प्रोजेक्ट के लिए बनाया था थ्री डी प्रिंटर, आज इसरो, डीआरडीओ जैसी संस्थाएं हैं क्लाइंट
भिलाई के छह इंजीनियरिंग छात्रों ने 3 साल पहले साढ़े चार लाख रुपए की लागत से शुरू किया था उद्यम, आज इनकी कंपनी टेकबी का टर्नओवर छह करोड़ रुपए, देश भर में 500 से ज्यादा क्लाइंट , छत्तीसगढ़ शासन के इनक्यूबेशन सेंटर से मिली सलाह रंग लाई, भारत के बाहर इथियोपिया जैसे देशों में भी हो रहा थ्री डी प्रिंटर इस्तेमाल
दुर्ग। भिलाई के छह इंजीनियरिंग छात्रों ने अपने तकनीकी नवाचार एवं शासन द्वारा उपलब्ध कराये गए इनक्यूबेशन के अवसरों का पूरा इस्तेमाल कर स्टार्टअप कंपनी टेकबी तैयार की है जिसकी शुरूआत साढ़े चार लाख रुपए की छोटी सी लागत से हुई थी लेकिन अब इसका टर्नओवर लगभग छह करोड़ रुपए का है। इसमें 60 इंजीनियरों एवं टेक्नीशियन तथा सेल्स स्टाफ को रोजगार मिला है तथा लगभग 15 इंजीनियर अभी इंटर्नशिप कर रहे हैं। कंपनी के डायरेक्टर श्री अभिषेक अम्बष्ट ने बताया कि हमने कालेज पढ़ने के दौरान इंटरनेट की सहायता से थ्रीडी प्रिंटर का माॅडल तैयार किया था। इसे आईआईटी खड़गपुर, कानपुर आदि में डिस्प्ले किया गया, माडिफाइड किया गया और इसकी बड़ी तारीफ हुई तब हमें लगा कि इसके पेशेवर इस्तेमाल की काफी संभावना है। फिर छोटी सी पूंजी से काम शुरू किया। राज्य शासन के उद्योग विभाग ने इनक्यूबेशन में पूरी मदद की। जहां भी युवाओं के स्टार्टअप को बढावा देने का मंच था, वहां हमें जगह दी गई। इससे हमें क्लाइंट तक पहुंचना आसान हुआ। आज हम क्लाइंट की जरूरतों के मुताबिक थ्रीडी प्रिंटर तैयार कर रहे हैं। कंपनी की यूनिट भिलाई और दिल्ली में है।
इसरो और डीआरडीओ में हो रहा इस्तेमाल-
थ्री डी प्रिंटर के माध्यम से कई तकनीकी चीजें आसान हो जाती हैं। इसके चलते इसरो और डीआरडीओ ने इसे खरीदा है। कंपनी के सीओओ श्री मनीष अग्रवाल ने बताया कि हम अभी स्पेस की जरूरतों के मुताबिक थ्री डी प्रिंटर तैयार कर रहे हैं क्योंकि स्पेस में हल्के वजन वाली धातुओं से बने हुए डिजाइन ज्यादा उपयोगी होते हैं। इसरो के मैनेजमेंट ने इस संबंध में अपनी जरूरत बताई है। इस पर अभी काम हो रहा है। उपयोगी लगने पर इसरो के प्रबंधन ने इस पर भी विचार करने की बात कही है। फिलहाल वेंडर के माध्यम से भी थ्रीडी प्रिंटर की सप्लाई हो रही है। कंपनी में प्रोडक्शन डायरेक्टर श्री विकास चैधरी ने बताया कि वेंडर के माध्यम से सप्लाई विदेशों में भी आरंभ हो गई है। अभी इथियोपिया में हमारी कंपनी के थ्रीडी प्रिंटर का आर्डर हुआ है।
इंटरनेट आफ थिंग्स पर हो रहा काम-
