छत्तीसगढ़

जापान और मलेशिया में होने वाले एक्स-पो में शामिल होंगी जेसीबी दीदी

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62 वर्षीय दमयंती सोनी जेसीबी, चेन माउंटेन और हाईवा जैसी भारी मशीनरी वाहनों को आसानी से ऑपरेट कर दे रही अपनी कौशल और साहस का परिचय

 

राजनांदगांव (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। जेसीबी, चेन माउंटेन और हाईवा जैसी भारी मशीनरी वाहनों को आसानी से ऑपरेट कर अपनी कौशल और साहस का परिचय राजनांदगांव विकासखंड के ग्राम खैरझिटी निवासी 62 वर्षीय श्रीमती दमयंती सोनी दे रही है। श्रीमती दमयंती सोनी को जेसीबी दीदी के नाम से भी जानी जा रही है।

जेसीबी दीदी श्रीमती दमयंती सोनी ने बताया कि वे भारी मशीनरी वाहनों के एक्स-पो में शामिल होने देश के साथ विदेशों में भी प्रदर्शन किया है, जिसमें उन्हें सफलता मिली है। उन्होंने बताया कि वे बैंगलोर, दिल्ली, गे्रटर नोएडा, नेपाल, अहमदाबाद के एक्स-पो कार्यक्रम में शामिल हुई है और वहां सफलतापूर्वक अपने हुनर का प्रदर्शन किया है।

ओडि़सा सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर जेसीबी दीदी श्रीमती दमयंती सोनी का सम्मान किया है। जेसीबी दीदी श्रीमती दमयंती सोनी ने बताया कि वे एक्स-पो कार्यक्रम में शामिल होने मलेशिया और जापान जाऐंगी। मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय की पहल से 3 लाख 76 हजार रूपए की राशि मिली है। जिससे वे दिसम्बर 2025 में जापान जायेंगी। अगस्त 2025 में मलेशिया के कार्यक्रम में शामिल होंगी। जहां वे अपने कौशल का प्रदर्शन करेंगी।

जेसीबी वाली दीदी श्रीमती दमयंती सोनी ने बताया कि पति की असामयिक मृत्यु ने उन्हें मजबूत बना दिया और बच्चों के परवरिश की जिम्मेदारी को देखते हुए, उन्होंने जेसीबी चलाना शुरू किया। उन्होंने बताया कि उनके पति स्वर्गीय उत्तम कुमार सोनी किराए से जेसीबी चलाते थे, जिसे वे प्रतिदिन देखती थी। उन्होंने धीरे-धीर जेसीबी चलाना सीख लिया।

पति की मृत्यु के बाद वे जेसीबी चलाने लगी और यही उनकी आजीविका का साधन बना। उन्होंने बताया कि उनके बेटे अनमोल ने इसी वर्ष मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की है। बेटी का विवाह भी हो गया है। 62 वर्षीय श्रीमती दमयंती सोनी ने बताया कि वे एक दिन में 30-35 बार मिट्टी एवं मुरूम हाईवा में भर लेती है।

मशीनरी वाहनों को आपरेट करते हुए कुशलता से चला लेती है। वह वर्ष 2012 से जेसीबी चला रही है। अन्य राज्यों में समय-समय पर होने वाले एक्स-पो में शामिल हुई और वहां अपने हुनर का प्रदर्शन करने का अवसर मिला। सामान्यत: यह माना जाता है कि ऐसे मशीनरी वाहन चलाना पुरूषों का कार्य है, लेकिन उन्होंने हिम्मत जुटाई और जज्बे के साथ इस चुनौतीपूर्ण कार्य को सफलतापूर्वक कर रही है।

 

 
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