November 7, 2024 |

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जब पहली बार जयसिंह अग्रवाल सभा में फूट फूट कर रोने लगे, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत इनको ठहराया अपनी हार का जिम्मेदार… पूरी सच के साथ पहली ख़बर…

सच तो ये है कि छत्तीसगढ़ के सबसे अमीर नगर निगम के सत्ता की चाभी 9 साल से अपने पास रखे हुए है। यहां का सालाना बजट 800 करोड़ का है ठेकदारों की बातों पर यकीन करें तो हर काम में महापौर के नाम से 3.5 % कमीशन लिया जाता है। मतलब हर साल 28 करोड़ याने 9 साल में 200 करोड़ से अधिक का केवल कमीशन में राशि अर्जित किया गया है। पहले 5 साल मेयर पत्नी रही अब 4 साल से रबर स्टैंप माने जाने वाले राजकिशोर प्रसाद मेयर है। जो नाली से लेकर शौचालय तक के भूमिपूजन जयसिंह अग्रवाल से ही करवाते है ऐसे में कमीशन न देते होंगे ये कहना मुश्किल है।

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कोरबा – ये शायद पहला मौका होगा जब निवर्तमान राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल फूट-फूट कर भरी सभा में रोने लगे है। ये आंसू तब भी नहीं निकले होंगे जब पहली बार जयसिंह 1998 में कटघोरा विधानसभा सीट से हारे थे। आज शुक्रवार को जयसिंह अग्रवाल अपनी हार की समीक्षा करने अपने प्राइवेट लिमिटेड कंपनी याने कांग्रेसियों को बुलाया था। बैठक में वो कुछ बोलते इससे पहले ही उनके आंख से आंसुओं की धार रुकने का नाम नहीं ले रही थी, अपने नेता को यूं रोता देख लोग नारे लगाने लगे आप संघर्ष करो हम आपके साथ है। अपनी हार की समीक्षा करते जयसिंह ने अपनी हार का जिम्मेदार तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत प्रशासनिक अधिकारियों को बताया है। इस दौरान जयसिंह अग्रवाल की जमकर तिलमिलाहट सामने आई है। जिस जयसिंह अग्रवाल पर भ्रष्टाचार समेत जमीन कब्जा का प्रमाणित आरोप लगा हो वो करारी हार के बाद अब अधिकारियों को भ्रष्ट बता रहे है। वैसे तो भूपेश सरकार के 13 में से 9 मंत्री चुनाव हारे है लेकिन जितने बड़े अंतर लगभग 26 हजार वोटों से जयसिंह अग्रवाल चुनाव हारे है उतने बड़े अंतर से कांग्रेस का कोई मंत्री चुनाव नहीं हारा है। बैठक में सीएम भूपेश बघेल पर आरोप लगाते कहा कि सुनियोजित षड्यंत्र के तहत अधिकारियों को कोरबा में काम रोकने के लिए भेजा गया। गलत काम करवाए गए, जिससे कांग्रेस पार्टी यहां डैमेज हुई। न सिर्फ कोरबा में बल्कि  पूरे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को करारी हार का मुंह देखना पड़ा। जितने भी अधिकारी यहां भेजे गए, गए एसपी अभिषेक मीणा, भोजराम पटेल, उदय किरण से लेकर कलेक्टर रानू साहू और संजीव झा ने माहौल खराब किया। सरकार के विरुद्ध एंटी इनकंबेंसी पैदा की। षड्यंत्र के तहत अपराध भी कराए गए और उन सब का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा। जबकि चर्चा तो ये है कि जयसिंह अग्रवाल ईडी के लिए मुखबिरी का काम करते है। खुद जयसिंह अग्रवाल ने एक बार ये कहा था ईडी कोरबा में छापामार कारवाई के दौरान उनके बारे में जानकारी जुटा रही थी लेकिन उसके बाद भी उन पर कोई कारवाई का न होना ये रिश्ता क्या कहलाता है।

