93 लाख तेंदूपत्ता घोटाले में FIR दर्ज, जांच की आंच में चर्चित ठेकेदार सुधीर मानेक समेत कई नाम: ग्रामीणों ने उठाए वन विभाग और प्रशासन पर गंभीर सवाल

93 लाख तेंदूपत्ता घोटाले में FIR दर्ज, जांच की आंच में कई नाम: ग्रामीणों ने उठाए वन विभाग और प्रशासन पर गंभीर सवाल
राजनांदगांव/बीजापुर/मोहला-मानपुर, 22 जून 2025: छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्रों में तेंदूपत्ता व्यापार से जुड़ा एक बड़ा वित्तीय घोटाला अब औपचारिक जांच के दायरे में है। ठेकेदार सुधीर मानेक और वन विभाग से जुड़े कई अधिकारियों पर संगठित अनियमितताओं का आरोप है, जिनमें तेंदूपत्ता की हेराफेरी, भुगतान में गड़बड़ी और प्रशासनिक लापरवाही शामिल है।
राजनांदगांव कोतवाली थाना में दर्ज हुई एफआईआर (क्रमांक 0305, दिनांक 19 जून 2025) इस घोटाले की पहली विधिसम्मत पुष्टि है। प्राथमिकी में ठेकेदार सुधीर मानेक सहित 10 लोगों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023 की धारा 316(2), 316(5) और 61(2) के तहत आपराधिक विश्वासघात और धोखाधड़ी के आरोप दर्ज हैं। यह एफआईआर मुख्य गोदाम प्रभारी श्रीमती प्रमिला जुरेशिया द्वारा दर्ज कराई गई, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि 26 मई 2022 से 27 मार्च 2025 के बीच गुरुकृपा गोदाम, राजनांदगांव में रखे गए तेंदूपत्ते के 7348 मानक बोरे में से 2669 बोरे गायब पाए गए। इससे विभाग को 93 लाख रुपये से अधिक की वित्तीय क्षति हुई है।
प्राथमिक तथ्य और FIR के आधार
- आरोपी: सुधीर मानेक (ठेकेदार) सहित 9 अन्य गोदाम प्रभारी और श्रमिक
- स्थान: गुरुकृपा गोदाम, राजनांदगांव
- आरोप: उच्च गुणवत्ता के तेंदूपत्ते को निकालकर निम्न गुणवत्ता/कचरा सामग्री भरना
- नुकसान: अनुमानित 93,34,487 रुपये, संभावित वास्तविक नुकसान 1.95 करोड़ रुपये से अधिक
यह एफआईआर वर्तमान में जांच का आधार बनी हुई है और राजनांदगांव पुलिस आरोपितों की गिरफ्तारी के प्रयास में है। हालांकि, अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। थाना प्रभारी रामेंद्र सिंह का दावा है उनके हाथ जल्द ही आरोपियों के गिरेबान पर होंगे।
बीजापुर वनोपज यूनियन की जांच रिपोर्ट : विस्तृत आरोप
एफआईआर से पहले बीजापुर जिला वनोपज यूनियन द्वारा दिनांक 22 अगस्त 2023 को जारी एक जांच प्रतिवेदन में ठेकेदार मानेक पर कई गंभीर आरोप लगाए गए थे।
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रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:
- भैरमगढ़ अभ्यारण्य क्षेत्र से 1476 मानक बोरे अवैध रूप से संग्रहित
- आठ गांवों से बिना अनुमति तेंदूपत्ता खरीदी: जारामोगिया, टिण्डोडी, दारमेर, बिरियाभूमि, डालेर, इदेर, हिंगूम, आदवाड़ा
- ग्रामीणों को पारिश्रमिक का भुगतान नहीं किया गया
- मानेक द्वारा दिए गए चेक बाउंस हुए
सात गांवों के लिए बकाया भुगतान:
- संग्रहण पारिश्रमिक: 44.79 लाख रुपये
- परिवहन व्यय: 6.66 लाख रुपये
- अन्य व्यय (उलटाई-पलटाई आदि): 1.59 लाख रुपये
