
कोरबा/कटघोरा : साल 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में सूबे की 11 में से केवल 1 कोरबा लोकसभा सीट पर भले ही कांग्रेस ने जीत हासिल की हो, लेकिन इस सीट के अंतर्गत आने वाली कोरबा विधानसभा में पार्टी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था। भाजपा ने यहां 52,000 से अधिक वोटों की बढ़त बनाई थी, जो यह दर्शाता है कि कांग्रेस के अंदर गहरी फूट और गुटबाजी जारी है। खुद सांसद बनी ज्योत्सना महंत इस वाक्यों को समझ रही थी लेकिन बीती रात कटघोरा में जिला कांग्रेस अध्यक्ष ग्रामीण सुरेंद्र प्रताप जायसवाल और पूर्व ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. शेख इश्तियाक के बीच सार्वजनिक रूप से हुए विवाद ने पार्टी की अंदरूनी कलह को पूरी तरह उजागर कर दिया है।
क्यों हुई इतनी बड़ी हार ?
कोरबा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत कुल आठ विधानसभा सीटें आती हैं, लेकिन कांग्रेस को सबसे बड़ी हार कोरबा विधानसभा में ही मिली। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस हार की प्रमुख वजह कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी और कमजोर संगठन रहा। कार्यकर्ताओं और स्थानीय नेताओं के बीच तालमेल की कमी साफ नजर आई, जिसका सीधा फायदा भाजपा को मिला। यह तो कांग्रेस की किस्मत अच्छी थी कि उसको जीत मिल गई वरना कोरबा के नेताओ में हार का पूरा रोडमैप तैयार कर रखा था।
कटघोरा में कांग्रेस नेताओं की खुलेआम भिड़ंत
पार्टी में बढ़ती फूट और हार के कारण कांग्रेस नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला तेज हो गया है। इसका ताजा उदाहरण तब देखने को मिला जब कटघोरा में नगर पालिका अध्यक्ष और पार्षदों के शपथ ग्रहण समारोह के बाद कांग्रेस के दो गुट आपस में भिड़ गए।
इस दौरान जिला कांग्रेस अध्यक्ष सुरेंद्र प्रसाद जायसवाल और पूर्व ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. शेख इश्तियाक के बीच तीखी बहस हो गई, जो देखते ही देखते सड़क पर चीखने-चिल्लाने और गंभीर आरोप-प्रत्यारोप में बदल गई। मामला इतना बढ़ गया कि वहां मौजूद कार्यकर्ताओं को हस्तक्षेप कर दोनों नेताओं को अलग करना पड़ा। इस झगड़े का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है, जिससे पार्टी की स्थिति और कमजोर होती दिख रही है।
क्या बोले कांग्रेस नेता ?
झगड़े के दौरान डॉ. शेख इश्तियाक गुस्से में कहते नजर आए, “मैंने सरोज पांडे का पैसा नहीं खाया, मैं तुमसे ज्यादा बड़ा कांग्रेसी हूं।” जवाब में सुरेंद्र प्रसाद जायसवाल बोले, “मेरे पास सबूत हैं कि पैसा लिया गया है।” इस तरह कांग्रेस नेताओं की आपसी कलह अब जनता के सामने खुलकर आ गई है।
अब आगे क्या ?
कांग्रेस की यह स्थिति पार्टी कार्यकर्ताओं में असंतोष और हताशा बढ़ा रही है। विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद, अगर पार्टी इस अंदरूनी कलह को नहीं रोक पाई तो आगामी वीएस चुनावों में उसे और बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। कोरबा जिले में कांग्रेस की पकड़ लगातार कमजोर होती जा रही है, और अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी नेतृत्व इस संकट को कैसे संभालता है।