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कोरबा के कलेक्टर अजीत वसंत बने लोगों की उम्मीदों के प्रतीक — गांव-गांव जाकर सुन रहे जनता की आवाज, सुधार रहे सिस्टम की बारीकियाँ…

स्कूल-आंगनबाड़ी से लेकर स्वास्थ्य केंद्र तक हर व्यवस्था का किया बारीकी से निरीक्षण; लापरवाही पर नोटिस, सुधार पर प्रशंसा… ग्रामीण बोले — “सरकार पहुंचिस हमर दुवार”

कोरबा।
जब कोई प्रशासनिक अधिकारी जनता के बीच उतरकर उनकी समस्याएँ नजदीक से समझता है, तो शासन की योजनाएँ सिर्फ कागजों में नहीं, ज़मीनी हकीकत में दिखने लगती हैं।

ऐसे ही कोरबा जिले में प्रशासनिक कार्यशैली इन दिनों बिल्कुल बदली-बदली दिख रही है। वजह हैं—कलेक्टर अजीत वसंत, जिन्होंने दफ्तर की कुर्सी से बाहर निकलकर सीधा जनता के बीच जाकर काम करने की नई परंपरा शुरू की है। गढ़ उपरोड़ा, कदमझेरिया और कोराई के दौरे में उन्होंने न केवल स्कूल, आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य केंद्रों की वास्तविक स्थिति देखी, बल्कि ग्रामीणों से सीधे संवाद कर समस्याओं का तत्काल समाधान भी सुनिश्चित किया।

अपने हालिया दौरे में उन्होंने गढ़ उपरोड़ा, कदमझेरिया और कोराई गाँवों का निरीक्षण किया। कहीं बच्चों से बातचीत की, तो कहीं स्कूल की व्यवस्था पर बारीकी से नजर डाली। गैस सिलेंडर से मिड-डे मील नहीं बनता देखकर उन्होंने नाराजगी जताई और लापरवाह शिक्षकों पर कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। वहीं, बेहतर काम करने वाले शिक्षकों की प्रशंसा कर उन्हें आगे और प्रेरित किया।

कलेक्टर अजीत वसंत ने गढ़ उपरोड़ा, कदमझेरिया और कोराई पहुँचकर स्कूलों में विद्यार्थियों की उपस्थिति, गैस सिलेंडर से मिड-डे मील, नाश्ता वितरण, स्वच्छता, शिक्षकों की मौजूदगी और पढ़ाई के माहौल की समीक्षा की। निरीक्षण के दौरान जहाँ लापरवाही दिखी, वहाँ उन्होंने सख्ती दिखाई। गढ़ उपरोड़ा प्रायमरी और मिडिल स्कूल में कम उपस्थिति और गैस सिलेंडर का उपयोग न पाए जाने पर प्रधान पाठकों केशव प्रसाद उरांव और विक्टर लकड़ा को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। संकुल समन्वयक को भी मूल शाला में वापस भेजा गया।

वहीं, कोराई प्राथमिक शाला में गैस सिलेंडर के सही उपयोग, समय पर नाश्ता वितरण और बेहतर शैक्षणिक माहौल देखकर कलेक्टर ने शिक्षकों की खुले दिल से सराहना की।

जनसेवा को सर्वोच्च प्राथमिकता
कलेक्टर श्री वसंत ने उपस्वास्थ्य केंद्र में जाकर दवा वितरण, टीकाकरण और साफ-सफाई की स्थिति का निरीक्षण किया। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया जाए और मरीजों को समय पर उपचार मिले। इसके साथ ही उन्होंने आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने को कहा।

गाँव की आवाज़ को प्राथमिकता
कदमझेरिया में ग्रामीणों ने जब बताया कि राशन दुकान 7 किलोमीटर दूर है, तो कलेक्टर ने तुरंत समाधान करते हुए निर्देश दिए — “अगले महीने से गाँव में ही खाद्यान्न वितरण की व्यवस्था हो।” यह सिर्फ आदेश नहीं था, बल्कि ग्रामीणों के लिए राहत की सांस थी।

जनता के बीच जाकर प्रशासन की नई परिभाषा
ग्राम गढ़ उपरोड़ा में प्रधानमंत्री आवास और जनमन आवास निर्माण कार्य का निरीक्षण करते हुए उन्होंने हितग्राहियों के घर जाकर खुद प्रगति देखी। उन्होंने महिलाओं से सीधे संवाद कर महतारी वंदन योजना, आयुष्मान कार्ड और राशन कार्ड के लाभों की जानकारी ली। ग्रामीण महिलाओं ने भी बताया कि उन्हें योजनाओं का लाभ समय पर मिल रहा है — यह विश्वास का प्रतीक था कि सरकार सच में “हमर दुवार” तक पहुँच रही है।

जनता की जुबान पर अब एक ही नाम — अजीत वसंत
कोरबा के गाँवों में अब लोग कहते हैं —
“ये कलेक्टर डेस्क पे नहीं, दिल में काम करथे।”
गाँव-गाँव पहुँचकर सिस्टम की खामियों को ठीक करने और जनता से सीधी बातचीत करने की कलेक्टर अजीत वसंत की शैली ने कोरबा में प्रशासन की नई पहचान बना दी है। यही कारण है कि ग्रामीण अब कहते हैं—
“ये कलेक्टर नहीं, हमर गाँव के आदमी लगथे… सरकार सच में हमर दुवार पहुंचत हे।”

कहा जा सकता है — कोरबा को मिला ऐसा कलेक्टर, जो सच में जनता का सेवक बनकर काम कर रहा है, और शासन की सोच ‘सरकार हमर दुवार’ को साकार कर रहा है।

 

 
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