ऊर्जा की नगरी कोरबा में हरियाणवी डांसर सपना चौधरी का पहला कार्यक्रम ‘ऊर्जाधानी’ की ऊर्जाओं में नहीं, अव्यवस्थाओं और अभद्रताओं में डूब गया। मंच पर नाच-गाने से ज्यादा चर्चा रही हुल्लड़, हंगामे और हेकड़ी की। सपना चौधरी ने सोचा था कि दर्शक तालियां देंगे, पर यहां तो लोग मंच पर चढ़ने और नोट फेंकने की होड़ में उतर आए।
करीब ढाई घंटे का कार्यक्रम मुश्किल से एक घंटे में ही खत्म हो गया। सपना चौधरी कई बार दर्शकों से सभ्यता की अपील करती रहीं, मगर कोरबा की “वीआईपी भीड़” को शायद अपने वीआईपी स्टेटस का ही प्रदर्शन करना था। मंच के नीचे बदतमीजियों का आलम इतना बढ़ा कि सपना को अपना परफॉर्मेंस अधूरा छोड़ मंच से उतरना पड़ा।
पर असली ड्रामा तो इसके बाद शुरू हुआ। जब सपना और उनकी टीम होटल के कमरे में आराम कर रही थी, तभी देर रात दरवाजा तोड़ने की कोशिश, धमकियां, और गाली-गलौज की नौबत आ गई। टीम की सुरक्षा जश्न रिसोर्ट के मालिक और समय पर पहुंची पुलिस ने संभाली, वरना मामला किसी बड़ी अनहोनी में बदल सकता था।
रिसोर्ट संचालक ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है। बताया जा रहा है कि नशे और पैसे की बहस में मामला बिगड़ा और तोड़फोड़, लूटपाट तक जा पहुंचा। पुलिस ने दोनों पक्षों की शिकायत दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
अब सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसे “वीआईपी शो” का मतलब क्या रह जाता है , जब लोक कलाकारों की सुरक्षा ही खतरे में पड़ जाए। संस्कृति को मंच पर सजाने के बजाय जब लोग उसे भीड़ की हेकड़ी में कुचल दें, तो यह सिर्फ एक इवेंट की नाकामी नहीं, बल्कि समाज की मानसिकता पर भी बड़ा सवाल है — क्या हम सच में मनोरंजन चाहते हैं या सिर्फ तमाशा ?

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