छत्तीसगढ़

वन्य प्राणियों के पेयजल व्यवस्था के लिए सासर में टैंकर से पानी भर रहा वन विभाग

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सारंगढ़ बिलाईगढ़ (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। वन विभाग के द्वारा जिले के गोमरडा अभयारण्य के सारंगढ़ और बरमकेला रेंज में वन्य प्राणियों के प्यास बुझाने के लिए 50 सासर (एक कांक्रीट स्थल) में टैंकर से जल उपलब्ध कराया जा रहा है। वन प्रबंधन का यह पेयजल व्यवस्था बेजुबानों वन्य प्राणियों के लिए जीवनदायी साबित हो रहा है। यह जल स्रोत वन्यजीवों के लिए एक महत्वपूर्ण आश्रय बन गया है, जहां वे बिना किसी खतरे के अपनी प्यास बुझा सकते हैं। जंगल में जल संकट हमेशा से ही एक गंभीर समस्या रहा है, खासकर गर्मियों के दौरान जब पानी के स्रोत सूख जाते हैं।

इस समस्या के समाधान के लिए वन विभाग ने सासर जलस्रोत का निर्माण किया, जो अब वन्य प्राणियों के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत बन गया है। इस प्रयास से न केवल बाइसन बल्कि अन्य वन्य प्राणियों जैसे बाघ, तेंदुआ, चीतल भी लाभान्वित हो रहे हैं। उन्हें अब प्यास बुझाने के लिए जंगल के बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे उनकी सुरक्षा भी बनी रहती है। सीमेट से बने इस सासर की खास निगरानी होती है। हर एक सासर का एक प्रभारी नियुक्त किया गया है। टैंकर व वाहन में पानी टंकी रखकर भरता है। व्यवस्था इस प्रकार बनाई गई है कि थोड़ा भी पानी खाली होता है, तत्काल इसकी सूचना प्रभारी के द्वारा दिया जाता है। इसके बाद वन अमला तत्काल पानी भरने के लिए पहुंच जाता है। सासर जल स्रोत के निर्माण से वन्य प्राणियों के जीवन में पेयजल संकट का निवारण हुआ है। यह एक स्थायी समाधान है, जो न केवल प्यास बुझाता है बल्कि वन्यजीवों के संरक्षण में भी मदद करता है। इस पहल से न केवल वन्य प्राणियों को राहत मिली है, बल्कि यह भी साबित होता है कि प्रकृति के साथ संतुलन बनाए रखते हुए हम वन्यजीवों के जीवन को बेहतर बना सकते हैं।

 
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