अभिषेक ने बताया कि उनका फोकस मूल रूप से रिसर्च पर है। हम ऐसी चीजें बना रहे हैं जिनका भविष्य में बड़ा मार्केट हो। मसलन हमने ऐसा प्रोग्राम तैयार किया है कि घर में अथवा आफिस में बैठे-बैठे हम अपने घर के लाइट-पंखे चालू बंद कर सकते हैं। इस तरह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से संबंधित कार्य हम लोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कंपनी के छह डायरेक्टर हैं और सभी अलग-अलग विंग देखते हैं। एक डायरेक्टर अनूप सिन्हा हैं जो कंपनी के दिल्ली के सरिता विहार से आपरेट करते हैं और सेल्स का काम देखते हैं। एकाउंट्स रिंकू साहू देखते हैं। अभिषेक ने बताया कि जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र से इस दिशा में बड़ी सहायता मिली। हर महत्वपूर्ण मौकों पर उद्योग विभाग ने अपने स्टाल दिये ताकि हम अधिकाधिक अपने प्रोडक्ट का प्रचार-प्रसार कर सकें। सहायक प्रबंधक जिला उद्योग केंद्र श्री तुषार त्रिपाठी ने बताया कि इनके स्टार्टअप की सफलता ने भिलाई में अनेक युवाओं को प्रेरित किया है।
केस स्टडी 1 –
कंपनी अटल टिंकरिंग लैब के लिए भी काम कर रही है। इसके माध्यम से देश भर के कई स्कूलों में टीचपैड के माध्यम से पढ़ाई की जा रही है। इस माध्यम की विशेषता है कि प्रत्यक्ष रूप से और अप्रत्यक्ष रूप से स्मार्ट क्लास की तरह पढ़ाई कराई जाती है। मनीष ने बताया कि थ्रीडी प्रिंटर का उपयोग करने की वजह से हम बच्चों के अधिक गहराई और रोचक तरीके से चीजों को समझा सकते हैं। जैसे अगर साइंस में हृदय के फंक्शन को समझाना है तो थ्रीडी आकृति उभार कर आसानी से इसे समझा सकते हैं। बच्चे आनलाइन अपनी जिज्ञासा भी लिख सकते हैं।
केस स्टडी 2 –
टिंकरिंग लैब ने बच्चों की जिज्ञासा को पर दिए हैं। मनीष ने बताया कि कोरबा सरस्वती शिशु मंदिर के बच्चों ने एक्वासाकर का माडल तैयार किया और इसे राष्ट्रीय स्तर के कांपिटिशन में रखा। इसमें आईआईटी के छात्रों ने भी हिस्सा लिया था लेकिन कोरबा के बच्चों की माडल की खूबी को देखते हुए इसे प्रथम पुरस्कार दिया गया।
केस स्टडी 3 –
टैक्सटाइल इंडस्ट्री में थ्रीडी डिजाइन की अहमियत बढ़ी है। एनआईएफटी तिरूपुर ने भी टेकबी से थ्रीडी प्रिंटर क्रय किया है। इसके चलते डिजाइनिंग के वक्त काफी मदद मिलती है। मनीष ने बताया कि वे अब फाइव एक्सिस वाले थ्रीडी प्रिंटर पर भी कार्य कर रहे हैं। इसमें तीनों डायमेंशन के अलावा रोटेशनल व्यू भी दिखेगा।
केस स्टडी 4-
एम्स रायपुर में भी इन्होंने थ्रीडी प्रिंटर की सप्लाई की है। इस थ्रीडी प्रिंटर से सर्जरी के लिए काफी मदद मिलती है। प्रोटोटाइप डिजाइन के माध्यम से यह देख सकते हैं कि सर्जरी किस तरह बेहतर तरीके से परफार्म कर सकते हैं। आर्थोपैडिक सर्जरी में पीक मटेरियल की भी बड़ी भूमिका होती है। इसके लिए पीक मटेरियल थ्रीडी प्रिंटर कंपनी ने सिल्क केरल तथा सीएसआईआर पिलानी को उपलब्ध कराया है।
नमस्कार
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