भूपेश बघेल को बताया हार की मुख्य वजह लेकिन खुद के कारनामे बताना भूल गए

अपने प्रेस विज्ञप्ति में जयसिंह अग्रवाल ने सीधे-सीधे प्रदेश के मुखिया को हार की असली वजह करार दिया है। जयसिंह ने कहा कि जिसके नेतृत्व में चुनाव लड़ा गया। जिन्होंने पांच साल सरकार की अगुवाई की उनकी गलत नीतियों और तानाशाही रवैया ही हार का असली कारण है। खासतौर पर कोरबा जिले में चुन चुनकर ऐसे अधिकारियों को भेजा गया। जो भ्रष्टाचार में लिप्त रहे। चलते हुए विकास कार्य को बीच में रोक दिया गया। ऐसे कार्य किये गए, जिससे कांग्रेस की छवि खराब हुई। जिले में कांग्रेस डैमेज हुई। कार्यकर्ताओं के काम नहीं हुए। चारों ओर नाराजगी फैल गई। जिसका परिणाम यह रहा की पूरे राज्य में ही सत्ता परिवर्तित हो गई और बीजेपी कोई बड़ा जनादेश मिला। दरअसल हकीकत तो ये है कि जयसिंह अग्रवाल के भ्रष्ट आचरण के कारण भूपेश बघेल ने कोरबा आना ही छोड़ रखा था। इसका मुख्य कारण जयसिंह अग्रवाल का अहंकार, भ्रष्टाचार में लिप्त होना, जनता और अधिकारियों से दुर्व्यवहार, अवैध संपत्ति, अमानक धन संग्रह और ज़मीन घोटाला था। जिसकी जागरूक लोगो ने मय प्रमाण सरकार के पास शिकायत कर रखी है बावजूद पार्टी की छवि ख़राब न हो सिर्फ इसलिए ही कारवाई नहीं हुई और अंततः जयसिंह अग्रवाल सबसे अधिक वोटों से हारने वाले मंत्रियों की सूची में अव्वल नंबर में रहे।

आरोप – सुनियोजित षड्यंत्र के तहत कोरबा के विकास कार्यों को रोका गया,

सच जो विकास कार्य कराए गए वहां खुद ठेका लेते भ्रष्टाचार किया गया

कोरबा विधानसभा की हार पर चर्चा करते हुए जयसिंह ने कहा कि कोरबा विधानसभा में मैंने कई काम कराया। जो काम नहीं हुए, उसके लिए सार्वजनिक उपक्रमों से सहायता ली। एसईसीएल क्षेत्र 199 करोड़ रुपये सैंक्शन कारण इसके बाद एनटीपीसी से करोड़ों का फंड विकास करने के लिए फंक्शन कराया है लेकिन कलेक्टर ने इस फंड को रोक दिया काम नहीं होने दिया। ऐसे अधिकारियों को चुन- चुनकर यहां भेजा गया जिन्होंने काम में व्यवधान उत्पन्न किय।  चलते हुए काम को बीच में रोक दिया गया। जिससे लोगों में नाराजगी फैल गई। कार्यकर्ताओं के काम भी नहीं हो रहे थे। सुनियोजित षड्यंत्र के तहत अधिकारियों को कोरबा में काम रोकने के लिए भेजा गया। गलत काम करवाए गए, जिससे कांग्रेस पार्टी यहां डैमेज हुई। न सिर्फ कोरबा में बल्कि  पूरे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को करारी हार का मुंह देखना पड़ा। जितने भी अधिकारी यहां भेजे गए, गए एसपी अभिषेक मीणा, भोजराम पटेल, उदय किरण से लेकर कलेक्टर रानू साहू और संजीव झा ने माहौल खराब किया। सरकार के विरुद्ध एंटी इनकंबेंसी पैदा की। षड्यंत्र के तहत अपराध भी कराए गए और उन सब का खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा।

