June 26, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
राज्यपाल ने गोद ग्राम सोनपुरी के विकास कार्यों का लिया जायजामंत्रिमंडलीय उप समिति का फैसला : चावल जमा की समय-सीमा 5 जुलाई तक बढ़ीपद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे के निधन पर सांसद बृजमोहन ने जताया गहरा शोकपद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे के निधन पर सीएम साय ने जताया शोकसुदूर अंचल में वन विभाग की ऐतिहासिक पहल, कूप कटाई और वन संसाधनों से ग्रामीणों को मिला नया सहाराकेंद्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू ने मीसा बंदियों का किया सम्मानहितग्राही 10 प्रतिशत अंशदान की राशि जमा कर लाटरी में भाग लेवेशादी का झांसा देकर किया रेप,अपराधी गिरफ्तारझोल्टू गिरफ्तार, आजाद चौक पुलिस ने इस अपराध में पकड़ाअबूझमाड़ में दो महिला नक्सली ढेर
Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

रायपुर। बीएसएफ से राज्य पुलिस में आए अधिकारी यशपाल सिंह को दिए गए आईपीएस अवार्ड को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मामले में गंभीरता दिखाते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव और संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) के सचिव को पत्र भेजकर जांच के निर्देश दिए हैं।

यशपाल सिंह वर्तमान में मोहला-मानपुर जिले के पुलिस अधीक्षक के रूप में पदस्थ हैं। उन पर आरोप है कि उनके खिलाफ आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) में जांच लंबित होने के बावजूद उन्हें वर्ष 2019 में आईपीएस अवार्ड प्रदान किया गया। यह मामला तब और गंभीर हो गया जब रायपुर के सामाजिक कार्यकर्ता विवेक कुमार सिंह ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में इस अवार्ड के खिलाफ शिकायत की और CBI जांच की मांग की।

सूत्रों के अनुसार, पीएमओ ने यह शिकायत केंद्रीय गृह मंत्रालय को अग्रेषित कर दी, जिसके बाद मंत्रालय ने दिनांक 13 जून 2025 को मुख्य सचिव व UPSC सचिव को पत्र भेजते हुए स्पष्ट रूप से यह कहा कि –

“हालांकि मंत्रालय की भूमिका इस अवार्ड प्रक्रिया में सीमित है, परंतु आरोपों की गंभीरता को देखते हुए त्वरित कार्रवाई आवश्यक है।”

शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि इस चयन प्रक्रिया में नियमों को दरकिनार कर गलत तरीके से वरिष्ठता प्रदान की गई और कैडर नियमों का उल्लंघन हुआ है। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ पीएससी और पुलिस अधिकारी संघ ने पहले भी यशपाल सिंह की नियुक्ति को कैडर व्यवस्था के विपरीत बताया था।

चौंकाने वाली बात यह है कि जब UPSC की चयन समिति ने यशपाल सिंह को आईपीएस अवार्ड के लिए चयनित किया, उस वक्त भी उनके खिलाफ EOW में जांच लंबित थी। अब मंत्रालय ने यह जानने के निर्देश दिए हैं कि

  • क्या नियुक्ति प्रक्रिया में किसी तरह की अनियमितता हुई?
  • और क्या UPSC को यशपाल सिंह के विरुद्ध लंबित जांच की जानकारी थी?

यह मामला प्रशासनिक पारदर्शिता, निष्पक्षता और न्याय के सिद्धांतों की कसौटी पर है, जिसकी निष्पक्ष जांच न केवल यशपाल सिंह के भविष्य को तय करेगी, बल्कि देशभर के IPS चयन प्रक्रियाओं की साख पर भी असर डालेगी।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close