छत्तीसगढ़

कोरबा जिले की मतदाता सूची को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आई..22 वर्ष में कोरबा जिले में पौने 4 लाख वोटर्स बढ़े

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कोरबा । विधानसभा की चारों सीट पर मतदता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण एसआईआर शुरू हो गया है। बीएलओ गणना पत्रक को लेकर घर- घर पहुंच रहे हैं।

मतदाता सूची में दर्ज नाम के आधार पर घर के प्रत्येक वोटर को गणना पत्रक दिया जा रहा है। इसे भरकर जमा करने के लिए कहा जा रहा है।

जिला निर्वाचन पदाधिकारी की ओर से बताया गया है कि एसआईआर कोरबा जिले में 4 नवंबर से शुरू किया गया है, जो 4 दिसंबर तक चलेगा। इस अवधि में बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) अपने मतदान केन्द्र में मौजूद सभी वोटरों तक पहुंचेंगे। घर- घर जाकर गणना पत्रक देंगे।

पत्रक को भरने की प्रक्रिया से अवगत कराएंगे। निर्धारित अवधि में वोटर गणना पत्रक को भरकर बीएलओ को वापस करेंगे। पत्रक के साथ आयोग की ओर से मांगे गए दस्तावेज देंगे। बीएलओ भरा हुआ गणना पत्रक और दस्तावेज को बीएलओ एप पर अपलोड करेंगे।

इस बीच कोरबा जिले की मतदाता सूची को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आई है। आंकड़ों को खंगालने से स्पष्ट हुआ है कि वर्ष 2003 में जब आयोग की ओर से छत्तीसगढ़ में पहली बार एसआईआर किया गया था, उस समय कोरबा जिले में विधानसभा की तीन सीटें थीं।

 

इसमें रामपुर, कटघोरा और पाली तानाखार थीं। 2003 की एसआईआर में विधानसभा की तीनों सीट पर तीन लाख 60 हजार 743 मतदाता थे। इसमें सबसे अधिक दो लाख 76 हजार 074 कटघोरा विधानसभा क्षेत्र में थे।

पाली तानाखार विधानसभा क्षेत्र में एक लाख 65 हजार 839 मतदाता के नाम आयोग की सूची में शामिल किए गए थे। 2003 में सबसे कम वोटर रामपुर विधानसभा क्षेत्र में थे। विधानसभा सीट रामपुर की मतदाता सूची में एक लाख 48 हजार 622 वोटर के नाम शामिल थे।

वर्ष 2003 से 2025 तक यानी 22 साल की अवधि में कोरबा जिले में वोटरों की संया काफी तेजी से बढ़ी है। वर्ष 2025 में वोटर लिस्ट में जिले में मतदाताओं की संया बढक़र 9 लाख 51 हजार 278 हो गई।

यानी 22 साल में कोरबा जिले की चार विधानसभा सीटों पर तीन लाख 60 हजार 743 वोटर बढ़ गए। एसआईआर की पूरी प्रक्रिया में आयोग की पैनी नजर इन्हीं वोटर पर है।

एसआईआर अवधि में इन मतदातों को आयोग की ओर से निर्धारित किए गए 12 में से एक दस्तावेज देने होंगे। इसमें आधार कार्ड शामिल नहीं है।

उक्त दस्तावेज नहीं देने पर वोटर को आयोग की ओर से नोटिस जारी किया जाएगा। दस्तावेज पेश नहीं करने पर नाम को सूची से डिलिट (हटा) कर दिया जाएगा।

हालांकि जिन मतदाताओं के नाम 2003 और 2025 की मतदाता सूची में हैं, उन्हें कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं होगी।

 

 
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