August 30, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
मुख्यमंत्री साय ने नगर पालिका जशपुर को दिया बड़ा विकास उपहारबीजापुर बाढ़ में बही लड़कियों की लाश मिली, झाड़ियों से बरामदग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने शुरू होगा ‘दीदी के गोठ’ रेडियो कार्यक्रमकोरबा में 52 हाथियों का झुंड खेतों में घुसा,50 किसानों की फसल को नुकसानकोरबा डायल-112 चालकों की मांग, नियमित वेतन और सुविधाएंमुख्यमंत्री साय का स्वागत करने जवाहर नगर मंडल के पदाधिकारी बस से रवानाबस्तर में भारी भूस्खलन: सरगीगुड़ा पहाड़ समतल; जनहानि नहींमुख्यमंत्री विष्णुदेव साय अपना विदेश दौरा ख़त्म कर स्वदेश लौट आये..नारायणपुर में नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई: सुरक्षा बलों ने बरामद किए 300 से अधिक हथियार और विस्फोटक सामग्रीलोक सेवा आयोग ने मूल्यांकन प्रक्रिया पर उठाए गए सवालों को किया खारिज
छत्तीसगढ़नेशनल

चंद्रयान-3 के रोवर ने लैंडर की पहली फोटो भेजी:प्रज्ञान के नेविगेशन कैमरों ने ली तस्वीरें, चंद्रमा की सतह पर ड्रिलिंग करता दिखा लैंडर

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर ने आज सुबह विक्रम लैंडर की एक तस्वीर क्लिक की। रोवर पर 2 नेविगेशन कैमरे लगे हैं जिससे ये फोटो क्लिक की गई है। इसमें विक्रम लैंडर पर लगा पेलोड ‘चास्टे’ सतह पर ड्रिंलिंग करता दिख रहा है। ये पेलोड सतह और गहराई में तापमान मापता है।

चंद्रयान-3 का लैंडर 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा पर उतरा था। इसके बाद रोवर बाहर आया था। इसरो ने लैंडिंग के करीब 14 घंटे बाद लैंडर के रोवर से बाहर आने की पुष्टि की थी। रोवर के कैमरों को इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स सिस्टम प्रयोगशाला ने विकसित किया है।

चांद के साउथ पोल पर सल्फर की मौजूदगी
चांद पर पहुंचने के छठे दिन (29 अगस्त) को चंद्रयान ने दूसरा ऑब्जर्वेशन भेजा था। इसके मुताबिक चांद के साउथ पोल पर सल्फर की मौजूदगी है। चंद्रमा की सरफेस पर एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम की मौजूदगी का भी पता चला है।

इसके अलावा चांद की मिट्टी में मैगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन भी मौजूद हैं, जबकि हाइड्रोजन की खोज जारी है। यानी अब तक कुल 9 एलिमेंट चांद की मिट्टी में मिले हैं। प्रज्ञान रोवर पर लगे LIBS यानी लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप पेलोड ने ये ऑब्जरवेशन भेजे हैं।

इस ऑक्सीजन से सीधे सांस नहीं ले सकते
हालांकि चांद की मिट्टी पर मिली ऑक्सीजन उस फॉर्म में नहीं है कि सीधे सांस ली जा सके। ये ऑक्साइड फॉर्म में है। इससे पहले नासा ने भी चंद्रमा की मट्टी में ऑक्सीजन का पता लगाया था। इसलिए इसरो को पहले से ही यहां ऑक्सीजन मिलने की संभावना थी।

ऑक्साइड एक केमिकल कंपाउंड की कैटेगरी है। इसकी संरचना में एलिमेंट के साथ एक या ज्यादा ऑक्सीजन एटम होते हैं। जैसे कि Li2O, CO2, H2O, आदि। H2O यानी पानी होता है। इसीलिए इसरो ऑक्सीजन मिलने के बाद अब H यानी हाइड्रोजन की खोज कर रहा है।

इस प्रयोग में होता है लेजर का इस्तेमाल
इस प्रयोग में सैंपल सरफेस यानी चांद की मिट्टी या पत्थर पर हाई-फोक्स्ड लेजर का इस्तेमाल किया जाता है। सरफेस के गरम होने से प्लाज्मा बनता है। इसी से बने स्पेक्ट्रम की स्टडी कर एलिमेंट का पता लगाया जाता है। अलग-अलग एलिमेंट के अलग-अलग स्पेक्ट्रम होते हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close