छत्तीसगढ़

कार्यशाला में 3 नवीन आपराधिक विधि अधिनियमों पर हुई चर्चा

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बेमेतरा। 1 जुलाई से प्रभावशील होने वाले 3 नवीन आपराधिक विधि अधिनियमों के संबंध में रविवार को बेमेतरा के निजी कॉलेज के सभागृह में सुबह 11 बजे से “न्यू क्रिमिनल लॉ एंड एक्ट“ के तहत आपराधिक विधी अधिनियमों पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई और विधि अधिनियमों पर विस्तृत चर्चा की गई । इस अवसर पर कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी रणबीर शर्मा, देवेन्द्र कुमार (जिला एवं सत्र न्यायाधीश), पुलिस अधीक्षक रामकृष्ण साहू, उमेश कुमार उपाध्याय (मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट), श्रीमती निधि शर्मा, (सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण), प्रणीश चौबे अध्यक्ष जिला अधिवक्ता संघ बेमेतरा, जिला पंचायत सीईओ टेकचंद अग्रवाल, अपर कलेक्टर अनिल वाजपेयी, बृजमोहन शर्मा वरिष्ठ अधिवक्ता, जनपद पंचायत बेमेतरा अध्यक्ष एवं सदस्यों तथा जनपद पंचायत, सहित कलेक्टरेट कार्यालय के अधिकारी, परिवार न्यायालय एवं जिला न्यायालय की टीम, पुलिस प्रशासन की टीम, मीडिया के सदस्य, सरपंचो सहित सर्व परियोजना अधिकारी, एकीकृत महिला एवं बाल विकास, जिला बेमेतरा एवं सर्व पर्यवेक्षक, एकीकृत महिला एवं बाल विकास एवं जिले के अधिकारी और कॉलेज के छात्र छात्राएं उपस्थित थे |

कलेक्टर रणबीर शर्मा ने कार्यशाला में तीन नविन क़ानून की जानकारी देते हुये प्राचीन काल के समाज में होने वाले नियम क़ानून से लेकर वर्तमान में समय के साथ साथ लोगों की जरूरतों को देखते हुये क़ानून में होने वाले संशोधन के बारे में विस्तार से समझाया । उन्होंने कहा की अभी के नये क़ानून कुछ कुछ पुराने कानून में संशोधन कर बनाये गए हैं तथा कुछ नये पॉइंट जोड़े गए हैं और अनावश्यक विधी को हटाया गया है । 01 जुलाई 2024 से जो नये कानून है वह प्रभावशाली होंगे जिसमे नये क़ानून के सम्पूर्ण गाइडलाइन दी गई है। इस क़ानून के आने के न्याय और पारदर्शिता होंगी इससे नागरिकों को न्याय दिलाने में सहायता होगी। उन्होंने कहा की नये क़ानून का उद्देश्य आमजनता को त्वरित रूप से न्याय दिलाकर राहत प्रदान करना है, इसलिए नवीन कानून के बारे में जानकारी होना बहुत आवश्यक है। उन्होंने कहा की प्राचीन समय में समाज को व्यवस्थित करने के लिए कानून बनाया गया, विधि बनाई गई और उन विधि और कानून का सबको पालन करना होता था  | उन्होंने कहा कि प्रकरणों के निराकरण के लिए नये कानूनों में समय का निर्धारण किया गया है। पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न प्रावधान किए गए है। विशेषकर अपराधिक मामलों में तलाशी एवं जप्ती के दौरान फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी अनिवार्य रूप से की जाएगी | समय के साथ-साथ चीजे बदलती है, और कानून धीरे-धीरे बदलता है। अभी और एक बड़ा भारत सरकार द्वारा नया सेक्टर खोला है इंडियन साइबर क्राइम कंट्रोल सेंटर इसमें साइबर अपराध के लिए भी कानून बन रहे हैं, और समाज को व्यवस्थित रखने के लिए कानून बहुत जरूरी होता है, नहीं तो समझ में अपराध बढ़ जाएगा | कलेक्टर शर्मा ने वर्तमान कानूनों द्वारा दंड के स्थान पर न्याय को वरीयता देने, पुलिस व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण, कम्युनिटी पुलिसिंग आदि विषयों पर बात की ।