सच – एसईसीएल से स्वीकृत 199 करोड़ हो सर्वमंगला से इमली छापर तक सड़क निर्माण के लिए दी गई थी उसका ठेका खुद लेकर अपने ही बेटों की कंपनी से गुणवक्ताहीन सड़क का निर्माण कराया जिसमें न जाने कितने ही लोगो ने अपनों को खोया साथ ही दुर्घटना होने वालों की गिनती नहीं है। राखड़ परिवहन का ठेका लेकर जहां तहां राख फेंक पूरे शहर को प्रदूषित किया। राजस्व मंत्री रहते आदिवासियों समेत सैकड़ों एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जा के आरोप लगे है। मंत्री बनते ही इतने अमीर बन गए की छत्तीसगढ़ का सबसे महंगा महलनुमा घर तैयार करवा रहे है।

महिलाओं के लिए घोषणा करने में हम हुए लेट, लेकिन साड़ियों की बात नहीं कही

जयसिंह  के यह भी कहा कि महिलाओं को ₹1000 प्रतिमाह देने के लिए बीजेपी ने इस योजना को अपने घोषणा पत्र में शामिल किया।  घोषणा पत्र तीन नवंबर को जारी हुआ। हमारा घोषणा पत्र 5 नवंबर को जारी किया गया। हमारी घोषणा मुख्यमंत्री ने दिवाली के समय की। खबर लोगों तक पहुंच नहीं पाई। इसमें भी हम लेट हो गए। बीजेपी ने जो फार्म भरवारा उसकी विश्वास भले ही ना रही हो। लेकिन लोग कहीं ना कहीं उससे प्रभावित हुए। माताओ बहनों ने उस पर विश्वास किया। जब किया ठीक उसी तरह के घोषणा है जैसे कि प्रधानमंत्री ने कहा था लोगों का खाता में 15-15 लाख रुपए आएंगे। सच तो ये है कि महिलाओ का अपमान करने खुद सस्ती साड़ियों का वितरण करवाया जिससे महिलाएं सबसे ज्यादा कोरबा विधानसभा में नाराज़ हुई। समाज में बटवारा भी महिलाओ की नाराज़गी की बड़ी वजह रही।

योजनाएं सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र में केंद्रित, इसलिए शहरी सीट हारे, निगम में 9 साल से चल रही कमीशनखोरी के बारे में कुछ नहीं कहा

आगे जयसिंह ने कहा कि प्रदेश भर के शहरी क्षेत्र में हम बुरी तरह से पिछड़ गए। सरकार ने किसानों पर ध्यान दिया, बेशक उनके काम भी हुए। लेकिन ऐसा लगता है कि, हमारे मुखिया को कहीं ना कहीं यह विश्वास था कि ग्रामीण क्षेत्र की सारी सीट जीत लेंगे। शहरी क्षेत्र की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ेगी। लेकिन यह भी गलत साबित हुआ। शहरों में विकास हुआ, लेकिन सारी सिम भाजपा को मिल गई शहरी क्षेत्र की सारी सीटों पर कांग्रेस को हार मिली। सच तो ये है कि छत्तीसगढ़ के सबसे अमीर नगर निगम के सत्ता की चाभी 9 साल से अपने पास रखे हुए है। यहां का सालाना बजट 800 करोड़ का है ठेकदारों की बातों पर यकीन करें तो हर काम में महापौर के नाम से 3.5 % कमीशन लिया जाता है। मतलब हर साल 28 करोड़ याने 9 साल में 200 करोड़ से अधिक का केवल कमीशन में राशि अर्जित किया गया है। पहले 5 साल मेयर पत्नी रही अब 4 साल से रबर स्टैंप माने जाने वाले राजकिशोर प्रसाद मेयर है। जो नाली से लेकर शौचालय तक के भूमिपूजन जयसिंह अग्रवाल से ही करवाते है ऐसे में कमीशन न देते होंगे ये कहना मुश्किल है।

खैर सबसे बड़ा सच तो ये है कि जयसिंह अग्रवाल चुनाव हार गए है और अब वो कितने भी आरोप लगाए उनका सच सबके सामने है इसलिए दिल को बड़ा कर उनको अपनी हार स्वीकार कर लेना चाहिए कि उनकी हार की वजह वो खुद है अगर वो आने वाले 5 साल में अपने को नहीं सुधारे तो फिर यही हश्र होना तय है।

 

ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़

 

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