छत्तीसगढ़

संतान की सुख-समृद्धि के लिए महिलाओं ने मनाया कमरछठ पर्व

भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्मदिन (हलषष्ठी, कमरछठ) के उपलक्ष्य में मनाया जाता है कमरछठ पर्व आज, 280 से 300 रु. किलो बिका पसहर चावल

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रायपुर। भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्मदिन (हलषष्ठी, कमरछठ) मनाया गया। संतान की सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं निर्जला व्रत रखी और सगरी बना कर पूजा की। महिलाएं अपने बच्चों की पाठ पर छुई का पोता लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना की।
इस दिन पसहर चावल खाने की परंपरा है। इसलिए बाजार में पसहर चावल इस बार 280-300 रुपए प्रति किलो में बिका। साथ ही 7 प्रकार की भाजी भी खाई जाती है। यह भी बाजार में 40 रुपए पाव में बिका। साथ ही महुआ, चना, भैंस के दूध, दही, घी, जौ, गेहूं, धान मक्का आदि का भी महत्व है। राजधानी में कई स्थानों पर सगरी बना कर पूजा कराई गई। महिलाएं सगरी में पूजा कर कथा सुनी। इसमें पसहर चावल व भाजी का भोग लगाया गया। इसके बाद प्रसाद ग्रहण कर महिलाएं अपना व्रत तोड़ी।
हल की पूजा का प्रावधान-मान्यतानुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। यही वजह है कि इस अवसर पर उनके अस्त्र हल व बैल की भी पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन हल से जुते हुए अनाज व सब्जियों का सेवन नहीं किया जाता है। इस दिन गाय के दूध व दही इस्तेमाल में नहीं किया जाता है।
सगरी बना कर महिलाओं ने की पूजा, सुनी कहानी
महिलाएं सुबह से ही करंज के पेड़ का दातून कर, स्नान कर व्रत धारण करती हैं। भैंस के दूध की चाय पीती हैं। दोपहर के बाद घर के आंगन, मंदिर या गांव के चौपाल आदि में सगरी बनाकर, उसमें जल भरते हैं। सगरी का जल, जीवन का प्रतीक है। इसे बेर, पलाश, गूलर आदि पेड़ों की डाल व काशी के फूल से सजाते हैं। सामने एक चौकी या पाटे पर गौरी-गणेश, कलश रखकर हलषष्ठी देवी की मूर्ति (भैंस के घी में सिंदूर से मूर्ति बनाकर) उनकी पूजा की। सुहाग की सामग्री भी चढ़ाते हैं। हलषष्ठी माता के कहानी सुनते हैं। इसके बाद पूजा पूरी होती है। तब महिलाओं ने पसहर चावल का प्रसाद ग्रहण करती हैं।

 
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