जिला एवं सत्र न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार ने  नये क़ानून के बारे में बताते हुये कहा की कहा कि एक जुलाई से भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023, भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 प्रभावी होंगे। उन्होंने कहा कि नये कानून वर्तमान परिप्रेक्ष्य में सरल करने के लिए लाया गया है। नये तीनों कानून, न्याय और नागरिक सुरक्षा के लिए लाए गए हैं। उन्होंने कहा कि नये कानून के साथ हम सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ेगे तो ज्यादा बेहतर काम कर पाएंगे। उन्होंने 1 जुलाई से लागू होने वाले नये आपराधिक कानून के संबंध में विस्तार से जानकारी दी | पुराने क़ानून में संसोधन और कुछ नियम जोड़े गए हैं। ताकि भारत का नया कानून से सरलता से लोगों को न्याय मिले, अब हम देशवासी सोचेंगे कि अब हमें न्याय प्राप्त होगा।

पुलिस अधीक्षक रामकृष्ण साहू ने कहा की यह जो वर्तमान में कानून है, वह स्वतंत्रता से पहले बना था जो की ब्रिटिशो के द्वारा बनाया गया था उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि तीन नए आपराधिक कानूनों में भारतीय दंड संहिता 1860 के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता 2023 को अधिसूचित किया गया है। इसी तरह दंड प्रक्रिया संहिता 1973 के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 के स्थान पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को लागु किया जाना है। उन्होंने कहा की नए कानून का मुख्य उद्देश्य औपनिवेशिक कानूनों में बदलाव, नागरिक केन्द्रित एवं कल्याणकारी अवधारणा, महिला सुरक्षा एवं न्याय, अनुसंधान में वैज्ञानिक तकनीक, डिजीटल एवं इलेक्ट्रानिक साक्ष्य के प्रावधान, उचित नियंत्रण एवं संतुलन के साथ पुलिस का सामन्जस्यपूर्ण सशक्तिकरण और समयबद्ध प्रक्रिया, साक्ष्य संग्रह और प्रस्तुति की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के साथ ही मूल्यांकन में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा देना है द्य भारतीय न्याय संहिता ने यौन अपराधों से निपटने के लिए ’महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराध’ नामक एक नया अध्याय पेश किया है। उन्होंने भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 में दस्तावेजों की परिभाषा का विस्तार करते हुए इसमें इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकार्ड, ईमेल, सर्वर लॉग्स, कंप्यूटर पर उपलब्ध दस्तावेज, स्मार्टफोन या लैपटॉप के संदेश, वेबसाइट, लोकेशनल साक्ष्य को शामिल किया गया है। इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड ’दस्तावेज’ की परिभाषा में शामिल हैं। इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्राप्त बयान ’साक्ष्य’ की परिभाषा में शामिल।

इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड को प्राथमिक साक्ष्य के रूप में मानने के लिए और अधिक मानक जोड़े गए, जिसमें इसकी उचित कस्टडी-स्टोरेज-ट्रांसमिशन-ब्रॉडकास्ट पर जोर दिया गया।   

इसके साथ ही सेमिनार में नए आपराधिक विधि अधिनियमों का परिचय हाल ही में संशोधित और लागू किए गए अधिनियमों का संक्षिप्त विवरण, विधि अधिनियमों में किए गए प्रमुख बदलावों का विश्लेषण किया गया।

प्रभाव और अनुपालन की चुनौतियाँ अंतर्गत नए अधिनियमों का समाज और कानूनी प्रणाली पर प्रभाव, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और न्यायपालिका के लिए अनुपालन की चुनौतियाँ पर चर्चा की गई।

प्रौद्योगिकी और आपराधिक न्यायअंतर्गत डिजिटल साक्ष्यों और साइबर अपराधों की बढ़ती महत्वपूर्णता, डेटा सुरक्षा और गोपनीयता के नए मानदंड, मानवाधिकार और आपराधिक न्याय, अभियुक्तों के अधिकार और उनकी सुरक्षा आदि पर विस्तृत चर्चा की गई।

 
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