छत्तीसगढ़

मात्र 360 रु. में करे एक एकड़ असिंचित धान फसल का बीमा

गरियाबंद। किसान खरीफ मौसम में फसल बीमा के लिए 31 जुलाई तक आवेदन कर सकते है। राज्य शासन द्वारा किसानों के फसल को प्रतिकूल मौसम, सूखा, बाढ़, जलप्लावन, कीटव्याधि, ओलावृष्टि आदि प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान से राहत दिलाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का अधिसूचना जारी किया गया है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जिले के किसान मुख्य फसल धान सिंचित, असिंचित धान एवं अन्य फसल मक्का, अरहर, मूंग, उड़द, कोदो, कुटकी एवं रागी का बीमा करा सकते हैं। योजनांतर्गत भू-धारक व बटाईदार किसान सम्मिलित हो सकते है। जिन किसान का अधिसूचित ग्राम में अधिसूचित फसल के लिए वित्तीय संस्थानों से मौसमी कृषि ऋण स्वीकृत हुआ है, उन किसानों का फसल बीमा संबंधित संस्थान द्वारा किया जाएगा। इनके अलावा ऐच्छिक आधार पर अधिसूचित फसल उगाने वाले सभी गैर ऋणी किसान  योजना में शामिल हो सकते है। खरीफ मौसम के लिए बीमा राशि निर्धारित किया गया है। कुल बीमित राशि का 2 प्रतिशत किसानों द्वारा प्रीमियम के रूप में देना होगा। धान सिंचित हेतु 480 रू. प्रति एकड़, धान असिंचित के लिए 360 रु. प्रति एकड़, मक्का हेतु 336 रू. प्रति एकड़, कोदो के लिए 64 रू. प्रति एकड़, कुटकी के लिए 68 रु. प्रति एकड़, रागी के लिए 60 रू. प्रति एकड़, अरहर के लिए 304 रू. प्रति एकड़, उड़द एवं मूंग के लिए 184 रू. प्रति एकड़, तथा मूंगफली के लिए 336 रू. प्रति एकड़, निर्धारित किया गया है। अऋणी किसान आवश्यक दस्तावेज आधार कार्ड, बैंक पासबुक, बी-1, पी-2 तथा फसल बुवाई प्रमाण पत्र के साथ अपने नजदीकी सीएससी सेंटर अथवा संबंधित बैंक में फसल बीमा करा सकते है ।

वर्तमान समय में वर्षा की स्थिति अच्छी है किन्तु वर्षा को लेकर के हर समय संशय की स्थिति बनी रहती है । प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में फसल बुआई से लेकर फसल कटाई उपरांत खेत में सुखाने के लिए फैला कर रखी हुई फसल में बेमौसम वर्षा, चक्रवाती वर्षा से नुकसान

की स्थिति में भी (14 दिवस के भीतर ) आकलन कर कृषकों को क्षति का दावा भुगतान किये जाने का प्रावधान है। अतः किसान भाईयों से अनुरोध है कि भविष्य में विपरीत मौसम परिस्थिति से बचने के लिए अपने फसलों की बीमा अवश्य करावे । फसलों की बीमा हेतु समिति, संबंधित बैंक, बीमा प्रदायक कम्पनी बजाज जनरल इंश्योरेंस कम्पनी लिमि, लोक सेवा केन्द्र या कृषि विभाग के मैदानी अमलो से संपर्क कर सकते हैं।

 

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