कोरबा। ननकीराम जी, मदनपुर टोल प्लाज़ा में 5 अक्टूबर 2024 को सीनियर IAS अधिकारी से टोल कर्मियों ने दुर्व्यवहार किया था, CCTV में घटना दर्ज है और उसी आधार पर हुई थी कार्रवाई। फिर कलेक्टर के परिवार को क्यों बना रहे हैं निशाना ?” छत्तीसगढ़ की राजनीति में यह सवाल अब गूंज रहा है। दरअसल, पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने मौजूदा कलेक्टर अजीत वसंत के परिवार पर बिना वजह आरोप मढ़ दिए, जबकि प्रशासनिक जांच में उनका कोई रोल सामने नहीं आया। छत्तीसगढ़ की राजनीति में नेताओं और प्रशासनिक अफसरों के बीच टकराव कोई नई बात नहीं है, लेकिन पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर लगातार ऐसे बयानों से सुर्खियों में रहते हैं, जिनकी सच्चाई बाद में खोखली साबित होती है। संभवतः यह पहले राजनेता है जो अधिकारियों के अलावा उनके परिवार को भी विवाद के घेरे में लाने की कोशिश करते है। पहले पूर्व कलेक्टर संजीव झा अब मौजूदा कलेक्टर अजीत वसंत, विवाद की वजह सिर्फ एक रजगामार पंचायत में वित्तीय अनियमितता पर हुई कार्रवाई ! ताज़ा मामला मदनपुर टोल प्लाज़ा विवाद का है, जिसमें कंवर ने मौजूदा कलेक्टर अजीत वसंत के परिवार को घसीटते हुए कहा कि “कलेक्टर की पत्नी की गाड़ी रोके जाने पर टोल कर्मचारियों को जेल भेजा गया।”
असल घटना : वरिष्ठ IAS से दुर्व्यवहार, CCTV में हुई पुष्टि
यह मामला 5 अक्टूबर 2024 का है। सरगुजा से बैठक लेकर लौट रहे एक वरिष्ठ IAS अधिकारी का काफिला कटघोरा से सटे मदनपुर टोल प्लाज़ा पहुँचा। यहां टोल कर्मियों ने न केवल वाहनों को रोका बल्कि अधिकारियों और स्टाफ के साथ अभद्रता भी की।
सूचना मिलते ही कटघोरा के तत्कालीन एसडीएम रोहित सिंह और कटघोरा थाना प्रभारी धर्मनारायण तिवारी मौके पर पहुंचे। CCTV फुटेज की जांच में टोल कर्मियों का गलत आचरण साबित हुआ। नतीजतन, संबंधित कर्मचारियों को प्रतिबंधात्मक धारा के तहत जेल भेजा गया।
टोल प्लाज़ा पर पहले से थीं शिकायतें
प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, मदनपुर टोल प्लाज़ा के खिलाफ आम जनता से पहले भी कई शिकायतें दर्ज होती रही थीं। यह घटना उसी कड़ी की गंभीर मिसाल थी, जिस पर प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की।
कलेक्टर परिवार का कोई संबंध नहीं
पूरे घटनाक्रम में न तो कलेक्टर अजीत वसंत और न ही उनके परिवार का कोई संबंध पाया गया। इसके बावजूद ननकीराम कंवर ने सार्वजनिक मंच से कलेक्टर परिवार को निशाना बनाकर विवाद खड़ा कर दिया।
ननकीराम के पुराने विवादित बयान
यह पहली बार नहीं है जब कंवर ने अपनी ही पार्टी और अधिकारियों पर सवाल उठाकर भाजपा को असहज स्थिति में डाला हो—
- साल 2013 के विधानसभा चुनाव हारने के बाद कंवर ने तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को जिम्मेदार ठहराया था।
- 2018 में भाजपा की हार पर भी उन्होंने पार्टी नेताओं को कटघरे में खड़ा कर दिया।
- पिछली कांग्रेस सरकार के दौरान कलेक्टर रानू साहू के खिलाफ लिखा उनका पत्र बाद में उन्होंने खुद फर्जी बता दिया।
- तीन साल पहले उनका बयान “पुलिस छापा मारे तो उनकी पिटाई कर दो” भी विवादों में रहा।
सियासी हलचल और अंतर्कलह के संकेत
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तथ्यहीन आरोपों से न केवल प्रशासनिक कार्रवाई की छवि धूमिल होती है बल्कि भाजपा की अंदरूनी कलह भी उजागर होती है। मदनपुर टोल प्लाज़ा विवाद अब महज़ प्रशासनिक मुद्दा न रहकर प्रदेश की सियासत का गर्म विषय बन गया है।

Live Cricket Info





