ब्रिटेन के वैज्ञानिकों के कहा कि धरती को बचाना है, तो कम करना होगा मांसाहार
लंदन। ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन के बाद कहा है कि ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन सहित धरती की बड़ी समस्याओं का मुकाबला करना है, तो लोगों को मांसाहार छोड़कर शाकाहार को अपनाना होगा। यह बात ‘ऑप्शन्स फॉर कीपिंग द फूड सिस्टम विदिन एन्वायरमेंटल लिमिट्स’ नाम के अध्ययन में यह चेतावनी दी गई है। इसमें कहा गया है कि सभी के लिए साल 2050 में सस्टेनेबल फ्यूचर के लिए अहम कदम रेड मीट का उपभोग कम करना है।
इसके साथ ही खाने की बर्बादी को कम करने की जरूरत है और कृषि कार्य में सुधार करने की जरूरत होगी। लोगों को 75 फीसद तक मांसाहार में कमी लानी होगी। इसके साथ ही सुअर के मांस को खाने में 90 फीसद की कमी और अंडों की संख्या आधी करनी होगी। इसके साथ ही दालों-बीन्स की खपत को तीन गुना तक और नट्स व सीड्स की खपत को चार गुना बढ़ाना होगा।
नेचर’ जर्नल में बुधवार को प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, इससे पशुधन की वजह से होने वाला उत्सजर्न आधा हो जाएगा। अध्ययन के शीर्ष लेखक और यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के डॉक्टर मार्को स्प्रिंगमन ने कहा कि हम सभी बहुत प्रकार के स्वस्थ्य भोजन कर सकते हैं। मगर, हालिया वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर उस सभी में एक बात समान है कि वे सभी पेड़-पौधों पर आधारित हैं।
अध्ययन में कहा गया है कि अगर हम इस तरह की डाइट को लेना शुरू करते हैं, तो कृषि से ग्रीन हाउस गैस का प्रभाव आधा से कम हो जाएगा। लेखकों के अनुसार, फूड सिस्टम से महत्वपूर्ण पर्यावरणीय प्रभाव होते हैं, जो जलवायु परिवर्तन के लिए अहम कारक की भूमिका निभाते हैं। नाइट्रोजन और फास्फोरस के अधिक इस्तेमाल से वह प्रदूषण फैलाते हैं और ताजे पानी को खराब करते हैं।
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