प्रदूषण मुक्त कोरबा बनाने जब नेताओ ने नहीं दिया साथ तो खुद उतर पड़े है चुनावी मैदान में, न भीड़ न कोई झूठा वादा सिर्फ एक संकल्प प्रदूषण मुक्त हो कोरबा मेरा ! गरीबों के हक़ में जो मुफ्त करते है वकालत उस प्रत्याशी के प्रदूषण मुक्ति को लेकर जारी संघर्ष की पूरी दास्तान पढ़िए इस रिपोर्ट में…

कोरबा – जो इंसान खुद दूसरों को मुकदमे से बचाता हो अगर उस पर ही मुकदमा हो जाए तो आप क्या कहेंगे ? मुकदमा भी आखिर क्यों, क्योंकि वो आपको, हमको हम सबको प्रदूषण की मार से बचाने उन राखड़ माफियाओं से भीड़ गया इस बात से अनजान की इन माफियाओं को राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है।
हम बात कर रहे कोरबा विधानसभा के प्रत्याशी अब्दुल नफीस की, अब्दुल पेशे से अधिवक्ता है ये गरीबों के वकील माने जाते है गरीबों के मुकदमे मुफ्त में लड़ते है उनको इंसाफ दिलाते है, महीने में एकाध बार ये आपको वनांचल में रहने वाले आदिवासियों के बीच जरूर आ जायेंगे उनकी जरूरत को जानते है गाहे बगाहे उनकी जरूरत का सामान भी बिना किसी दिखावे या न्यूजबाजी किए बगैर ही दे आते है। कोरबा को प्रदूषण मुक्त बनाने ये अपने साथियों के साथ पिछले 6 साल से भिड़े हुए है।
वकालत करते हुए उन्होंने कोरबा में बढ़ते राखड़ प्रदूषण के खिलाफ सन् 2017 से आवाज उठाना शुरू किया और स्थानीय प्रबंधन, शासन प्रशासन संबंधित अधिकारियों तक शिकायत किया लेकिन इस पर कोई कार्यवाही नही हुआ तो स्थानीय प्रशासन को अल्टीमेटम देने के बाद उन्होंने साल 2018 में 28 मई को ढेंगुरनाला चेकपोस्ट बालको के पास अवैध रूप से राखड़ परिवहन करने वाले वाहनों को कुछ क्रांतिकारी साथियों के साथ गैर कानूनी तरीके से किए जा रहे राखड़ परिवहन करने वाले भारी वाहन को रोका जिसके कारण उनके साथियों के विरुद्ध प्रतिबंधात्मक कार्यवाही की गई और उनके खिलाफ बालको पुलिस के द्वारा सड़क को बाधित करना और आत्महत्या की कोशिश करने का झूठा प्रकरण बनाते हुए कार्यवाही भी की गई, लेकिन उनके मन में इस बात की संतुष्टि थी की उनके इस कदम से वहां से राखड़ परिवहन को रोक दिया गया।
वही से उन्होंने पर्यावरण प्रदूषण और राखड़ के बेजा बिखराव को रोकने अपना अभियान कानूनी रूप से भी शुरू किया और लोगो को राखड़ प्रदूषण से होने वाले नुकसान के लिए जागरूक भी करने लगे, सोशल मीडिया में अपनी बात रखने लगे, स्थानीय न्यायालय से लेकर उच्च न्यायालय तक मामला लगाया लेकिन राखड़ प्रदूषण को रोकने वाले जिम्मेदार लोग अपना हांथ बांधे खड़े रहे, ब्रांडेड नेता देख कर भी अंधे बहरे गूंगे बन गए। लेकिन उन्होंने अपनी लड़ाई जारी रखी। पिछले पांच साल में ये राखड़ प्रदूषण तेजी से बढ़ते हुए यहां के आबो हवा को जहरीला करता गया। चुने हुए जनप्रतिनिधि, और लोकतंत्र में भाग लेने वाले नेता राखड़ प्रदूषण के खिलाफ ईमानदारी से आवाज उठाते ही नही वरना इसे बढ़ने से रोका जा सकता था, और अब भी प्रदूषण से मुक्ति पाई जा सकती है।
