November 7, 2024 |

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कैंसर दिवस : इन लक्षणों को देख भूलकर भी न करें नजरअंदाज

Gram Yatra Chhattisgarh
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जीवनशैली से संबंधित बीमारियों में कैंसर भी शामिल है। इसकी शुरुआत शरीर के एक अंग से होती है, लेकिन समय पर उपचार नहीं किया जाए तो यह शरीर के अन्य भागों में भी फैल जाता है। कैंसर दिवस (4 फरवरी) के मौके पर इससे बचाव और उपचार के बारे में जानकारी दे रही हैं शमीम खान सामान्य कोशिकाएं विकास, विभाजन और नष्ट होने के एक नियमित चक्र का अनुसरण करती हैं। जब यह प्रक्रिया नष्ट हो जाती है, तब कोशिकाएं लगातार विकसित और विभाजित होती रहती हैं। ये असामान्य कोशिकाएं एक जगह इकट्ठी होकर ट्यूमर बना लेती हैं, जो एक उभार या गांठ के रूप में नजर आता है। ट्यूमर दो प्रकार के होते हैं। कैंसरयुक्त ट्यूमर को मैलिग्नेंट और कैंसर रहित ट्यूमर को बेनिग्न कहते हैं। मैलिग्नेंट को उसके विकसित होने के स्थान के आधार पर पुन: दो भागों में बांटा जाता है- प्राइमरी और सेकेंडरी। जब ट्यूमर उसी स्थान पर विकसित होता है, तो इसे प्राइमरी ट्यूमर कहते हैं। लेकिन जब कैंसर शरीर के किसी दूसरे भाग में विकसित होता है और वहां से मूव करके किसी दूसरे भाग में फैल जाता है, तो उसे सेकेंडरी या मेटास्टैटिक ट्यूमर कहते हैं और इस प्रक्रिया को मेटास्टैसिस कहते हैं। लक्षणों को न करें नजरअंदाज कई अनुसंधानों में यह बात सामने आई है कि कई सामान्य स्वास्थ्य समस्याएं भी कैंसर होने का संकेत हो सकती हैं। लेकिन याद रखें, इन लक्षणों के दिखाई देने का अर्थ यह नहीं है कि आपको कैंसर ही है। कई अन्य कारणों से भी ये लक्षण दिखाई दे सकते हैं। कोई भी लक्षण, जो लंबे समय तक रहे और समय के साथ गंभीर हो जाए, उसे नजरअंदाज न करें।
इन लक्षणों को गंभीरता से लें उभार या गूमड़ शरीर में कहीं भी उभार या गूमड़ दिखाई दे तो उसे नजरअंदाज न करें। ये कैंसर की गांठें हो सकती हैं। इन्हें दबाकर देखें। अगर इनमें तेज दर्द हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। स्तन कैंसर का सबसे शुरुआती लक्षण स्तनों में गांठ के रूप में दिखाई देता है। खांसी और गले की खराश खांसी और गले की खराश को मामूली समस्या माना जाता है, लेकिन अगर ये समस्याएं बिना किसी स्पष्ट कारण के लगातार बनी रहें, तो इन्हें गंभीरता से लें। ये र्लैंरक्स, फेफड़ों या थाइरॉइड कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। खांसी और गले की खराश तीन सप्ताह से अधिक रहे, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। मल त्यागने की आदतों में बदलाव एक अध्ययन से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, कैंसर से पीड़ित 18 प्रतिशत लोगों में मल त्यागने की आदतों में बदलाव आ जाता है। इन बदलावों में सम्मिलित हैं, मल त्यागने के समय, मात्रा या रंग-रूप में असामान्यता जैसे कब्ज, लूज मोशन, अपच आदि। कई बार कुछ निश्चित खाद्य पदार्थों या दवाओं का सेवन मल त्यागने की आदतों में बदलाव ला देता है, लेकिन यह अस्थायी होता है। अगर यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे, तो नजरअंदाज न करें, क्योंकि यह कोलन कैंसर का संकेत हो सकता है। मूत्र मार्ग से संबंधित समस्याएं अगर आपको यूरिन में रक्त दिखाई दे, यूरिन पास करने पर नियंत्रण न रहे या यूरिन पास करते समय दर्द हो तो इन लक्षणों को गंभीरता से लें। तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि ये ब्लैडर या किडनी कैंसर के कारण हो सकते हैं।
