March 14, 2025 |

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छत्तीसगढ़

पर्यावरण संरक्षण मंडल से मिली अनुमति, जल्द शुरू होगा कचरे से खाद व आरडीएफ बनाने का काम

क्षमता के अनुरूप काम करने आसपास के यूएलबी को भी किया जाएगा शामिल

Gram Yatra Chhattisgarh
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बिलासपुर। पर्यावरण संरक्षण मंडल से अनुमति मिलने के बाद अब जल्द ही कछार स्थित प्लांट से खाद व आरडीएफ बनाने का काम शुरू होगा। प्लांट की क्षमता अनुसार कार्य करने के लिए आसपास के यूएलबी को जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।
निगम आयुक्त प्रभाकर पांडेय ने बताया कि जून-2०12 में नगर निगम बिलासपुर क्षेत्रांतर्गत कचरे की बढ़ती हुई मात्रा, नुक्कड़ों की संख्या, कचरा उठाने संसाधनों की कमी एवं डंपिग स्थल की कमी को दृष्टिगत रखते हुए ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना के लिए डीपीआर विस्तृत सर्वेक्षण के बाद तैयार किया गया। नगरीय प्रशासन विकास विभाग के उचस्तरीय टीम द्बारा नगर निगम क्षेत्र के भौतिक परीक्षण के बाद डीपीआर में विभिन्न संशोधन के बाद पुनरीक्षित डीपीआर तैयार करने के निर्देश दिए गए। पुन: पुनरीक्षित डीपीआर तैयार कर शासन को अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया गया। पुनरीक्षित डीपीआर को जुलाई-2०14 में शासन द्बारा अनुमोदित किया गया। डीपीआर एवं आरएफपी अनुमोदन 7 दिसंबर 2०15 को शासन द्बारा प्रदान किया गया। इसके बाद नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग ने 26 दिसंबर 2०15 को इस कार्य के लिए निविदा आमंत्रित की गई। निविदा में प्राप्त दर के परीक्षण के लिए एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया गया। समिति द्बारा निगोशिएशन के बाद 29 अगस्त 2०16 को 2115 रुपए प्रति टन की स्वीकृति प्रदान की गई। शासन द्बारा स्वीकृत दर पर चयनित निविदाकार मेसर्स देल्ही एमएसडब्ल्यू सल्यूशन हैदराबाद से 19 जनवरी 2०17 को अनुबंध किया गया। डोर-टू-डोर कलेक्शन ट्रांसर्पोटेशन का काम 2 अप्रैल 2०17 से प्रारंभ किया गया। इस योजना अंतर्गत चयनित निविदाकार को स्वयं की राशि से डोर टू डोर कलेक्शन ट्रांसपोर्टेंशन वाहन एवं योजना के लिए प्लांट निर्माण में कोई भी राशि व्यय नहीं की गई। पर्यावरण संरक्षण मंडल द्बारा 22 जुलाई 2०17 को पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान की गई। इसके बाद प्लांट निर्माण के लिए स्वीकृति 23 नवंबर 2०17 को प्रदान की गई। 11 माह की समयावधि में प्लांट निर्माण का कार्य पूर्ण कर लिया गया एवं प्लांट प्रारंभ करने के लिए पर्यावरण विभाग से स्वीकृति के लिए 24 अक्टूबर 2०18 को विधिवत आवेदन प्रस्तुत किया गया। इसके बाद पर्यावरण मंडल ने 6 मार्च को प्लांट से प्रोडक्शन शुरू करने अनुमति दी गई। उन्होंने बताया कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन योजना हेतु मेसर्स देल्ही एमएसडब्ल्यू सल्यूशन हैदराबाद द्बारा 63 टाटा ए.सी.ई., ०8 काम्पेक्टर, ०2 हाईवा, ०1 जे.सी.बी., ०1 ट्रेक्टर लोडर एवं ०1 पोकलेन का उपयोग किया जा रहा है, इस कार्य हेतु 282 कर्मचारी कार्यरत हैं। नगर निगम द्बारा प्रयास किया जा रहा है गया है।

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