छत्तीसगढ़ में सभी समाजों का अनिवार्य पंजीयन कराने का प्रस्ताव, मिलेगी घुसपैठ और फर्जी वोटरों पर रोक

कोरबा। छत्तीसगढ़ में जाति और समाज के आधार पर लोगों का जिला स्तरीय पंजीयन अनिवार्य करने का एक नया प्रस्ताव सामने आया है। राज्य के जीएसटी सलाहकार मोहम्मद रफीक मेमन ने इस संबंध में मुख्यमंत्री को सुझाव भेजते हुए कहा है कि यदि प्रत्येक व्यक्ति का पंजीकरण उसकी जाति, समाज या जमात के आधार पर किया जाए तो इससे प्रदेश की कई गंभीर समस्याओं का स्थायी समाधान निकल सकता है।
क्या है प्रस्ताव ?
इस प्रस्ताव के तहत राज्य के हर नागरिक को अपने धर्म व समाज के अनुरूप जिले में पंजीकृत होना होगा। इसमें हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, पारसी और यहूदी समाज सहित सभी वर्ग शामिल रहेंगे। पंजीकरण की जानकारी समाज या जमात स्तर पर भी सुरक्षित रखी जाएगी।
होंगे ये बड़े फायदे
प्रस्तावक के अनुसार पंजीकरण व्यवस्था से—
- बाहरी राज्यों या देशों से आने वाले घुसपैठियों की पहचान आसान होगी।
- अवैध प्रवासियों और फर्जी दस्तावेज़ धारकों पर रोक लगेगी।
- जातिगत जनगणना की प्रक्रिया सरल हो जाएगी।
- वोटर सूची से फर्जी नाम हट सकेंगे।
- सरकार की योजनाओं का लाभ सीधे वास्तविक पात्रों तक पहुँचेगा।
“मेरी पहचान” के नाम से हो सकता है अभियान
मेमन ने अपने सुझाव में इस योजना का नाम “मेरी पहचान” रखने की बात कही है। उनके मुताबिक, जैसे ही किसी व्यक्ति का जन्म, मृत्यु, विवाह या स्थानांतरण होता है, उसकी जानकारी समाज और प्रशासन दोनों को मिल जाएगी। इससे रिकॉर्ड हमेशा अपडेट रहेगा और भविष्य में एनआरसी या जातिगत जनगणना की अलग से ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
सरकार को भेजा गया प्रस्ताव
प्रस्तावक ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि इस व्यवस्था को कानूनी रूप देकर छत्तीसगढ़ में अनिवार्य रूप से लागू किया जाए। उनका दावा है कि ऐसा होने से प्रदेश की कई सामाजिक और प्रशासनिक समस्याओं पर स्वतः नियंत्रण हो जाएगा।
फिलहाल विचार स्तर पर
हालाँकि, यह योजना अभी केवल प्रस्तावित है और सरकार की ओर से इस पर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि इसे लागू किया गया तो राज्य में नागरिक पंजीयन की प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी हो सकती है।

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