शरीर में तेज दर्द शरीर में लगातार तेज दर्द बना रहना, बोन कैंसर या ओवेरियन कैंसर के कारण हो सकता है। अमेरिकन कैंसर सोसायटी के अनुसार, अगर दर्द शरीर के किसी एक भाग तक सीमित न रहकर शरीर के अलग-अलग हिस्सों में फैले तो इसका कारण कैंसर हो सकता है। ऐसा सिरदर्द, जो उपचार कराने के बाद भी ठीक न हो, ब्रेन ट्यूमर का लक्षण हो सकता है। कमर दर्द आंत, मलाशय या अंडाशय के कैंसर का लक्षण हो सकता है। दर्द इस बात का संकेत भी है कि कैंसर जहां शुरू हुआ है, वहां से शरीर के दूसरे भागों में फैलने लगा है। वजन तेजी से कम होना बिना किसी कारण के आपका वजन तेजी से कम होने लगे, तो सतर्क हो जाएं। यह अग्नाशय, पेट, फेफडे़ या आहार नाल के कैंसर का संकेत हो सकता है। अगर आपका वजन एक महीने में 4-5 किलो कम हो जाए, तो यह कैंसर का प्रारंभिक लक्षण हो सकता है। निगलने में समस्या होना गले के आंतरिक संकुचन से निगलने में रुकावट आ सकती है। यह समस्या तंत्रिका या रोग प्रतिरोधक तंत्र की गड़बड़ी के कारण हो सकती है। इसका कारण आहार नाल, गले या पेट का कैंसर भी हो सकता है। ब्र्लींडग या डिस्चार्ज अगर खांसने पर खून आए तो फेफड़ों का कैंसर, मल के साथ खून आए तो बड़ी आंत या मलशय का कैंसर, यूरिन के साथ रक्त आए तो मूत्राशय या किडनी के कैंसर का संकेत हो सकता है। असामान्य रक्तस्राव कैंसर के किसी भी चरण में हो सकता है। इसलिए शरीर के किसी भी भाग से असामान्य ब्र्लींडग हो, तो उसे गंभीरता से लें और डॉक्टर को दिखाने में देरी न करें।
त्वचा में बदलाव अन्य कैंसरों में भी त्वचा में परिवर्तन आ सकता है। त्वचा के रंग में बदलाव, खुजली, त्वचा पर तिल और मस्से हो जाना कैंसर के संकेत हो सकते हैं। बुखार बुखार कैंसर का एक बहुत सामान्य लक्षण है, लेकिन यह लक्षण तब दिखाई देता है, जब कैंसर जहां प्रारंभ हुआ है, वहां से शरीर के बाकी भागों में भी फैलने लगता है। कैंसर से पीड़ित लगभग सभी लोगों को कैंसर के किसी चरण में बुखार का सामना करना पड़ता है, विशेष रूप से तब, जब कैंसर इम्यून तंत्र को प्रभावित करता है। ऐसी स्थिति में शरीर के लिए संक्रमण से लड़ना कठिन हो जाता है। थकान अत्यधिक थकान, जो आराम करने के बाद भी दूर न हो, कैंसर के विकसित होने का प्रमुख संकेत है। ब्लड कैंसर की शुरुआत में ही थकान हो सकती है। आंतों या पेट के कैंसर के कारण होने वाले ब्लड लॉस के कारण भी थकान हो सकती है। सांस फूलना सांस लेने में परेशानी होना या सांस फूलना जैसे संकेतों को गंभीरता से लें, क्योंकि इनका कारण फेफड़ों का कैंसर हो सकता है। कैंसर से बचने के लिए वैश्विक अनुसंधान बताते हैं कि सबसे सामान्य कैंसरों में से एक तिहाई को पोषक भोजन का सेवन करके, अपने भार को सामान्य बनाये रखकर और नियमित रूप स शारीरिक गतिविधियां कर खुद से दूर रख सकते हैं।
इन बातों का भी रखें ध्यान ’ अपना भार औसत बनाए रखें। ’ शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। ’ धूम्रपान न करें, न ही तंबाकू का सेवन करें। ’ अत्यधिक वसा युक्त भोजन का सेवन न करें। ’ पादप उत्पाद को भोजन में अधिक शामिल करें। ’ लाल मांस और अल्कोहल का सेवन कम करें। ’ योग और ध्यान करें। ’ परिवार के किसी सदस्य को कैंसर है तो जांच कराएं।
कैंसर विश्वभर में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है। लेकिन अगर लोगों में इस रोग और इसके उपचार के प्रति जागरूकता हो, तो इससे होने वाली मौतों को काफी कम किया जा सकता है। वल्र्ड कैंसर डे की थीम इस बार एक वर्ष के लिए नहीं, बल्कि तीन वर्षों (2019-2021) के लिए रखी गई है, जिसका स्लोगन आई एम एंड आई विल (मैं तैयार हूं और मैं लड़ूंगा/लड़ूंगी) रखा गया है। इसमें हर व्यक्ति को सशक्त बनाने का उद्देश्य रखा गया है कि किस तरह स्वस्थ रहकर कैंसर से बचा जा सकता है और अगर इसकी चपेट में आ भी जाएं, तो कैसे उपचार कराएं और क्या सावधानियां बरतें। कैंसर के विरुद्ध लड़ाई में लोगों को इस बात के लिए जागरूक करना बहुत जरूरी है कि कैंसर लाइलाज नहीं रहा है, इससे घबराने की जरूरत नहीं है। अगर समय रहते इसका उचित उपचार करा लिया जाए, तो न केवल इससे होने वाली मौतों को रोका जा सकता है, बल्कि स्वस्थ व सामान्य जीवन भी जिया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है कि आप इससे संबंधित सामान्य जानकारी रखें और अपनी सेहत के प्रति सचेत भी रहें, ताकि किसी भी तरह की आशंका से सही समय पर निपट सकें।

gramyatracg

 

नमस्कार

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