जयसिंह के खास सिपहसलार राजकिशोर प्रसाद की नई करतूत आई सामने, अब अधिकारियों पर ये करने बना रहे दबाव…
कोरबा। अपना काम बनता, भाड़ में जाए जनता! ताजा मसले पर गौर करें तो यही जुमला याद आता है। दरअसल आम तौर पर नगरसेठ की पाॅकिट में पाए जाने वाले नगर निगम के पाॅपेट मेयर राजकिशोर प्रसाद इन दिनों भीषड़ गर्मी में भी काफी एक्टिव नजर आ रहे हैं। आखिर क्यों न हो, बात ही कुछ ऐसी है। दरअसल पूर्व मंत्री समेत उनके खासदारों की 7 एकड से भी अधिक एक जमीन राताखार मार्ग पर है, जिससे कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार बदलने से पहले-पहले बड़ी हड़बड़ी में कब्जा कर राखड़ पाट दिया गया। फिर उसकी कीमत का ग्राफ बढ़ाने एमआईसी से पास करारकर राताखार चोक से नहर पुल के बीच एक सीसी रोड निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेजा गया। इस बीच आचार संहिता लागू हो गई और कांग्रेस की सरकार ही खिसक गई। तब बड़ी आसानी से निपट जाने वाला मामला सरकार बदलने से फंस गया। अब एक बार फिर मौजूदा कांग्रेसी महापौर को पूर्व मंत्री ने यह जिम्मेदारी सौंपी है, जिसे पूरा करने प्रसाद एड़ी-चोटी एक करने में जुट गए हैं।
इसके लिए लगातार अफसरों पर दबाव भी बनाया जा रहा है। बीते दिनों की बड़ी कार्यवाही को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है।
पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल और उनके करीबियों की जमीन राताखार मार्ग पर है। इस पर नगर निगम के महापौर नई सड़क स्वीकृत कर बनवाने की कोशिश में हैं। राताखार में पूर्व मंत्री अग्रवाल और उनके बेहद करीबी लोगों की जमीन है। ठीक विधानसभा चुनाव से पहले इस जमीन पर राखड़ पाटकर समतल किया गया था। उस जमीन की वैल्यू बढ़ाने के इरादे से नगर निगम के महापौर राजकिशोर को जिम्मेदारी दी गई है कि वे सरकारी खजाने से 800 मिटर सीसी रोड का निर्माण कराएं। प्लानिंग तो यही है कि वहां रोड बन जाए तो उस जमीन की कीमत दस गुना बढ़ जाए। बस यही मंतव्य लेकर महापौर ने जमीन आसमान एक कर उक्त कार्य को करने अपनी पूरी ऊर्जा लगा दी।
इस बीच विधानसभा चुनाव पास आने व आचार संहिता लागू होने के कारण मेयर इन काउंसिल में पास करा लिया गया उस रोड का प्रस्ताव लटक गया। छत्तीसगढ़ शासन से इस कार्य की अनुमति नगर निगम कोरबा को प्राप्त नहीं हो पाई। छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद और कोरबा विधानसभा में कांग्रेस की सूपड़ा साफ होने से भी कुछ दिन इस मिशन को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया और इसके बाद लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू हो गई। अब, जबकि आचार संहिता हट गई है और निकाय चुनाव ज्यादा दूर नहीं है, वक्त रहते पूर्व मंत्री द्वारा दी गई जिम्मेदारी पूरी करने बोतल से निकले जिन्न की तरह एक बार फिर नगरसेठ की पाॅकिट में रहने वाले पाॅपेट मेयर एक्टिव हो गए हैं। वे उस सड़क के लिए निगम अधिकारियों पर दबाव बनाते दिखाई दे रहे हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि उन्हें निगम के अधिकारियों की भी मौन स्वीकृति मिलती दिख रही है।
एमआईसी में अनुमोदन, 15वें वित्त से मांगे थे 330.95 लाख,,,
