राज्यसभा में पेश हुआ सवर्ण आरक्षण बिल, सत्र बढ़ाने पर कांग्रेस ने सरकार पर उठाए सवाल
शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में आर्थिक आधार पर आरक्षण से जुड़ा
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र के आखिरी दिन राज्यसभा में आर्थिक आधार पर आरक्षण से जुड़ा 124वां संविधान संशोधन बिल पेश किया। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गेहलोत ने यह बिल पेश किया।
सामान्य वर्ग के लिए आरक्षण से संबंधित विधेयक पर हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित कर दी गई। राज्यसभा के एजेंडे में तीन तलाक बिल और नागरिकता संशोधन बिल भी शामिल है, जिसे लोकसभा में पहले पास कराया जा चुका है। राज्यसभा का सत्र बढ़ाने पर सरकार ने सवाल उठाए।
राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही सदन में टीएमसी सांसद सुखेन्दु शेखर राय ने राज्यसभा की कार्यवाही एक दिन बढ़ाने का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सदस्यों को पहले से इसकी जानकारी नहीं दी गई।
कांग्रेस ने सदन की कार्यवाही एक दिन के लिए बढ़ाए जाने के फैसले का विरोध किया। आनंद शर्मा ने कहा कि जिस तरह विपक्ष से चर्चा किए बिना सदन की कार्यवाही बढ़ाई गई वह सही नहीं है। अब स्थिति यह है कि सरकार और विपक्ष के बीच बातचीत नहीं हो रही है। ऐसे में अगर सदन सुचारू रूप से नहीं चलता तो इसके लिए सरकार ही जिम्मेदार होगी।
अरुण जेटली ने कहा कि देश को उम्मीद है कि सदन चलेगा। सामान्य कामकाजी दिनों के अनुसार, हमें काम करना चाहिए था, उनमें से अधिकांश दिनों में सदन स्थगित हो गया। विधानों पर विचार करने के लिए एक अतिरिक्त दिन रखा गया है।
राज्यसभा में संसदीय मामलों के मंत्री विजय गोयल ने कहा कि सरकार चाहती है कि सरकार सदन के कामकाज को एक दिन और बढ़ाना चाहती है क्योंकि इसमें महत्वपूर्ण विधेयक पारित होने है।
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