छत्तीसगढ़

डी एफ ओ मनीष कश्यप की अनूठी पहल – पलाश पेड़ों से ग्रामीणों को मिला रोजगार

Spread the love
Listen to this article

 37 गाँवों के 400 कृषकों ने शुरू किया लाख पालन

 

रायपुर । छत्तीसगढ़ में पलाश पेड़ों की भरमार है। पलाश पेड़, जिसे छत्तीसगढ़ी में परसा कहा जाता है, खेतों की मेंड़ों में अक्सर पाए जाते हैं। इसके बावजूद इसका कोई व्यावसायिक उपयोग नहीं हो पा रहा है। लेकिन ये पेड़ लाख-पालन के लिए अत्यंत उपयुक्त होते हैं। इनमें रंगीनी लाख का पालन होता है।

 

यदि इन पलाश पेड़ों का उपयोग हो, तो ये किसान को खेती के अलावा अतिरिक्त आय दे सकते हैं। इससे छत्तीसगढ़ राज्य से होने वाले पलायन को रोका जा सकता है। खेती-किसानी के अलावा कृषकों के पास दूसरी आय का साधन नहीं होता।

मनेंद्रगढ़ ज़िले के गाँवों में भी पलाश पेड़ अच्छी संख्या में उपलब्ध हैं। मनेंद्रगढ़ क्षेत्र में पूर्व में लाख-पालन होता रहा है, परंतु कालांतर में मौसम के प्रतिकूल प्रभाव और वैज्ञानिक तकनीक के अभाव में लाख-पालन समाप्त हो गया। ग्रामीणों से चर्चा करने पर ग्राम भौता, नारायणपुर, छिपछिपी एवं बुन्देली ग्राम के कृषकों ने लाख-पालन के लिए उत्सुकता दिखाई।

ऐसी स्थिति में अक्टूबर–नवंबर 2023–24 में पहली बार भौता समिति के भौता, नारायणपुर, छिपछिपी, बुंदेली गाँव में तथा जनकपुर चांटी, जरडोल गाँव के पास 34 कृषकों को 2.54 क्विंटल लाख बीहन (बीज) लाकर दिया गया और 276 पेड़ों में संचरण कराया गया। इसके पश्चात जून–जुलाई 2024–25 में पुनः समिति भौता एवं बेलबहरा के 3 गाँवों में 0.74 क्विंटल बीहन 4 कृषकों के 80 पेड़ों में लगवाया गया।

इसके बाद अक्टूबर 2024–25 में 5 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियाँ — भौता, बेलबहारा, माड़ीसरई, जनकपुर, जनुवा — के 9 गाँवों में 126 कृषकों द्वारा 3117 पलाश पेड़ों में बीहन लाख का संचरण किया गया।

 

इसके पश्चात जुलाई 2025 में 10 प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों के 27 गाँवों के 205 कृषकों द्वारा 2037 पलाश पेड़ों में 25.50 क्विंटल बीहन लाख का संचरण किया गया, जिसमें से 20.45 क्विंटल बीहन लाख का उत्पादन जिले के ही कृषकों द्वारा किया गया तथा शेष 4.05 क्विंटल बीहन बलरामपुर से लाया गया।

अक्टूबर 2025 में 37 गाँवों के 400 कृषकों के यहाँ कुल 6 हजार पेड़ों में 60 क्विंटल बीहन लाख लगवाया गया। सभी लाख यहाँ के किसानों द्वारा ही उत्पादन किया गया था। इसे हर वर्ष 3 गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। अगले वर्ष तक यह पूरे ज़िले में फैल जाएगा।

 

लाख-पालन की सबसे बड़ी समस्या बीहन लाख (बीज) की होती है, क्योंकि इसे दूसरे स्थान से लाना कठिन होता है। जिस गति से मनेंद्रगढ़ लाख उत्पादन में आगे बढ़ रहा है, यह संभव है कि भविष्य में पूरे छत्तीसगढ़ को बीहन लाख की सप्लाई यहीं से हो। वर्तमान में लाख-उत्पादन में झारखंड पहले नंबर पर है और छत्तीसगढ़ दूसरे नंबर पर। राज्य में देखें तो मनेंद्रगढ़ पहले स्थान पर है।

यदि इसका cost-benefit analysis करें तो जितना लाख बीज के रूप में पेड़ में लगाया जाता है, उसका लगभग 2.5 गुना उत्पादन हो जाता है। अर्थात नेट फायदा लगभग डेढ़ गुना होता है। कई किसान यहाँ 30–40 हजार रुपए तक कमा रहे हैं।

केस स्टडी :

समिति भौता
ग्राम – छिपछिपी
कृषक का नाम – सर्वजीत सिंह
2023 अक्टूबर–नवंबर : क्रय बीहन 40 किलो, 45 वृक्ष, राशि 10,000.00
2024 अक्टूबर–नवंबर : विक्रय बीहन 150 किलो, राशि 37,500.00
2025 जुलाई : विक्रय 125 किलो, राशि 31,250.00
दो साल का नेट प्रॉफिट – ₹58,000

समिति भौता
ग्राम – नारायणपुर
कृषक का नाम – उदयनारायण
2024 अक्टूबर–नवंबर : क्रय बीहन 60 किलो, 70 वृक्ष, राशि 15,000.00
2025 जुलाई : विक्रय बीहन 150 किलो, राशि 37,500.00
एक साल का नेट प्रॉफिट – ₹22,500

 
HOTEL STAYORRA नीचे वीडियो देखें
Gram Yatra News Video

Live Cricket Info

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button