ननकीराम कंवर की जिद पर उठे सवाल — क्या अपनी ही सरकार की किरकिरी कर रहे पूर्व गृहमंत्री ?

कोरबा/रायपुर, 03 अक्टूबर।
कोरबा कलेक्टर अजीत बसंत को हटाने की मांग पर अड़े भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर के धरने के ऐलान ने राजनीति में नया बवंडर खड़ा कर दिया है। शुक्रवार को वे समर्थकों के काफ़िले के साथ रायपुर रवाना हुए, लेकिन अब उनके तेवरों पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
राजनीतिक हलकों और पार्टी कार्यकर्ताओं में यह चर्चा जोरों पर है कि जब सरकार ने खुद जांच के आदेश दे दिए हैं, तब उस जांच पर भरोसा न करना क्या प्रशासन और व्यवस्था दोनों पर सवाल उठाने जैसा नहीं है ? आलोचकों का कहना है कि कंवर सरकार और पार्टी दोनों की छवि खराब करने वाले रास्ते पर बढ़ रहे हैं।
“सिर्फ अपने चश्मे से देख रहे हैं ननकीराम ?”
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ननकीराम कंवर लगातार कलेक्टर पर आरोप लगा रहे हैं, लेकिन सरकार द्वारा गठित जांच पर पहले से ही अविश्वास जता देना प्रशासनिक प्रक्रिया को ही कटघरे में खड़ा करता है।
यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या कंवर केवल अपने दृष्टिकोण से अधिकारियों को देख रहे हैं और अपनी ही शिकायतों को अंतिम सत्य मान रहे हैं ?
हजारों समर्थक या सिर्फ़ दावा ?
कंवर ने ऐलान किया है कि रायपुर में धरने के दौरान हजारों की भीड़ जुटेगी। लेकिन अब यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या सचमुच कोरबा से इतनी बड़ी संख्या में लोग राजधानी पहुंचेंगे, या फिर यह महज राजनीतिक दबाव बनाने की रणनीति है ?
पार्टी के भीतर ही कई कार्यकर्ता मानते हैं कि यह आंदोलन कंवर की निजी नाराजगी का नतीजा हो सकता है, जबकि विपक्षी दल भी इस मौके को भुनाने की कोशिश में हैं।
क्या साजिश का हिस्सा बनेंगे कंवर ?
कुछ नेताओं ने यहां तक सवाल खड़ा कर दिया है कि कहीं ननकीराम कंवर विपक्ष की चाल में फंसकर अनजाने में ही भाजपा सरकार को बदनाम करने की साजिश का हिस्सा तो नहीं बन जाएंगे ?
क्योंकि इस पूरे घटनाक्रम से सबसे ज़्यादा फायदा विपक्षी दलों को ही मिलेगा, जो पहले से सरकार को घेरने के मौके तलाश रहे हैं।
कलेक्टर के खिलाफ आरोप और धरने की घोषणा से छत्तीसगढ़ की सियासत गर्मा गई है। लेकिन अब असली परीक्षा यह होगी कि क्या कंवर अपने दावों पर खरे उतरेंगे और हजारों की भीड़ रायपुर में जुटा पाएंगे, या फिर यह मुद्दा धीरे-धीरे राजनीतिक हाशिए पर चला जाएगा।

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