कोरबा/रायपुर।
छत्तीसगढ़ की सियासत में अगर कोई ऐसा “राजनीतिक धोड़ा” है जो हर बार ढाई घर की चाल चलकर अपनी ही पार्टी को चौंका देता है — तो वो हैं भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर।
कंवर वो शख्स हैं जो सत्ता में रहते सरकार के गले की फांस बने रहते हैं, और जब विपक्ष में होते हैं तो अपनी ही पार्टी की मुश्किल बढ़ा देते हैं।
इस बार उन्होंने फिर वही किया है — अपने ही बेटे के कंधे पर बंदूक रख दी और सवाल दाग दिया —
“मेरे बेटे को शराब किसने पिलाई ?”
कलेक्टर के बाद अब DGP पर लेटर वार
पिछले कुछ दिनों से ननकीराम कंवर का सियासी निशाना प्रशासन पर लगा हुआ है।
पहले कोरबा कलेक्टर अजीत वसंत पर आरोप लगाए, अब DGP को दो पन्नों की चिट्ठी भेजकर नए विवाद को हवा दे दी।
पत्र में उन्होंने लिखा है —
“4 अक्टूबर को रायपुर में धरने के दिन मेरे पुत्र संदीप कंवर को शराब पिलाकर विवाद में फंसाया गया, ताकि मेरा विरोध कमजोर हो जाए।”
कंवर का दावा है कि उनके आंदोलन को असफल करने के लिए यह सुनियोजित चाल थी।
बेटे के किस्से प्रदेश में मशहूर
लेकिन सियासत में सबकी याददाश्त इतनी छोटी नहीं होती।
ननकीराम जी के बेटे संदीप कंवर के “शराबी किस्से” तो पूरा प्रदेश जानता है।
तीन साल पहले, जब वो जिला पंचायत सदस्य थे, कोरबा बस स्टैंड में शराब के नशे में हंगामा करने का उनका वीडियो खूब वायरल हुआ था।
अब वही संदीप फिर चर्चा में हैं — और इस बार पिता की वजह से नहीं, बल्कि पिता के बयान से।
लोग तंज कस रहे हैं —
“जिस बेटे के कारण पहले शर्मिंदा हुए, अब उसी के नाम पर सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं!”
रायपुर धरने की ‘शिवतांडव’ कहानी
4 अक्टूबर को रायपुर में मुख्यमंत्री निवास के सामने कंवर का धरना होना था।
उस दिन उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें गहोई भवन में “हाउस अरेस्ट” किया गया। उस दिन मानो ननकीराम को शिव तांडव करने का सुरूर चढ़ा था तभी कभी पुलिस से उलझते तो कभी कुर्सी को ही फरसे के जैसे उठा लेते। तो कभी हथौड़ी मांगते तो कभी रॉड, लेकिन उसी दिन संदीप कंवर मीडिया के सामने बोले —
“मेरे पिता पूरी तरह सुरक्षित हैं, वे मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष से मिलने जा रहे हैं।”
यानी बेटे ने उस वक्त सरकार का बचाव किया, मगर चार दिन बाद पिता ने वही घटना “साजिश” बता दी।
अब सवाल उठ रहा है —
क्या यह बाप-बेटे की समझ में फर्क है या राजनीति की नई चाल ?
भाजपा में असहजता, कांग्रेस में ठहाका
कंवर के बयान ने भाजपा की सियासी नींद उड़ा दी है।
भाजपा नेताओं के लिए यह ‘घर की बात बाहर आने’ जैसा मामला है।
लेकिन विपक्ष इसे खुलकर भुना रहा है।
पीसीसी चीफ दीपक बैज ने चुटकी ली —
“भाजपा में तीसरा सच्चा मर्द अगर कोई है, तो वो ननकीराम हैं।”
वहीं सीएलपी लीडर डॉ चरणदास महंत ने कहा —
“कंवर जैसे लोग ही सच बोलने की हिम्मत रखते हैं।”
जयसिंह अग्रवाल के मामले में ननकीराम ने पहले विरोध किया, फिर 12 घंटे के भीतर समर्थन कर दिया —
राजनीतिक गलियारों में इसे “कंवर की चाल में फंसना” कहा जा रहा है।
“छत्तीसगढ़ के विपक्ष ने नहीं, ननकीराम ने कर दी सरकार की फजीहत”
व्हाट्सएप ग्रुपों में एक मैसेज जोर पकड़ चुका है —
“छत्तीसगढ़ के विपक्षी दलों ने सरकार की उतनी फजीहत नहीं की, जितनी ननकीराम कंवर ने खुद कर दी है।
बेटे के पहले से कई किस्से मशहूर हैं, अब नया वीडियो आग में घी डाल रहा है।”
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है,
जो रायपुर धरने के दिन का बताया जा रहा है,
हालांकि प्रशासन ने उसकी प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं की है।
लेकिन इतना तय है कि इस वीडियो ने कंवर बनाम कंवर की सियासत को और मज़ेदार बना दिया है।
कंवर की ढाई चाल — हमेशा अपनों पर भारी
कंवर की सियासत हमेशा एक ही पैटर्न पर चलती है —
वो विपक्ष को मात नहीं, अपने ही लोगों को शह देते हैं।
जब सत्ता में रहते हैं तो सरकार पर सवाल उठाते हैं,
और जब विपक्ष में होते हैं, तो उसी सरकार की तारीफ कर देते हैं।
राजनीति के जानकार कहते हैं —
“कंवर की चाल कभी सीधी नहीं रही — वो चलते भी हैं, तो आधा घर अपने ही खेमे में काट जाते हैं।”
भाजपा की मुश्किल बढ़ी
पार्टी के भीतर अब यह चर्चा खुलकर हो रही है कि कंवर को अनुशासन में लाया जाए या नजरअंदाज किया जाए।
एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा —
“ननकीराम जी की बातों से जनता में गलत संदेश जा रहा है, लेकिन कोई कुछ कहने की हिम्मत नहीं कर रहा। वो वरिष्ठ हैं, इसलिए सब खामोश हैं।”
ननकीराम कंवर — भाजपा की सरकार के लिए वरदान या वरज्य ?
ननकीराम कंवर का यह नया बयान छत्तीसगढ़ भाजपा के लिए उस पहेली जैसा है जिसका हर जवाब अंदर से ही आता है।
कांग्रेस मुस्कुरा रही है,
सरकार चुप है,
और जनता कह रही है —
“कंवर राजनीति में नहीं, राजनीति कंवर में बसी है।”
https://youtu.be/1N9G6974kUQ?si=8tRZMm3_76rrtrBB

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