छत्तीसगढ़

डूबते सूर्य को छठ व्रतियों ने दिया अर्घ्य, घाटों पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

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कोरबा में लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का भव्य आयोजन, प्रशासन ने की सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था

कोरबा लोक आस्था के महापर्व छठ का उत्सव सोमवार को पूरे कोरबा जिले में श्रद्धा, भक्ति और आस्था के वातावरण में मनाया गया। शाम होते ही जिले के विभिन्न छठ घाटों पर हजारों की संख्या में श्रद्धालु और व्रती महिलाएं जुटीं, जिन्होंने डूबते हुए सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया। इस दौरान घाटों पर छठी मइया के गीतों की गूंज के साथ भक्ति का अनोखा दृश्य देखने को मिला।

छठ पर्व के तीसरे दिन सोमवार को श्रद्धालु महिलाएं दिनभर व्रत रखकर शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य देने घाटों पर पहुंचीं। कोरबा नगर सहित आसपास के क्षेत्रों—बालको, एनटीपीसी जमनीपाली, दीपका, कुसमुंडा, कटघोरा, बाकी मोगरा, हरदीबाजार, और दर्री—में छठ घाटों का नजारा अत्यंत मनमोहक रहा। श्रद्धालु महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में सजे टोकरी में फल, ठेकुआ, नारियल, केला, ईख और अन्य पूजन सामग्री लेकर घाटों पर पहुंचीं। डूबते सूर्य को अर्घ्य देते समय वातावरण में भक्ति, संगीत और लोकगीतों की मधुर धुनें गूंजती रहीं।

छठ पूजा के आयोजन को देखते हुए जिला प्रशासन और नगर निगम ने घाटों पर विशेष व्यवस्था की थी। सुरक्षा, स्वच्छता, प्रकाश व्यवस्था और यातायात प्रबंधन को लेकर प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद रहा। पुलिस बल के साथ ही होमगार्ड जवानों को भी घाटों पर तैनात किया गया था। साथ ही नगर निगम द्वारा घाटों की सफाई, रास्तों पर रोशनी और अस्थायी बैरिकेडिंग की व्यवस्था की गई थी, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

कोरबा के प्रमुख घाटों—रानी सागर, बालको बंधा, देवनगर तालाब, दर्री जलाशय, जमनीपाली तालाब, कुसमुंडा तालाब और कटघोरा के रानीतालाब—में व्रतियों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। महिलाएं परिवार के साथ समूह में पारंपरिक गीत गाते हुए सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करती रहीं। वहीं आसपास के क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु इन घाटों पर पहुंचे।

भक्ति और आस्था से ओतप्रोत यह आयोजन देर शाम तक चलता रहा। श्रद्धालुओं ने सूर्यास्त के बाद घाटों पर दीप प्रज्ज्वलित किए और छठी मइया से अपने परिवार के सुख-समृद्धि की कामना की।

अब मंगलवार की सुबह उदयमान सूर्य को अर्घ्य देकर चार दिवसीय छठ पर्व का समापन होगा। व्रतियों ने बताया कि इस पर्व का हर क्षण आत्मिक शुद्धि और अनुशासन का प्रतीक है। कोरबा के हर घाट पर आज भक्ति, अनुशासन और सामाजिक एकता का अनुपम दृश्य देखने को मिला।

 
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