March 15, 2025 | 4:03:46

NEWS FLASH

Latest News
सीडी कांड में CBI ने लगाई रिवीजन याचिका, पूर्व सीएम की मुश्किलें बढ़ीं…राज्यपाल को मुख्यमंत्री ने दी होली की शुभकामनाएंतहसीलदार की कार्रवाई से परेशान किसान ने जहर पिया, हालत नाजुकबालको की उन्नति से जुड़ी स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बनाया हर्बल गुलालमहिला समूहों का हुनर, आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता कदमभालुओं के हमले में सफाई कर्मी घायल, राहगीरों ने पहुँचाया अस्पतालस्वरोजगार योजनांतर्गत सहायता से संचिता ने पैतृक व्यवसाय को दी नई दिशाअंधविश्वास एवं सामाजिक कुरीतियों का होगा प्रतीकात्मक होलिका-दहनसमूह की महिलाओं ने कलेक्ट्रेट मे लगाए हर्बल गुलाल क़ा स्टॉलस्वच्छता दीदियों को कचरा प्रबंधन के संबंध में दिया गया प्रशिक्षण
छत्तीसगढ़

Chhattisgarh Elections : नक्सल प्रभावित इलाकों में चुनौती बरकरार

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

रायपुर – छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव के दौरान नक्सल प्रभावित इलाकों में चुनौतियां पहले से कम तो हुई हैं, मगर पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है।

लिहाजा इस बार के विधानसभा चुनाव भी शासन-प्रशासन से लेकर सुरक्षा बलों के लिए भी बड़ी चुनौती रहने वाले हैं। छत्तीसगढ़ देश के उन राज्यों में से है जहां नक्सल प्रभावित क्षेत्र के साथ वहां हुई वारदातें चर्चाओं में रहती हैं। यही कारण है कि नवंबर माह में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सबकी नजर यहां के उन विधानसभा क्षेत्र पर है, जिन्हें नक्सल प्रभावित माना जाता है।

राज्य में दो चरणों में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने वाला है। पहला चरण सात नवंबर को और दूसरा 17 नवंबर को। यहां की 90 विधानसभा सीटों में से 20 विधानसभा सीटें नक्सल प्रभावित मानी गई हैं, जिनमें से 12 बस्तर संभाग और आठ राजनांदगांव की है। इन क्षेत्रों में मतदान सात नवंबर को होगा। राज्य में पहले चरण में जिन नक्सल प्रभावित 20 विधानसभा सीटों पर मतदान होने वाला है उनमें से 19 स्थान पर कांग्रेस का कब्जा है।

बस्तर संभाग तो पूरी तरह भाजपा मुक्त है जबकि राजनांदगांव की आठ विधानसभा सीटों में से सात पर कांग्रेस और एक पर भाजपा का कब्जा है। इन इलाकों को नक्सली गतिविधियों के चलते चुनाव आयोग ने गंभीर माना है और यही कारण है कि पहले चरण में इन सीटों पर मतदान कराया जा रहा है।

केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार दोनों की ओर से समय-समय पर नक्सल प्रभावित जिलों को लेकर जारी की गई जानकारी में इस बात की पुष्टि होती है कि बीते कुछ समय में छत्तीसगढ़ में माओवादी हिंसा में बड़े पैमाने पर कमी आई है।

यही कारण है कि इस बार अति संवेदनशील मतदान केेद्रों की संख्या वर्ष 2018 की तुलना में कुछ कम रहेगी। हां यह जरूर कहा जा रहा है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र का दायरा पहले के मुकाबले कुछ बढ़ा हकी सुरक्षा के खास इंतजाम इस इलाके में किए जा रहे हैं।

जानकारी के मुताबिक, इन स्थानों पर माओवादियों की गतिविधियों पर अंकुश लगे और वह मतदान में किसी तरह का परेशानी पैदा न कर सके, इसके लिए 50 हजार से ज्यादा अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती किए जाने की तैयारी है। नक्सली संगठन चुनाव बहिष्कार का ऐलान करने के साथ-साथ आम मतदाता को धमकाते भी हैं ।

यहां छत्तीसगढ़ पुलिस के अलावा केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवानों को भी तैनात किया जा रहा है। वहीं चुनाव आयोग और प्रशासनिक अमले ने उन क्षेत्रों को भी चिन्हित कर लिया है जहां अतिरिक्त सुरक्षा की जरूरत है।

नक्सली हिंसा और किसी भी तरह की वारदात को रोकने के मकसद से केंद्र सरकार ने राज्य के 24 नेताओं को विशेष सुरक्षा प्रदान की है ताकि कोई भी राजनेता इन समाज विरोधी तत्वों के निशाने पर न आ सके।

इस पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं और मीडिया विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला का कहना है कि केंद्र ने यह फैसला राज्य को बदनाम करने के लिया है, जबकि राज्य में नक्सली गतिविधियां पहले के मुकाबले बहुत कम हुई हैं।

उन्होंने यह भी सवाल किया कि जिन नेताओं को यह सुरक्षा मुहैया कराई गई है, क्या उन्होंने कभी राज्य अथवा केंद्र सरकार को सुरक्षा के संबंध में आवेदन किया भी था। कांग्रेस और दूसरे दलों के नेताओं को सुरक्षा क्यों नहीं दी गई। राज्य में पहले चरण में जिन इलाकों में चुनाव होना है वह मुख्य रूप से जनजाति बाहुल्य है और भाजपा के लिए इसमें घुसपैठ करना आसान नहीं है।

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व  मुख्यमंत्री रमन सिंह का कहना है कि जनजातीय वर्ग के बीच भाजपा की स्थिति में सुधार हुआ है। पिछली बार हमें सफलता नहीं मिली थी मगर इस बार स्थितियां बदली हुई हैं और भाजपा बड़ी संख्या में जीत दर्ज करेगी।

प्रशासन और सुरक्षा बलों के लिए चुनावी समय सबसे अहम हैं। सुकमा जिले के झीरम घाटी में मई 2013 को नक्सलियों ने एक वारदात की थी, जिसमें कांग्रेस के 27 नेता शहीद हुए थे। संभवतः देश की सबसे बड़ी राजनीतिक हिंसा की घटना थी।

इस वारदात में कांग्रेस की एक पूरी पंक्ति के नेता मार दिए गए थे। इसके बाद लगातार नक्सलियों की गतिविधियां जारी रही हैं। हां यह बात जरूर है कि पिछले कुछ समय में इनकी वारदातों पर अंकुश लगा है।

ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close