कोरबा: कोरबा नगर निगम के महापौर राजकिशोर प्रसाद ने सत्ता के नशे में चूर होकर एक ऐसी हरकत कर दी है, जिसने जनता के मन में आक्रोश और शर्मिंदगी का भाव पैदा कर दिया है। एक ओर देश महात्मा गांधी की जयंती मना रहा था, वहीं दूसरी ओर उसी मंच पर खड़े होकर महापौर ने देश के दूसरे प्रधानमंत्री और महान स्वतंत्रता सेनानी लाल बहादुर शास्त्री जी का खुला अपमान किया। यह विरोधाभासी स्थिति स्पष्ट करती है कि महापौर को केवल महात्मा गांधी की छवि का प्रदर्शन करने में रुचि थी, जबकि शास्त्री जी की गरिमा को उन्होंने नजरअंदाज कर दिया।
फोटो की भूख में शास्त्री जी की मर्यादा की बलि
शास्त्री जी की जयंती के कार्यक्रम में मंच पर उनकी तस्वीर रखी गई थी, जहां महापौर राजकिशोर प्रसाद भी मौजूद थे। लेकिन महापौर की प्राथमिकता फोटो खिंचवाने और खुद को कैमरे में कैद कराने की थी। ऐसे समय में जब उन्हें शास्त्री जी के प्रति सम्मान दिखाना चाहिए था, उन्होंने उनकी मौजूदगी को पूरी तरह से नकारते हुए अपनी छवि को प्राथमिकता दी। यह स्पष्ट रूप से सत्ता के मद में चूर इंसान का व्यवहार था, जिसे देश के महापुरुषों की कद्र करना भी गवारा नहीं।
“गांधी का सम्मान, शास्त्री का अपमान”: विपक्ष का तीखा प्रहार
नेता प्रतिपक्ष हितानंद अग्रवाल ने महापौर के इस आचरण को घोर निंदनीय बताते हुए कहा, “यह बेहद शर्मनाक है कि जहां महात्मा गांधी का नाम लेकर लोग सम्मान बटोरने में जुटे हैं, वहीं शास्त्री जी जैसे महानायक का अपमान किया जा रहा है। कांग्रेस पार्टी हमेशा से दिखावे की राजनीति करती रही है, और महापौर की यह हरकत उसी मानसिकता का प्रतीक है। शास्त्री जी का योगदान देश के लिए अतुलनीय है, और उनका अपमान इस देश की जनता कभी सहन नहीं करेगी।”
महापौर के खिलाफ FIR की मांग
हितानंद अग्रवाल ने महापौर के इस कृत्य को “राष्ट्र विरोधी” बताते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की। उन्होंने कहा, “जो व्यक्ति अपने महापुरुषों का सम्मान नहीं कर सकता, वह राष्ट्र का सम्मान कैसे करेगा? महापौर के इस कृत्य को गंभीर अपराध मानते हुए उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया जाना चाहिए।”
“गांधी की आड़ में शास्त्री जी की अनदेखी”
महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री, दोनों ही देश के स्वतंत्रता संग्राम के महानायक थे। लेकिन महापौर राजकिशोर प्रसाद का व्यवहार यह दर्शाता है कि उन्होंने गांधी के नाम का इस्तेमाल केवल खुद की छवि चमकाने के लिए किया, जबकि शास्त्री जी जैसे संघर्षशील और त्यागमयी नेता का अपमान किया। यह घटना साबित करती है कि महापौर की प्राथमिकताएं केवल सस्ती राजनीति और फोटो खिंचवाने तक सीमित हैं।
“हटाओ महापौर को!” जनता और विपक्ष का संयुक्त आह्वान
कोरबा की जनता अब महापौर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रही है। लोग कह रहे हैं कि जो व्यक्ति अपने महान नेताओं की कद्र नहीं कर सकता, उसे महापौर की कुर्सी पर बैठने का कोई हक नहीं है। यह घटना नगर निगम कोरबा की छवि पर भी काला धब्बा है, और महापौर को उनके पद से तुरंत हटाया जाना चाहिए।
महापौर राजकिशोर प्रसाद ने न केवल शास्त्री जी का, बल्कि पूरे राष्ट्र का अपमान किया है।
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