बता दें कि 5 फरवरी 2024 को संचालक, संचालनालय, नगरीय प्रशासन एवं विकास के नाम एक पत्र नगर निगम के आयुक्त ने लिखा था। इसमें 15 वें वित्त आयोग अंतर्गत पूर्व प्रेषित प्रस्ताव की यथावत स्वीकृति प्रदान करने की मांग की गई थी। इसमें 25 मई 2023 और 22 सितंबर 2023 को भेजे गए पत्र का संदर्भ देते हुए आग्रह किया गया था कि 15 वें वित्त आयोग अंतर्गत नगर पालिक निगम कोरबा की कार्ययोजना संदर्भित, जो विधानसभा चुनाव 2023 की आचार संहिता लागू होने के कारण स्वीकृत नहीं हुई थी, उस प्रस्ताव को यथावत स्वीकृति प्रदान की जाए। इसके पूर्व 25 मई 2023 को लिखे पत्र पर गौर करें तो 15 वें वित्त आयोग अंतर्गत 330.95 लाख का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था। तैयार की गई कार्य योजना पर 267.85 लाख का अनुमोद पर स्वीकृति प्रदान करने की मांग की गई थी। कुल 11 प्रकार के निर्माण कार्य पर अनुमोदन 15 सितंबर 2023 को हुई मेयर इन काउंसिल की बैठक में दी गई थी। इसी प्रस्ताव में टीपीनगर जोन अंतर्गत वार्ड क्रमांक-3 राताखार चोक से नहर पुल के बीच सीसी सड़क बनाने करीब दो करोड़ की स्वीकृति मांगी गई थी।
एक सवाल यह भी कि पूर्व मंत्री के खासमखास डिम्बक ने क्यों बुना एसीबी का जाल
गौर करने वाली यह बात भी होगी कि नगर निगम कोरबा के दो अधिकारी आर्थिक अपराध ब्यूरो के हत्थे चढ़े हैं, इसमें शिकायतकर्ता ठेकेदार पूर्व मंत्री का खासमखास डिम्बक माना जाता है।
अफसरों को ठेकेदार ने घूस देते हुए रंगे हाथों पकड़वाया है, जिसे लेकर भी अनेक सवाल उठ रहे हैं। दरअसल इसमें भी दर्री से कोरबा के बीच सड़क निर्माण के बिलिंग को लेकर कुछ एडजेस्ट मेट की कहानी लिखी गई थी, पर बात न बनी।
जिस ठेकेदार ने अधिकारियों को घूस मांगने संबंधी शिकायत दर्ज कराई थी, वह भी कांग्रेस के कद्दावर पूर्व मंत्री के बेहद करीबी कहें जाते हैं। अब लोग तो तरह-तरह की बात करते हैं, पर राताखार सड़क को लेकर कांग्रेस के महापौर जिस लगन से नगर निगम में दबाव बना रहे हैं, उससे तो हवा में यहा-वहां उड़ रही यह बात प्रमाणित हो रही हैं, कि अपने गुरु को खुश करने तथा उनके लोगों को आर्थिक लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से चेला उक्त सड़क के लिए बार-बार नगर निगम कोरबा से शासन को पत्राचार किया जा रहा है। अब देखना होगा कि छत्तीसगढ़ की सुशासन की सरकार में ये खेला को खुद अधिकारी संज्ञान में लाते हैं, या पैसों के खनक के आगे सब मौन होते हैं।
इस दौर को याद करो..कुछ तो लिहाज करो, जनता सब देख रही है
लगातार कोयला परिवहन से निश्चित रूप से शहर में ट्रैफिक का दबाव महसूस होता है। पर सिर्फ इस मार्ग पर सिर्फ 800 मीटर सड़क बनाकर समस्या के समाधान की कल्पना करना बेमानी है। अगर सड़क बनानी ही है तो सर्वमंगला से दर्री तक बनना चाहिए। स्मरणीय होगा कि करीब एक दशक पूर्व कोरबा के “” पूर्व सांसद स्व डॉ बंशीलाल महतो “के प्रयासों से तब के दबाव को कम करने कोरिडोर की परिकल्पना की गई थी। उस दौर में सीएसईबी चौक से स्टेडियम होते हुए सर्वमंगला और इस ओर इमलीडुग्गू फाटक को जोड़ते हुए सड़क बनी थी।
इसी तरह दीपका से पाली के लिए डूमरडीह तक चौड़ी सड़क का निर्माण किया गया ताकि भारी वाहनों से जद्दोजहद कर रहे राहगीरों को राहत मिल सके। ऐसी कल्याणकारी सोच के विपरीत निजी लाभ के लिए एक जनप्रतिनिधि का हाथ पांव मारना कहां तक सही है, जनता देख रही है।