September 6, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
BIG BREAKING : कोरबा में बड़ा हादसा, तालाब में डूबने से पुलिस कॉलोनी के तीन बच्चों की मौतधमतरी जिले में सौर सुजला योजना-किसानों की खुशहाली का नया सूरजपर्यटन एवं संस्कृति मंत्री राजेश अग्रवाल ने मंत्रालय में कामकाज संभालाबाढ़ प्रभावित मांदर में सहकारी बैंक की खास पहलऔद्योगिक कारखानों के निरीक्षण में अनियमितता पाए जाने पर नोटिस जारीकृषि विज्ञान केन्द्र बीजापुर के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों के खेतों में किया भ्रमणशिक्षक अपने विद्यार्थियों के लिए रोल मॉडल होता है: राज्यपाल डेकानि:शुल्क ऑनलाइन जेईई-नीट कोचिंग विद्यार्थियों के भविष्य के लिए एक बेहतरीन पहल : डॉ. रमन सिंहमुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने ईद मिलादुन्नबी पर दी शुभकामनाएँबांगो बांध के 6 गेट खुले, 43,988 क्यूसेक पानी हसदेव नदी में छोड़ा जा रहा
छत्तीसगढ़

8-9 जनवरी की मजदूर-किसान हड़ताल का समर्थन किया वाम दलों ने

देशव्यापी मजदूर-किसान हड़ताल

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

रायपुर। वामपंथी दलों ने मजदूर और किसान संगठनों द्वारा 8-9 जनवरी को आहूत ‘देशव्यापी मजदूर-किसान हड़ताल’ का पूर्ण समर्थन किया है। साथ ही हड़ताल की सफलता के लिए सक्रिय रूप से काम करने के लिए अपनी सभी ईकाईयों को निर्देशित किया है.

आज यहां जारी एक संयुक्त बयान में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव संजय पराते, भाकपा के सहायक सचिव एस एन कमलेश, भाकपा (माले-लिबरेशन) के सचिव बृजेन्द्र तिवारी तथा एसयूसीआई(सी) के विश्वजीत हरोड़े ने कहा है कि पिछले लोकसभा चुनावों में भाजपा ने बेरोजगारी दूर करने के लिए प्रति वर्ष 2 करोड़ लोगों को रोजगार देने, कृषि संकट को दूर करने के लिए स्वामीनाथन आयोग के सी-2 फार्मूले के अनुसार लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने तथा किसानों को कर्जमुक्त करने, महंगाई और पेट्रोल-डीजल-गैस की कीमतों को कम करने और मजदूरों को सम्मानजनक न्यूनतम मजदूरी-वेतन देने का वादा किया था।

लेकिन सत्ता में आने के बाद भाजपा की मोदी सरकार ने जिन नवउदारवादी नीतियों को लागू किया, उससे देश की अर्थव्यवस्था तबाह हो चुकी है और कथित पूरा विकास “रोजगारहीनता” के दौर से गुजर रहा है।

वाम दलों के नेताओं ने कहा है कि सभी विशेषज्ञ और सरकारी रिपोर्ट बता रहे हैं कि नोटबंदी और जीएसटी ने न केवल मजदूरों को बेरोजगार किया और किसानों को बर्बाद किया, बल्कि आर्थिक रूप से सक्षम व्यापारी वर्ग की भी कमर तोड़ दी है। जीडीपी में गिरावट आने से स्पष्ट है कि देश की पूरी अर्थव्यवस्था तबाह हो चुकी है। आज 2014 की तुलना में डेढ़ गुना ज्यादा किसान आत्महत्या कर रहे हैं

इसके बावजूद यह सरकार किसानों की क़र्ज़ माफ़ी का विरोध कर रही है, लेकिन दूसरी ओर पूंजीपतियों द्वारा बैंकों से हडपे गए धन को माफ़ कर रही है। आंगनबाड़ी, मध्यान्ह भोजन सहित तमाम योजनाकर्मी और असंगठित क्षेत्र के मजदूर सम्मानजनक वेतन व नियमितीकरण के लिए लड़ रहे हैं

लेकिन यह सरकार उन्हें 18000 रूपये न्यूनतम वेतन देने से इंकार कर रही है। मोदी सरकार की कार्पोरेटपरस्त नीतियों के कारण आम जनता के लिए अच्छे दिन का वादा ‘जुमला’ बनकर रह गया है।

वामपंथी पार्टियों ने कहा है कि देश में पहली बार मजदूर और किसान मिलकर दो दिन की हड़ताल करने जा रहे हैं। यह हड़ताल देश की बेहतरी के लिए आम जनता के सामूहिक संघर्ष का हिस्सा है. उन्होंने आम जनता से इस हड़ताल को सफल करने की अपील की है।

 

Related Articles

Check Also
Close