ग्रामीणों और उनके प्रतिनिधियों ने बयान में बताया कि मानेक ने गांवों में बैठकें लेकर वाजिब पारिश्रमिक का वादा किया, और स्थानीय मुंशी नियुक्त किए। बाद में सभी भुगतान अटक गए।
आदिवासी कर्मचारियों पर नक्सली लेवी का आरोप: विरोधाभासी आरोप
स्थानीय सूत्रों और सामाजिक संगठनों के अनुसार, मानेक ने अपने ही तीन कर्मचारियों—रामलाल कर्मा, सोना राम फरसा और विजय जुर्री—को नक्सली लेवी के झूठे आरोप में फंसाया। इन पर मड़नवाड़ा थाना में एक अन्य एफआईआर (क्रमांक 03/241/2024) दर्ज है और वे पिछले एक वर्ष से अधिक समय से न्यायिक हिरासत में हैं।
इन कर्मचारियों के परिवारों का दावा है कि ये लोग केवल मजदूरी पर आधारित कार्य कर रहे थे और उन्हें बलि का बकरा बनाया गया। इस प्रकरण की स्वतंत्र जांच की मांग लगातार हो रही है।
राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप : मामला और उलझा
कुछ स्थानीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाए हैं कि पूर्व मंत्री महेश गागड़ा और उनके रिश्तेदारों ने ठेकेदार मानेक से अवैध रूप से 91 लाख रुपये की उगाही की।
इसी प्रकार, कांग्रेस नेता सुरजू टेकाम के खिलाफ कार्रवाई को लेकर भी आरोप लगे कि उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध के तहत झूठे नक्सली मामले में फंसाया गया। आरोप है कि विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान इस केस का इस्तेमाल सत्ता संतुलन के लिए किया गया।
हालांकि, इन आरोपों की स्वतंत्र पुष्टि अभी तक नहीं हुई है और संबंधित पक्षों की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया भी लंबित है।
प्रशासन और विभाग की भूमिका पर सवाल
वन विभाग के अधिकारियों की भूमिका भी इस मामले में संदिग्ध बताई जा रही है। जांच प्रतिवेदन में भैरमगढ़ के जोनल अधिकारी, पोषक अधिकारी और फड़ प्रबंधकों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट में अनुशंसा की गई थी कि इन पर विभागीय कार्रवाई की जाए।
साथ ही, मानेक द्वारा शासन को ठेके की शर्तों के अनुसार मूल्य जमा न कर, गोदाम से माल गायब कर देना, और कथित रूप से माल को कोलकाता भेजकर निजी लाभ लेना भी गंभीर जांच का विषय बना हुआ है।
सामाजिक संगठनों, आदिवासी समाज और पत्रकार संगठनों की ओर से निम्नलिखित मांगें उठाई गई हैं:
- CBI द्वारा स्वतंत्र जांच
- सभी आरोपितों की गिरफ्तारी
- निर्दोष कर्मचारियों की रिहाई
- सभी ग्रामीणों को तत्काल बकाया भुगतान
तेंदूपत्ता, जो छत्तीसगढ़ के लाखों आदिवासियों के जीवन का आर्थिक आधार है, उसमें हुआ यह घोटाला शासन, प्रशासन और न्याय व्यवस्था तीनों के लिए एक गंभीर चुनौती बनकर सामने आया है।
FIR दर्ज होने के बावजूद अब तक गिरफ्तारी नहीं होना, और कई स्तरों पर राजनीतिक और प्रशासनिक गठजोड़ के आरोप इस पूरे मामले को और भी पेचीदा बना देते हैं।
ग्राम यात्रा इस मामले की हर स्तर पर निगरानी करता रहेगा और सभी पक्षों से न्यायसंगत, निष्पक्ष और संवेदनशील कार्रवाई की अपेक्षा करता है।
