छत्तीसगढ़

चुनावी घोषणा का असर, गिने-चुने किसान ही पहुंच रहे धान बेचने

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रायपुर। प्रदेशभर के धान केंद्रों पर खरीदी तो शुरू हो गई, लेकिन अभी भी किसानों के जहन में चुनावी घोषणा पत्र का प्रभाव छाया हुआ है। इसके कारण केंद्र पर भीड़ नहीं दिख रही है। वहीं धान की फसलों में इस बार भी कीटों का प्रकोप देखने को मिला। इससे तना छेदक, भूरा माहो आदि बीमारी लग गई। मंडी पर पहुंच रहे कृषकों की माने तो कीटनाशक छिड़काव का भी इन पर कोई असर नहीं हो रहा है। इससे मोटे धान की अपेक्षा पतला धान खाने के लिए भी नहीं मिल पाया है। फसल बेहतर नहीं होने के कारण अंचल के किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं।
कीट से धान की गुणवत्ता में कमी आई है, जिसका नतीजा उत्पादन पर भी प्रभाव पड़ा है। खाली-खाली केंद्र प्रदेश में धान की खरीदी को लेकर हर वर्ष किसानों में काफी उत्साह रहता है, लेकिन पहली बार राजधानी से सटे केंद्रों पर देखा गया कि समिति केंद्र पर गिन के किसान पहुंच रहे हैं। ऐसे में शासन लक्ष्य कितना पूरा कर पाएगा। यह कहना मुश्किल है।
तना छेदक, झुलसा व माहो का प्रकोप बढ़ रहा है। किसानों के अनुसार पांच एकड़ में 15 हजार रुपए का कीटनाशक डाल चुके हैं, जो बेअसर रहा। प्रभावित धान की बालियां सूख रही हैं, जबकि कृषि वैज्ञानिकों का दावा था कि कीटनाशक दवाओं के छिड़काव से बेहतर रिस्पांस मिलेगा। इसी तरह से बेहतर पैदावार वाले क्षेत्रों में भी पतले धान रोग ग्रस्त हो गए है।

 
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