवैध रेत भंडारण एवं परिवहन पर कड़ी कार्रवाईश्री रामलला दर्शन अयोध्या धाम योजना से बुजुर्गों को तीर्थयात्रा का मिल रहा सौभाग्यस्वतंत्रता का उत्सव, स्वच्छता के संग थीम के पर जनपद पंचायत डोंगरगांव में निकाली गई तिरंगा रैलीकस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय पेंदाकोड़ो में पार्ट टाइम टीचर पदों पर भर्ती“एक पेड़ – छत्तीसगढ़ महतारी के नाम” कोरबा में आज होगा बृहद वृक्षारोपण कार्यक्रमपीएम आवास निर्माण में लापरवाही: रोजगार सहायक बर्खास्तBSNL की 5G सेवाओं में हो रही देरी पर सांसद बृजमोहन ने उठाया सवालगुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी पर्व पर रायपुर से विशेष ट्रेन की चलाने की मांग
Uncategorized

प्रदेश के नौ लोगों ने 10 दिनों में पूरी की एवरेस्ट के बेस कैंप की 5364 मीटर की चढ़ाई

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

 छत्तीसगढ़ के ब्लेड रनर “हाफ ह्यूमन रोबो” के नाम से पहचान रखने वाले चित्रसेन साहू ने अपने आठ साथियों के साथ एवरेस्ट फतह किया है। मिशन “अपने पैरों पर खड़े हैं” के तहत बैसाखी और कृत्रिम पैर के सहारे एवरेस्ट बेस कैंप 5364 मीटर तक की चढ़ाई चढ़ी। महज 10 दिन में चित्रसेन साहू और उनके आठ साथी चंचल सोनी, रजनी जोशी, अनवर अली, निक्की बजाज, गुंजन सिन्हा, पेमेंद्र चंद्राकर, रघुवेंद्र चंद्राकर और आशुतोष पांडे ने ये कारनामा किया है। एवरेस्ट के इस मिशन में अलग-अलग प्रकार के विकलांगता, जेंडर, उम्र और कम्युनिटी के लोगों ने ट्रैकिंग की है।

एवरेस्ट बेस कैंप में पहुंचने के बाद सभी प्रतिभागियों में उत्साह की लहर नजर आई। “अपने पैरों पर खड़े हैं” मिशन के तहत यह प्रोग्राम आयोजित किया गया था। इस प्रोग्राम का मकसद लोगों में सशक्तिकरण और जागरूकता फैलाना है। जन्म से या किसी दुर्घटना के बाद अपने किसी शरीर के हिस्से को गंवा बैठते हैं, उन्हें सामाजिक स्वीकृति दिलाना, उन्हें समानता प्राप्त हो ना कि किसी असमानता के शिकार हो।

चित्रसेन साहू ने अपने प्रतिभागियों को मोटिवेट करते हुए कहा कि शरीर के किसी अंग का ना होना कोई शर्म की बात नहीं है, ना यह हमारी सफलता के आड़े आता है। जरूरत है तो अपने अंदर की झिझक को खत्म कर आगे बढ़ते रहने की। हम किसी से कम नहीं, ना ही हम अलग हैं तो बर्ताव में फर्क क्यों, हमें दया की नहीं सबके साथ की जरूरत है। एक समान जिंदगी जीने का हक सबको है

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close