राजनीति में हो रहे भारी भरकम धनबल के प्रयोग, चुनाव में प्रत्याशियों द्वारा करोड़ों रुपए लगाया जाना ताकि आम आदमी कभी चुनाव लड़ ही न सके। कोरबा विधानसभा के बढ़ते राखड़ प्रदूषण को रोकने, कोरबा के पर्यावरण को बचाए रखने, संयंत्रों में काम करने वाले श्रम वीरों के शोषण सहित, जनता के मौलिक अधिकारों के हनन और ऐसे स्थानीय विभिन्न समस्या जो आसानी से ठीक किया जा सकता है लेकिन ठीक करने के बजाए अपने फायदे के लिए नेता अनदेखा करते है। नफीस का दावा है कि यहां की जनता के लिए वो लड़ेंगे।
नफीस शपथ पत्र के जरिए 10 वादे भी किए है।
1, कोरबा विधानसभासे राखड़ प्रदूषण को मुक्त करना।
2, NGT के दिशा निर्देशों को शत प्रतिशत लागू करवाना।
3, स्थानीय बेरोजगार और श्रम वीरों के साथ हो रहे शोषण को रोकना।
4, जीवन दायनीय हसदेव नदी और अन्य सहायक नदियों को सयंत्रों के द्वारा किए जा रहे जल प्रदूषण से मुक्त करना।
5, आम लोगो के मूलभूत समस्याओं के समाधान के लिए विधानसभा के सभी वार्डों में समस्या समाधान कार्यालय खोलना।
6, कोरबा विधानसभा क्षेत्र के खस्ता हाल सड़कों को प्राथमिकता से ठीक करवाना और सड़को को अवैध भारी वाहनों के कब्जे से मुक्त करना, भारी वाहनों के द्वारा किए जा रहे सड़क को पार्किंग के रूप में स्तेमाल को पूर्ण रूप से प्रतिबंध कराना।
7,सांयत्रो द्वारा की गई सरकारी और जंगल की जमीन को कब्जा मुक्त कराना।
8, कोरबा विधानसभा में नेताओं के सरंक्षण में हो रहे अवैध और गैर कानूनी कामों को रोकना।
9, आम जनता के मूलभूत और मौलिक अधिकारों को शत प्रतिशत लागू करवाना।
10, शपथ पत्र में की गई संकल्प में खरा नहीं उतरने पर स्थानीय जनता और मतदाताओं को विधायक के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करने का अधिकार देना।
बकौल अब्दुल नफीस “मैने जितने काम बताए है, उन्हे करना कोई कठिन काम नही है, इसे निर्वाचित होते ही प्रथम महीने से ठीक किया जा सकता है। लेकिन ये लोग 15 साल में भी नही सुधार पाए। लगभग ढाई लाख मतदाता वाले इस विधानसभा में मुश्किल से 50 से 100 लोग ही होंगे जिनके वजह से ये सब समस्या है। जिसमें पहला नाम निर्वाचित विधायक हैं, उनकी खामोशी ही उनकी सहमति है। निर्वाचित प्रतिनिधि के साथ मतदाताओं के वोट की ताकत होती है। मैं पूरी जिम्मेदारी से बोल रहा हूं, अगर निर्वाचित विधायक जनता के इन समस्याओं में जनता के साथ खड़े रहे तो किसी की मजाल नही कि कोई इस तरह आम जनता के जान माल के साथ खिलवाड़ कर सके। ये लोग करोड़ों रुपए चुनाव में इन्वेस्ट करते है जिसकी वसूली में पांच साल लगे रहते है। जनता की मूल भूत सुविधा इनके लिए प्राथमिकता ही नही।
50 से 100 लोग ढाई लाख मतदाताओं पर भारी पड़ रहे है ये सुनने में अच्छा तो नही लगता। पर सच यही है। आप सबके पास वोट की ताकत है, और हम ये ताकत करोड़पति ब्रांडेड नेताओं के हाथ में दे देते है, और वो नेता चुनाव में लगाए करोड़ों रुपए की वसूली करने, पूरे पांच साल ठेकेदारी में लगा देते है। बदलाव लाना है तो हमे अपने वोट का इस्तेमाल अपने अधिकारों के लिए करना पड़ेगा। संकल्प लेना पड़ेगा। हमे अपने वोट देने के पैटर्न को बदलना पड़ेगा, हमारी समस्याओं को चुनावी मुद्दा बनाना पड़ेगा, और इसी मुद्दे पर मतदान करना पड़ेगा। मैने कदम आगे बढ़ाया है, आप लोग साथ दीजिए “