November 8, 2024 |

NEWS FLASH

Latest News
फांसी के फंदे पर लटका मिला युवक का शव, हाथ और पीठ पर मिले निशान..जांच में जुटी पुलिसपार्षद नरेंद्र देवांगन पहुंचे विभिन्न छठ घाट, दिया अर्घ्य, व्रतियों को दी शुभकामनाएंइस बार सबसे ज्यादा चली पूजा विशेष ट्रेनेंस्ताचल के सूर्य को अर्घ्य देने कोरबा के छठ घाटों में उमड़ा आस्था का रेलावोरा ने छठ मैया से सुखसमृद्धि की कामना कीमुठभेड़ में जवानों से लूटे गए 11 हथियारों की पहचान, जिस मदनवाड़ा में एसपी हुए बलिदानइंदिरा गांधी कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजनरिखी संग सरगुजिहा करमा पर मांदर की थाप देते झूम उठे सीएम सायएचआईवी पीड़ित और बुजुर्ग लोगों के लिए बसों में मुफ़्त यात्रा की सुविधामुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भारतरत्न लालकृष्ण आडवाणी को जन्मदिन की दी बधाई
छत्तीसगढ़

हाईकोर्ट ने डॉक्टर खिलाफ दर्ज एफआईआर के आदेश को निरस्त किया

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

रायपुर। दुर्ग के एक निजी अस्पताल में प्रसूता की मौत के मामले में हाईकोर्ट ने डॉक्टर को बड़ी राहत देते हुए उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर के आदेश को निरस्त करने का आदेश दिया है। वहीं कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि संबंधित आपराधिक अदालतों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित गाइडलाइनों का पालन करना चाहिए।
दरअसल, पूरा मामला 12 मार्च 2015 का है। दुर्ग के राम रतन सोनी की पत्नी दिव्या सोनी ने दुर्ग के ही एक निजी अस्पताल में 12 मार्च 2015 को एक बच्चे को जन्म दिया था। बच्चे के जन्म के बाद उनकी सहमति पर पंजीकृत स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. कृष्णा दीक्षित ने उनका सीटीटी का ऑपरेशन किया। कुछ समय बाद दिव्या की तबीयत बिगडऩे लगी। जब खून की जांच की गई तो प्लेटनेट्स कम होने की जानकारी मिली। स्थिति बिगडऩे पर दिव्या को तुरंत रायपुर के एक निजी अस्पताल रेफर किया गया। यहां इलाज के दौरान 18 मार्च 2015 को उसकी मौत हो गई। महिला की मां ने डॉ. कृष्णा दीक्षित पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए रायपुर के पंडरी थाने में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया था। वहीं, दुर्ग के सीएमएचओ ने भी जांच शुरू करते हुए टीम गठित की। टीम ने 31 जुलाई 2015 को सौंपी गई जांच रिपोर्ट में महिला डॉक्टर को क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन अस्पताल में कुछ अनियमितता की जानकारी भी इस रिपोर्ट में दी गई थी।
डॉक्टर पर कोई कार्रवाई नहीं होने पर महिला के पति ने सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत दुर्ग के सीजेएम कोर्ट में मामला प्रस्तुत किया। सीजेएम कोर्ट ने पुलिस से मामले की जांच रिपोर्ट मंगाई। बाद में कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा ललिता कुमारी के मामले में दिए गए दिशा-निर्देश के अनुसार एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए थे।
पुलिस ने आईपीसी की धारा 269 और 304 ए के तहत प्रकरण दर्ज कर जांच शुरू की। एफआईआर दर्ज करने के खिलाफ डॉ. दीक्षित ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। इस मामले पर जस्टिस संजय के अग्रवाल की बेंच में सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता की तरफ से सीएमएचओ की जांच टीम द्वारा मामले में क्लीन चिट मिलने की जानकारी दी गई, वहीं सीजेएम कोर्ट द्वारा एफआईआर दर्ज करने का आदेश देने में गाइडलाइन का पालन नहीं करने का भी हवाला दिया गया।
हाईकोर्ट ने डॉक्टर की याचिका मंजूर करते हुए कहा है कि क्रिमिनल कोर्ट को डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा मैथ्यू जेकब विरुद्ध पंजाब राज्य के मामले में निर्धारित किए गए गाइड लाइन का पालन करना चाहिए। जिसके बाद हाईकोर्ट ने डॉक्टर के खिलाफ दर्ज एफआईआर को निरस्त करने के निर्देश किए हैं।

gramyatracg

 

नमस्कार

मैंने भारत को समृद्धि एवं शक्तिशाली बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी के सदस्यता अभियान के तहत प्राथमिक सदस्यता ग्रहण कर ली है।
आप भी भाजपा सदस्य बन विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के साथ जुड़ सकते हैं।

https://narendramodi.in/bjpsadasyata2024/VUXFHF

#BJPSadasyata2024

Related Articles

Check Also
Close