September 5, 2025 |

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छत्तीसगढ़

बैलाडीला खदान आबंटन पर पुनर्विचार करेगी छत्तीसगढ़ सरकार

मुख्यमंत्री ने कहा- रमन सरकार ने इस डील को चुनाव परिणाम के पांच दिन पूर्व किया फाइनल रायपुर

Gram Yatra Chhattisgarh
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बैलाडीला की डिपॉजिट नंबर 13 की खदान कांग्रेस सरकार नहीं, बल्कि तत्कालीन भाजपा की रमन सरकार ने दिया था। इसका खुलासा करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि विधानसभा चुनाव परिणाम के पांच दिन पहले इस डील को फाइनल किया गया था। उन्होंने कहा, इसकी फाइल देखने के बाद वे इस मामले में पुनर्विचार करेंगे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि पिछली सरकार ने लोगों को विश्वास में लेकर कई निर्णय लिए हैं। ऐसे निर्णयों की समीक्षा की आवश्यकता है। मामले में मुख्यमंत्री द्वारा प्रक्रिया पर पुनर्विचार की आवश्यकता की बात का कांग्रेस पार्टी ने समर्थन भी किया है। कांग्रेस ने कहा कि टेंडर डाक्यूमेंट एनसीएल की बोर्ड की मीटिंग में 28 जुलाई 2018 को एप्रूव किया गया। लेटर आफ इंटेट एलओआई 20 सितंबर 2018 को जारी किया गया और 6 दिसंबर 2018 को हैदराबाद में एनएमडीडी के चेयरमैन द्वारा अनुबंधपत्र पर हस्ताक्षर किये गये, जबकि छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार ने 17 दिसंबर 2018 को शपथग्रहण किया।
कांग्रेस सरकार द्वारा बैलाडीला मामले में प्रतिपारित की गयी समीक्षा की आवश्यकता की बात का समर्थन करते हुये प्रभारी महामंत्री गिरीश देवांगन एवं प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी कहा है कि लोगों को विश्वास में लिये बगैर जिस हड़बड़ी में बैलाडीला का आबंटन किया गया, वह संदेह को जन्म देता है।
अप्रैल में राज्य पर्यावरण मंडल ने क्यों नहीं रोका- रमन
इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार को हर बात पर पलटने की आदत है। सरकार ने कोई अनुमति नहीं दी, लेकिन ज्वाइंट वेंचर कंपनी, जिसमें सीएमडीसी और एनएमडीसी हैं दाेनों ने मिलकर दिया था। उन्होंने कहा कि वहां तक तो ठीक है, किसी बात को लेकर आपत्ति हो सकती है, लेकिन सबसे बड़ा प्रश्न है जिसका जवाब भूपेश बघेल और पर्यावरण मंडल को देना चाहिए। इनकी सरकार बनने के बाद इसे रोका जा सकता था। उसे लगता है, तो पर्यावरण मंडल की बैठक में गए, तो अप्रैल में रोक देना था। इस प्रकार नाटक करने करने की जरूरत नहीं है। इसीलिए तो मैं बोल रहा हूं कि क्या अकबर आपके भरोसे में नहीं हैं। क्या पर्यावरण मंडल, कंसेट टू आपरेट रोक देते, तो ये झंझट नहीं होती।

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