पीएम मोदी को साफ बताना चाहिए कि वह गोडसे के बारे में क्या सोचते हैं- प्रियंका गांधी
लोकसभा चुनाव 2019 चुनाव प्रचार के आखिरी दिन कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने सुनेत्र चौधरी से दिन के बड़े विवाद, उनकी राजनीतिक पारी की शुरुआत और संभावित लोकसभा चुनाव लड़ने समेत कई चीजों पर बात की। आइये जानते हैं बातचीत के अंश-
प्रधानमंत्री मोदी ने आज कहा कि वह महात्मा गांधी के हत्यारे नत्थुराम गोडसे के देशभक्ति वाले प्रज्ञा ठाकुर के बयान को कभी नहीं माफ कर सकते हैं। इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
यह बचने की कोशिश है। आप देश के प्रधानमंत्री हैं। सवाल ये है कि कोई ये कह रहा है कि जिसने इस देश के संस्थापक कि हत्या की है वह एक देशभक्त है। इसके लिए इतना मात्र कह देना काफी नहीं है अपने दिल में कि आप उसे माफ नहीं कर पाएंगे। आप एक राजनेता है, आपको अपनी राजनीतिक बातें रखनी चाहिए। महात्मा गांधी के हत्यारे को लेकर आपका क्या कहना है?
उन्हें कार्रवाई करनी चाहिए। उन्हें यह स्पष्ट तौर पर कहना चाहिए कि वह नाथूराम गोड्से के बारे में क्या सोचते हैं। मैं नहीं जानती हूं कि प्रधानमंत्री नाथूराम गोड्से के बारे में क्या सोचते हैं।
आपके भाई राहुल गांधी ने कहा कि वह हमेशा आपको लाना चाहते रहे थे, लेकिन आप बच्चे छोटे होने के चलते राजनीति में नहीं आईं। जब आपने फैसला किया तो उन्होंने क्या कहा?
मैं ऐसा मानती थी कि मेरे बच्चों का बचपना जितना संभव हो पाए साधारण और सामान्य होना चाहिए। दिल्ली में बच्चों को लेकर आना, चुनौतियों से भरा है।
राहुल और मैं हिंसा और नुकसान के साये में पले बढ़े। मैं नहीं चाहती थी कि मेरे बच्चों को उसका सामना करना पड़े। प्राय: राजनीति करियर का सारा बोझ परिवार, खासकर बच्चों पर पड़ता है। मैनें सोचा कि कि मेरे बच्चों को इससे बचाने की जरुरत है। जैसा कि हुआ, हाल में जब उन्हें लगा कि मुझे राजनीति में आना चाहिए और मेरे आने से वे काफी खुशी हैं।
हां, मेरा बेटा यह कहकर चिढ़ाता है कि आपने अपने राजनीतिक कौशलता को कुक और इलैक्ट्रीशियन के बीच की समस्या का सामाधान कर व्यर्थ गंवा रही हैं। उनका बेहतर इस्तेमाल करिए। पिछले कुछ वर्षो के दौरान दोनों ही लगातार मुझे राजनीति में आने के लिए बढ़ावा दे रहे थे।
कांग्रेस कार्यसमिति के पहले भाषण में, आपने वर्तमान राजनीति परिदृश्य पर बात की। क्या यह कहना ठीक होगा कि यह आपकी राजनीति में एंट्री के लिए सबसे बड़े प्रेरकों में से एक था?
वास्तव में, मेरी राजनीति में आने के फैसला लेने के पीछे दो पहलू थे। पहला मुझ को लेकर मेरी सोच और मेरी लाइफ और उससे जुड़े राजनीतिक बदलाव का संबंध। दूसरा पहलू ये था कि मैं शांतिपूर्वक यह देख रही थी कि बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) सुनियोजित तरीके से लोकतांत्रिक संस्थानों को बर्बाद कर रही थी और अपने राजनीतिक उद्देश्य के लिए लोगों में विभाजन पैदा कर रही थी। मुझे ऐसा महसूस हुआ कि शांत रहना कायरतापूर्ण होगा। मैं नहीं जानती थी कि कैसे इस बुजदिली को स्वीकार करूं।
नमस्कार
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