
कोरबा। समग्र शिक्षा के तहत कार्यरत एक महिला अधिकारी द्वारा जिला मिशन समन्वयक (डीएमसी) मनोज पांडेय पर लगाए गए मानसिक एवं शारीरिक प्रताड़ना के आरोपों की प्रशासनिक जांच पूरी हो चुकी है। कलेक्टर अजीत वसंत के निर्देश पर गठित जिला स्तरीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें शिकायत में किए गए गंभीर आरोपों की पुष्टि नहीं हो सकी है। राजनीति के शिकार हो रहे पाण्डेय के लिए ये राहत की ख़बर है।
दरअसल प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की थी। समिति में डिप्टी कलेक्टर श्रीमती ऋचा सिंह को अध्यक्ष बनाया गया, जबकि सदस्य के रूप में जिला कार्यक्रम अधिकारी (महिला एवं बाल विकास) श्रीमती रेणु प्रकाश और संरक्षण अधिकारी (नवबिहान, डब्ल्यूसीडी) श्रीमती रजनी मारिया को शामिल किया गया था।
जांच रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:
- महिला अधिकारी द्वारा प्रस्तुत शिकायत में मानसिक एवं शारीरिक प्रताड़ना के आरोप लगाए गए थे, परंतु जांच के दौरान उनके समर्थन में कोई ठोस दस्तावेजी या डिजिटल साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया।
- मौखिक शिकायतों की भी पुष्टि समिति के समक्ष उपलब्ध तथ्यों के आधार पर नहीं हो सकी।
- गवाहों ने स्वीकार किया कि डीएमसी द्वारा कभी-कभी कार्यस्थल पर ऊंचे स्वर में संवाद किया गया, किंतु किसी भी प्रकार की प्रताड़ना या अशोभनीय व्यवहार की पुष्टि नहीं की गई।
- रिपोर्ट में उल्लेख है कि “मर्यादा में रहो” जैसे शब्द का प्रयोग हुआ था, जिसे आवेदिका ने आपत्तिजनक माना, किंतु समिति ने इसे प्रताड़ना की श्रेणी में मान्य नहीं माना।
- समिति ने यह भी इंगित किया कि कार्यालयीन कार्यों के दौरान तनावपूर्ण संवाद असामान्य नहीं हैं, परन्तु उन्हें मर्यादित सीमा में रखा जाना चाहिए।
शिकायत की पूरी स्क्रिप्ट ऐसे हुई तैयार !
विभागीय सूत्रों के मुताबिक यह पूरी शिकायत की स्क्रिप्ट एक निर्णय के बाद तैयार कराई गई। कहते है डीएमसी ने एक पुरुष एपीसी को सौंपे गए कार्य को वापस लेते हुए उसे एक ही रात में पावरफुल से पॉवर लेस कर दिया। यही से शुतु हुई बदले की कहानी, एक ऐसी कहानी जिसका न कोई और था न छोर, पहले महिला अधिकारी ने सीईओ जिला पंचायत को शिकायत की, फिर एक महीने बाद शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष को, लेकिन प्रशासन की जांच में सब सच सामने आ गया।
