कोरबा।
शहर आज एक ऐसी बुज़ुर्ग हस्ती से महरूम हो गया, जिनके व्यक्तित्व में सादगी, इंसानियत, तहज़ीब और दुआओं की खुशबू बसी हुई थी। अधिवक्ता एवं पार्षद अब्दुल रहमान की अम्मी और ग्राम यात्रा न्यूज़ नेटवर्क के संपादक अब्दुल सुल्तान की माता मरहूमा नूर जहाँ का शुक्रवार तड़के करीब 4 बजे रज़ा-ए-इलाही से इंतकाल हो गया। उनके निधन की खबर ने पूरे क्षेत्र में एक गहरा सन्नाटा छोड़ दिया।
सीधी-सादी ज़िंदगी… लेकिन लोगों के दिलों पर अमिट छाप
नूर जहाँ उन चुनिंदा महिलाओं में थीं जिनका जीवन दिखावे से दूर, लेकिन इबादतों से रौशन था। उनका घर हमेशा मेहमान-नवाज़ी, प्यार और अपनापन का ठिकाना माना जाता था। वे कम बोलकर भी लोगों का दिल जीत लेती थीं।
मोहल्ले की कई महिलाओं ने रोते हुए कहा—
“अम्मी हर दुख में साथ खड़ी रहती थीं। कभी किसी का मन नहीं दुखाया। जितनी खामोश थीं, उतनी ही दिल से बड़ी।”
बुज़ुर्गों के प्रति सम्मान और बच्चों के प्रति दुलार उनका स्वभाव था। पड़ोस के लोग उन्हें वास्तविक अर्थों में “मोहल्ले की अम्मी” कहा करते थे, क्योंकि वे हर घर की खुशी-दुख में शरीक रहती थीं। उनके जाने से समाज एक नेकदिल इंसान से वंचित हो गया है।
इबादतगुज़ार और खुद्दार व्यक्तित्व
मरहूमा नूर जहाँ तहेदिल से इबादत करने वाली, अल्लाह के फैसले पर सदैव राज़ी रहने वाली शख्सियत थीं। पांच वक्त की नमाज़, रोज़ा, सदका—ये सब उनकी दिनचर्या का हिस्सा थे।
परिवार के करीबियों ने बताया कि नूर जहाँ हमेशा बच्चों को यही नसीहत देती थीं—
“नेकी कमाना, किसी को तकलीफ मत देना।”
उनकी यही सीख आज उनके बच्चों, रिश्तेदारों और समाज में उनके चाहने वालों के दिलों में रोशनी बनकर मौजूद है।
परिवार और समाज दोनों के लिए स्तंभ थीं
अब्दुल रहमान और अब्दुल सुल्तान जैसे संवेदनशील और समाजिक रूप से सक्रिय बेटों की परवरिश में उनकी भूमिका को हर जानकार स्वीकार करता है।
लोगों ने कहा—
“नूर जहाँ जैसी माँ की दुआएँ ही थीं कि उनके बेटे समाज के लिए काम कर रहे हैं।”
जनाज़े की नमाज़ दोपहर 2 बजे
परिवार की ओर से मिली सूचना के अनुसार,
जनाज़े की नमाज़ आज बाद नमाज़-ए-जुहर, दोपहर 2 बजे पुरानी बस्ती, कोरबा कब्रिस्तान में अदा की जाएगी।
सभी परिचितों और चाहने वालों से दुआ और अंतिम विदाई में शामिल होने की अपील की गई है।
ग्राम यात्रा की श्रद्धांजलि
ग्राम यात्रा न्यूज़ नेटवर्क, मरहूमा नूर जहाँ की रूह की मग़फ़िरत की दुआ करता है और कहता है—
“अल्लाह पाक, अपने हबीब के सदके, मरहूमा को जन्नतुल फ़िरदौस में बुलंद मुकाम अता फरमाए।”
आमीन।

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