
कोरबा।
रविशंकर नगर में गुरुवार का दिन भाजपा नेता अजय विश्वकर्मा के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं था।
क्योंकि जिस नेता ने पिछले कई दिनों से बीएलओ पर दबाव बनाकर घर-घर सर्वे रोक रखा था, धमकियाँ दे रहा था और “मेरी लाइन में चलो” की ठसक दिखा रहा था—उसी की नेतागिरी की पूरी फैक्ट्री गुरुवार को एसडीएम सरोज महिलांगे ने मौके पर ही बंद करवा दी।
बीएलओ की शिकायत पर जब एसडीएम मौके पर पहुँचे, तब भी अजय विश्वकर्मा वही रोज की हरकत—
काम में दखल, ऊँची आवाज़, रोब-दबदबा और हंगामा।
लेकिन इस बार गणित गलत पड़ गया।
बीएलओ पर दबाव बनाने की पूरी कहानी—“घर-घर मत जाओ, मैं जैसा बोलूँ वैसा करो”
वार्ड में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) में बीएलओ घर-घर फॉर्म बाँट और कलेक्ट कर रहे थे।
लेकिन अजय विश्वकर्मा लगातार आकर—
- उन्हें रोकता था
- “यहीं बैठकर काम करो” की मनमानी करता था
- जनता के बीच विवाद कराता था
- और धमकी देता था कि “नौकरी खा जाऊँगा”
बीएलओ का कहना था—
“काम ही नहीं हो पा रहा था, रोज की दहशत बन चुका था।”
आख़िरकार मजबूर होकर शिकायत एसडीएम तक पहुँची।
और फिर हुआ सबसे बड़ा पलटवार—एसडीएम के सामने भी नेता की ‘अकड़’ कायम… लेकिन बच न पाया
शिकायत मिलते ही एसडीएम महिलांगे तत्काल मौके पर पहुँचे।
उन्होंने स्थिति देखते ही पाया कि नेता वहीं खड़ा बीएलओ को रोक रहा है, निर्देश दे रहा है और बीच-बीच में उलझ रहा है।
एसडीएम ने पहले शांतिपूर्वक समझाया, पर अजय विश्वकर्मा मानने को तैयार ही नहीं।
उसकी वही ऊँची आवाज़… वही “मैं देख लूँगा” वाला रवैया…
बस! यहीं अधिकारी का सब्र टूट गया।
“यह सरकारी काम है, नेतागिरी नहीं!” — एसडीएम की 30 सेकंड में ‘अकड़ धुलाई’
मौके पर एसडीएम सरोज महिलांगे डटकर बोले—
“शासकीय सेवक का काम रोकना अपराध है।”
“बीच में कूदने की आदत छोड़ दो।”
“सरकारी प्रक्रिया को कोई नेता नहीं सिखाएगा।”
“एक बार और हस्तक्षेप किया तो कलेक्टर से सीधी कार्रवाई करवाऊँगा—समझ गए?”
एसडीएम के तेवर देखकर भीड़ में खामोशी छा गई।
लोग कहते दिखे—
“आज तो बिलकुल बुक कर दिया नेता को!”
अजय विश्वकर्मा की आवाज़ वहीं दब गई, चेहरा उतर गया और बीएलओ की राहत लिखी जा सकती थी।
महिला आयोग की सुनवाई में भी विवाद—संवेदनशील केस की रिकॉर्डिंग कर रहा था
गुरुवार दोपहर एक और घटनाक्रम हुआ—
महिला आयोग की सुनवाई के दौरान अजय विश्वकर्मा मोबाइल से संवेदनशील मामले की रिकॉर्डिंग करते पकड़ा गया।
अध्यक्ष किरणमई नायर ने तीखा एतराज जताते हुए तत्काल आदेश दिया—
“रिकॉर्डिंग अभी डिलीट कराओ—ये गंभीर उल्लंघन है।”
यानी एक ही दिन में दो-दो जगह नेता की करतूतों का पर्दाफाश हो गया।
बीएलओ बोले—“आज पहली बार लगा कि प्रशासन हमारा साथ देता है”
कर्मचारियों ने कहा—
- “नेता रोज आता था, माहौल बिगाड़ देता था।”
- “लोगों के सामने हमारा अपमान करता था।”
- “काम रुक रहा था और डर का माहौल बन गया था।”
लेकिन गुरुवार को उन्होंने राहत की सांस ली।
एसडीएम ने न सिर्फ नेता को फटकारा बल्कि मौके पर स्पष्ट संदेश दिया—
कर्मचारी सुरक्षित हैं, प्रशासन उनके साथ है।
अब आगे क्या ? कार्रवाई की गंध तेज—जिला प्रशासन सतर्क
एसडीएम ने स्पष्ट संकेत दिया—
“अगली बार बाधा = प्रशासनिक कार्रवाई।”
अब फैसला जिले के शीर्ष अधिकारी पर है कि क्या आरोपी नेता पर अगला कदम उठाया जाएगा।
लेकिन गुरुवार की घटना ने यह साफ कर दिया कि
“शासकीय कार्य में दखल देने वालों की नेतागिरी अब नहीं चलेगी।”

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