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कांग्रेस की चुनावी चौसर पर भारी पड़ रही छत्तीसगढ़ में भाजपा की बिसात, इधर सरोज पांडेय के रण में उतरते ही रण छोड़ने को मजबूर न हो जाएं कांग्रेसी

रायपुर 06 मार्च। लोकसभा चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ में राजधानी रायपुर से लेकर कोरबा तक, कांग्रेस पार्टी से चुनावी रण में भारतीय जनता पार्टी का सामना करने प्रत्याशी नहीं मिल रहे हैं। अधिकतर नेता चुनाव लड़ने से कतरा कर रहे हैं। डॉ चरणदास महंत जैसे पुराने और दिग्गज तजुर्बेकार नेता भी लोकसभा के चुनावी रण में कदम रखना तो दूर, खुले तौर पर पीछे हट चुके हैं। कोरबा लोकसभा में भी जहां सुश्री सरोज पांडेय जैसी मंझी हुई नेत्री ने मोर्चा संभाल लिया है, मैदान में इनकी मौजूदगी से कांग्रेस पार्टी की सबसे चर्चित नामों में शुमार मौजूदा सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरण दास महंत और कोरबा विधानसभा से जोरदार शिकस्त पा चुके पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के भी पसीने छूट रहे हैं।

दरअसल, विधानसभा चुनाव में मिली पराजय और अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा से बने भाजपा के माहौल से कांग्रेस नेता घबरा गए हैं। वे नहीं चाहते कि प्रतिकूल माहौल में चुनाव लड़़कर धन के साथ रही सही इज्जत को भी भाजपा की चुनावी आंधी में उड़ती धूल के हवाले किया जाए। यही वजह है कि हारने से बेहतर चुनाव लड़ने से ही इन्कार में ही भलाई समझी जा रही है।

जहां तक कोरबा लोकसभा क्षेत्र से दावेदारी का सवाल है, उनमें दो प्रमुख राजनीतिज्ञ दावेदारी का मूड दिखा रहे हैं। इनमें मौजूदा सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरण दास महंत और कोरबा के पूर्व विधायक जयसिंह अग्रवाल शामिल हैं। अब तक के राजनीतिक समीकरण पर गौर करें, तो जिन नामों पर कांग्रेस पार्टी विचार कर रही है, उनके पास धन और बल की कमी नहीं है। इसलिए कांग्रेस चाहती है कि ऐसे व्यक्ति को टिकट दी जाए, जो चुनाव का खर्च उठाने में सक्षम हो। वे यह भी नहीं चाहते कि हार का ठीकरा उनके सिर पर फूटे।
प्रदेश स्तर पर भी कांग्रेस के पास फिलहाल कोई ऐसा चेहरा नहीं है, जो मुखर होकर खुद को पेश करने पहले की तरह झोली फैलाए कतार में खड़ा हों। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार थी। तब का दौर कांग्रेस का रहा, जिसे भुनाने की होड़ रायपुर से कोरबा तक खूब नजर आई। पर अब प्रदेश में भगवा राज और कांग्रेस पार्टी की किस्मत बदलते ही मानों नामचीन कांग्रेसियों की नीयत भी मानों गिरगिट की तरह अचानक बदल सी गई है। अब, जबकि सुश्री सरोज पांडेय सरीखे राष्ट्रीय स्तर की कद्दावर नेत्री मैदान में उतर आईं, ऐसी दमदार प्रतिस्पर्धी के सामने खड़ा होकर कोरबा लोकसभा क्षेत्र से भाग्य आजमाना तो दूर, अब कोई दमदारी से दावेदारी के लिए भी खुलकर सामने आने को तैयार नहीं दिख रहा है। यही वजह है जो कोरबा में विधानसभा की छह सीटों पर विजय पताका लहराने के बाद अब पूरी की पूरी लोकसभा फतह करने का भाजपा मार्ग प्रशस्त होता दिख रहा है।


उधर कुछ वरिष्ठ चेहरों पर दांव… इधर बाहर से इंपोर्ट न करनी पड़ जाए नेताजी

तीन दिन पहले लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने अपनी सूची जारी कर दी है। पार्टी ने छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों घोषित कर दिए हैं। भाजपा की सूची आने के बाद कांग्रेसी खेमे में हलचल तेज हो गई है। बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस की ओर से गुरुवार को केंद्रीय चुनाव समिति की महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। अनुमान यही लगाया जा रहा है कि इस बैठक के बाद कांग्रेस की बहुप्रतीक्षित सूची जारी हो जाएगी। ज्यादातर सीटों पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के नाम चर्चा में हैं। पैनल में पूर्व सीएम भूपेश बघेल, पूर्व मंत्री ताम्रध्वज साहू, पूर्व मंत्री शिव डहरिया, कोरबा सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरण दास महंत और पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव के नाम शामिल हैं। इधर कोरबा में भाजपा उम्मीदवार के राजनीतिक कद और शख्सियत की बराबरी का बैलेंस तलाश करते कहीं बाहर से कांग्रेस के किसी बलिष्ठ नेताजी को इंपोर्ट करनी पड़ जाए, तो कोई अचरज की बात न होगी।

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