छत्तीसगढ़

थू है ऐसे निकम्मे अस्पताल प्रबंधन पर! मरीज की जान के साथ खिलवाड़, और स्टॉफ नर्स की मौज — एमएस डॉ. गोपाल कंवर आखिर क्यों बचा रहे हैं लापरवाह नर्स को ?

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थू है ऐसे निकम्मे अस्पताल प्रबंधन पर! मरीज की जान के साथ खिलवाड़, और स्टॉफ नर्स की मौज — एमएस डॉ. गोपाल कंवर आखिर क्यों बचा रहे हैं लापरवाह नर्स को ?

कोरबा। सवाल सीधा है — ये अस्पताल है या मजाक ? स्व. बिसाहू दास महंत स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में लापरवाही और भ्रष्टाचार की हदें पार हो चुकी हैं। सोमवार को बुजुर्ग महिला मरीज तड़पती रही, ड्रीप कब की खत्म हो गई, दवा लगनी थी — लेकिन ड्यूटी पर तैनात संविदा स्टाफ नर्स ड्यूटी छोड़कर ऐश करने निकल गई। अस्पताल में न मरीज की चिंता, न जिम्मेदारी का एहसास। और हैरानी तब हुई जब अस्पताल प्रबंधन ने शिकायत करने वालों पर ही कार्रवाई कर दी। व्हाट्सएप ग्रुप से मैसेज डिलीट करवाया गया, लेकिन अस्पताल की लापरवाही का सच अब पूरे शहर में वायरल है।

प्रशासनिक ढीलाई की इंतहा — कौन जिम्मेदार अगर मरीज की मौत होती ?

अगर उस बुजुर्ग महिला को इंफेक्शन या कुछ अनहोनी हो जाती, तो जिम्मेदारी किसकी होती? मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. गोपाल कंवर ? मैट्रन मैडम ? या लापरवाह स्टाफ ? हकीकत ये है कि पूरा अस्पताल मनमानी पर चल रहा है। संविदा स्टाफ नर्सें खुलेआम ड्यूटी टाइम में गायब होती हैं और एमएस साहब और उनके चहेते प्रबंधन के लोग बचाव में लगे रहते हैं। डॉ. कंवर साहब को टेंडर मैनेज करने से ही फुर्सत नहीं, मेट्रन को अपने आराम से मतलब, और डीन डॉ. के के सहारे का अस्पताल में कोई सुनने वाला नहीं।

एक नहीं, कई मामले दबाए गए

ये पहली घटना नहीं। इसी चर्चित नर्स की लापरवाही से पहले भी मरीज को ब्लड रिएक्शन हुआ था। डॉक्टर विशाल राजपूत ने इसकी शिकायत भी की थी। लेकिन तब भी लीपापोती कर मामला दबा दिया गया। रविकांत जाटवर 8 नंबर कमरे से ही सारा अस्पताल चलाते रहते हैं, और नेताओं से सेटिंग में लगे रहते हैं। पूरे अस्पताल का बोझ अपने कंधे में रखने का दावा करते है।

गरीबों की जान की कोई कीमत नहीं ?

ये अस्पताल गरीबों का सहारा है। वीआईपी आते ही पूरा अमला उनके स्वागत-सत्कार में जुट जाता है और आम मरीज भगवान भरोसे रह जाता है। सवाल ये है कि कब तक लापरवाह प्रबंधन ऐसे ही मरीजों की जान से खेलता रहेगा? कोरबा जैसे बड़े शहर में ये बर्दाश्त नहीं। अब ईमानदार कलेक्टर और जनप्रतिनिधियों को जागना ही होगा।

कोरबा की जनता पूछ रही है — कब जागेगा ये निकम्मा प्रशासन ? वरना अगली लाश किसकी होगी ?

 
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