पदभार संभालने के बाद पहली बार कोरबा पहुंचे डीआरएम, स्टेशन निरीक्षण में जताई नाराजगी

कोरबा – दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे बिलासपुर मंडल के नवपदस्थ मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) राकेश रंजन ने पदभार संभालने के दूसरे ही दिन बुधवार को कोरबा रेलवे स्टेशन का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने स्टेशन पर चल रहे विकास और निर्माण कार्यों की धीमी प्रगति पर असंतोष जताते हुए संबंधित अधिकारियों को कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए।
निरीक्षण के दौरान डीआरएम को बताया गया कि कोरबा रेलवे स्टेशन में यार्ड री-मॉडलिंग का कार्य पिछले एक वर्ष से प्रक्रियाधीन है। मानिकपुर कोल साइडिंग तथा इमलीडुग्गू रेलवे फाटक पर प्रस्तावित ओवरब्रिज यार्ड विस्तार में बड़ी बाधा बने हुए हैं। यह कार्य आगामी तीन माह तक चलेगा। डीआरएम रंजन ने कहा कि निर्माण कार्यों के दौरान उत्पन्न होने वाली विसंगतियों से इस तरह निपटना होगा, जिससे न तो रेलवे संचालन प्रभावित हो और न ही यात्रियों को असुविधा हो।
उन्होंने यार्ड री-मॉडलिंग के लिए तैयार किए गए मैप प्लान का अवलोकन करते हुए इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि छोटी-छोटी तकनीकी कमियों पर ध्यान देकर कार्य में तेजी लाई जाए। साथ ही बढ़ते कोल डिस्पैच के दबाव को कम करने के लिए ठोस और व्यावहारिक समाधान खोजने की जिम्मेदारी सभी संबंधित विभागों की है।
डीआरएम रंजन ने स्टेशन परिसर स्थित क्रू लॉबी का भी निरीक्षण किया और रनिंग स्टाफ से सीधे संवाद कर उनकी समस्याएं सुनीं। उन्होंने कर्मचारियों को ड्यूटी ईमानदारी, सतर्कता और जिम्मेदारी के साथ निभाने की हिदायत दी।
अमृत भारत स्टेशन योजना के अंतर्गत कोरबा रेलवे स्टेशन पर चल रहे कार्यों की धीमी गति पर डीआरएम ने नाराजगी जाहिर की। उन्होंने प्लेटफार्म पर अधूरे एफओबी, पुराने एआरएम रूम के पास सेफ्टी वॉल की कमी, प्लेटफार्म पर बिखरी निर्माण सामग्री को व्यवस्थित करने और अधूरे कार्यों को शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए।
इसके बाद डीआरएम रंजन गेवरारोड स्टेशन पहुंचे, जहां उन्होंने स्टेशन परिसर, कोल साइडिंग तथा संभावित पेंड्रारोड रेल कॉरिडोर से जुड़ी विस्तार योजनाओं की जानकारी ली। लाइन और यार्ड विस्तार को नए सिरे से विकसित करने को लेकर अधिकारियों से चर्चा करने के बाद वे शाम करीब चार बजे बिलासपुर लौट गए।
डीआरएम के कोरबा प्रवास को लेकर रेल संघर्ष समिति कोरबा के संयोजक रामकिशन अग्रवाल ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि डीआरएम का दौरा पूर्व नियोजित था, लेकिन इसे गोपनीय रखा गया, जिससे यात्रियों के हित प्रभावित हुए। समिति का प्रतिनिधिमंडल डीआरएम से मिलकर यात्री समस्याओं और सुझावों पर चर्चा करना चाहता था, लेकिन उन्हें अवसर नहीं मिल सका।

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