
कोरबा मेडिकल कॉलेज में एक बार फिर भ्रष्टाचार की कहानी हर वार्ड की दीवारों पर लिखी जा सकती है। गर्मी के मौसम में मरीजों को पसीने में तड़पाकर, मरम्मत का बहाना, फिर लाखों के बिल पास — और महज 6 महीने बाद वही सामान फिर से खरीदी कर लेना — ये सब किसी सामान्य लापरवाही का नतीजा नहीं, बल्कि सोची-समझी प्लानिंग थी।
इस पूरे खेल के किंगपिन हैं एमएस डॉ. गोपाल कंवर, जिनकी सेटिंग में स्टोरकीपर मनीष सिंह ने तारीख, टेंडर, एक्सटेंशन, बिल पासिंग और खरीद फाइनल करने में पूरी व्यवस्था संभाली। एक ऐसे फर्म से जिसके पास आज तक GST के जगह उसके बिल में टिन नंबर दर्ज है। उस नामदेव ब्रदर्स ने 6 अलग-अलग बिल लगाकर लाखों का वारा न्यारा लर दिया। देखिए बिलिंग ब्यौरा…
मरम्मत का खेल (25 जून से 5 जुलाई 2024 तक)
तारीख | सामान | संख्या | दर (₹) | कुल (₹) |
---|---|---|---|---|
25 जून 2024 | सीलिंग फैन | 04 | 600 | 2400 |
सिम्फनी कूलर मोटर | 09 | 2500 | 22500 | |
1 जुलाई 2024 | सीलिंग फैन | 30 | 600 | 18000 |
सिम्फनी कूलर मोटर | 02 | 2500 | 5000 | |
विंडो कूलर (खस) | 30 | 300 | 9000 | |
स्टैंड फैन | 05 | 1000 | 5000 | |
4 जुलाई 2024 | स्टैंड फैन | 10 | 1000 | 10000 |
एग्जॉस्ट फैन | 16 | 600 | 9600 | |
5 जुलाई 2024 | सीलिंग फैन | 10 | 600 | 6000 |
सिम्फनी कूलर मोटर | 07 | 2500 | 17500 | |
कुल मरम्मत बिल | ₹1,51,500 |

जनवरी-फरवरी 2025 में दोबारा वही सामान नवीन खरीदी कर लिया गया। ग्लोबल इंटरप्राइजेज और ग्लोबल सर्विसेस के नाम से छोटी-छोटी बिलिंग कर 3 लाख की सीमा तोड़े बिना सैकड़ों बिल पास कर दिए।
सवाल — जब जुलाई में मरम्मत कराई थी, तो फिर 6 महीने बाद खरीदी क्यों? या मरम्मत में फर्जी बिलिंग कर रकम हड़पी गई?
3 इलेक्ट्रिशियन अस्पताल में, फिर भी ठेका क्यों ?
अस्पताल में तैनात 3-3 इलेक्ट्रिशियन की ड्यूटी मरीजों को राहत देने की थी, लेकिन उन्हें बिठाकर रखा गया और सारा काम बाहर के नामदेव ब्रदर्स से कराया गया। फिक्स रेट पर मरम्मत दिखाकर लाखों उड़ाए। वही सामान फिर खरीदा गया।
स्टोरकीपर मनीष सिंह का खेल
स्टोरकीपर मनीष सिंह, जिसकी जिम्मेदारी रहती है टेंडर की अवधि, एक्सटेंशन, समय पर टेंडर कॉल — सब कुछ देखना। लेकिन यह अपने काम मे इतने मशगूल रहते है या फिर एमएस के इशारे के इंतजार में पूरे सेटिंग के तहत टेंडर खत्म होने के बाद एक्सटेंशन के लिए एमएस को पत्र लिखा। Gem पोर्टल पर L-1 से चहेते वेंडर को काम दिलाया। रेट में हेराफेरी कर फर्जी खरीददारी कराई। मरम्मत का बिल भी उन्हीं के जरिए पास हुआ।
पुराने खेल भी इसी फार्मेट में
फरवरी 2025 में ग्लोबल इंटरप्राइजेज व ग्लोबल सर्विसेस के नाम से लाखों के बिल पास। Gem पोर्टल पर रेट फिल्टर कर, मार्केट रेट से दुगुना सामान खरीदा गया।
उदाहरण — 3200 में 15 सीलिंग फैन, 2650 में उसी दिन 60 पंखे, 5250 में एग्जॉस्ट फैन। जबकि यही सामान मार्केट में आधे से भी कम कीमत में मिल रहे थे।
असली सूत्रधार
- एमएस डॉ. गोपाल कंवर — पूरे खेल का मास्टरमाइंड
- स्टोरकीपर मनीष सिंह — टेंडर, एक्सटेंशन और बिल पासिंग का जिम्मेदार
- डॉ. राकेश वर्मा — खरीदी फाइल पर दस्तखत कराने का सूत्रधार
अगली कड़ी में
एमएस के हेराफेरी का सबूत सहित और एक नया खुलासा जिसमे आपको बताएंगे कि कैसे फर्नीचर रिपेयरिंग में हुआ है घोटाला। बने रहिए
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