जयंती पर विशेष (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़)
आज 30 जून का दिन कोरबा जिले के इतिहास में खास महत्व रखता है। इसी दिन वर्ष 1940 में कोरबा जिले के सलीहाभाठा गांव में एक ऐसा लाल जन्मा था, जिसने न केवल चिकित्सा सेवा में मिसाल कायम की, बल्कि राजनीति को भी जनसेवा का सबसे सशक्त माध्यम बना दिया। वो नाम है, डॉ. बंशीलाल महतो — एक ऐसा नाम, जो कोरबा की मिट्टी में, यहां की हवाओं में और हर उस दिल में बसा है, जिसने कभी उनके सानिध्य का अनुभव किया। वे केवल नेता नहीं थे, वे एक युग पुरुष थे। डॉक्टर, समाजसेवी, कुशल राजनीतिज्ञ और छत्तीसगढ़ी संस्कृति के सच्चे प्रहरी। उनका जीवन ऐसा आदर्श है, जो आज भी हजारों लोगों के लिए प्रेरणा और मार्गदर्शन की मिसाल बना हुआ है।
चिकित्सक के रूप में मसीहा
राजनीति में कदम रखने से पहले डॉ. महतो एक समर्पित चिकित्सक थे। उनके लिए चिकित्सा पेशा नहीं, बल्कि मानवसेवा का माध्यम था। गरीब, असहाय और वंचितों के लिए वे किसी देवदूत से कम नहीं थे। कहते हैं — उनके दरवाजे पर कोई मरीज खाली नहीं लौटता था। मुफ़्त इलाज, दवा और आत्मीय व्यवहार उनके व्यक्तित्व का अनमोल हिस्सा था। सांसद बनने के बाद भी उनका यह सेवा भाव कभी नहीं बदला।
किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम में जाते, तो सबसे पहले वहां मौजूद लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण करने लगते। उनके इसी अपनत्व ने उन्हें जनता के बीच अमर बना दिया।
एक साधारण नेता, पर असाधारण इंसान
सादगी उनकी सबसे बड़ी पहचान थी। न कोई दिखावा, न राजनीतिक घमंड। गांव के चौपाल से लेकर संसद के गलियारों तक, वे हर जगह उतनी ही सहजता से दिखते। उनकी स्मरणशक्ति ऐसी अद्भुत थी कि एक बार किसी से मिले तो बरसों बाद भी नाम और गांव याद रखते। यह गुण उन्हें जनता के दिलों में हमेशा ज़िंदा रखता है।
छत्तीसगढ़ी भाषा के सजग प्रहरी
हिंदी और अंग्रेजी पर मजबूत पकड़ के बावजूद वे छत्तीसगढ़ी में बात करने को अपना सम्मान मानते थे। उनका कहना था — “मोर माटी के बानी हे, मोर गुन-धुन घलो एहीच म समाहित हे।” यही वजह रही कि वे छत्तीसगढ़ी अस्मिता और लोकसंस्कृति के सच्चे संरक्षक के रूप में याद किए जाते हैं।
रेल और परिवहन सुविधाओं में बड़ा योगदान
डॉ. बंशीलाल महतो ने कोरबा से रायपुर तक सीधी ट्रेन सेवा ‘हसदेव एक्सप्रेस’ की सौगात दिलवाई। उनके कार्यकाल में सड़कों और रेलवे कनेक्टिविटी का ऐसा विस्तार हुआ कि कोरबा का चेहरा ही बदल गया। उनके प्रयासों से कोरबा के दूर-दराज़ इलाकों तक संपर्क सुविधाएं बेहतर हुईं।
ईएसआईसी हॉस्पिटल : स्वास्थ्य सेवा का नया अध्याय
श्रमिक और मजदूर वर्ग के लिए ईएसआईसी अस्पताल की स्थापना कराना उनकी दूरदर्शिता का बड़ा उदाहरण है। यह उनकी सोच थी कि सस्ती, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण इलाज की सुविधा हर श्रमिक तक पहुंचे। आज भी कोरबा का यह अस्पताल उनके इसी सपने का साकार रूप है।
प्रशासनिक और जनसरोकारों के सजग प्रहरी
महतो जी जनता की हर छोटी-बड़ी समस्या को अपनी जिम्मेदारी मानते। वे हर शिकायत पर खुद पत्राचार करते, मंत्रियों-अधिकारियों से मिलते और समाधान की अंतिम सीढ़ी तक लड़ते। रेलवे, सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में उनके समय बड़े बदलाव हुए।
राजनीति को जनसेवा का माध्यम बनाया
डॉ. बंशीलाल महतो ने राजनीति को कभी निजी स्वार्थ का साधन नहीं बनाया। उनके लिए सत्ता जनसेवा का माध्यम थी। किसान, मजदूर, आदिवासी, विद्यार्थी — हर वर्ग के हक की लड़ाई में वे सबसे आगे रहे। कोरबा की विकास गाथा में उनका नाम आज भी बड़े गर्व से लिया जाता है।
लोकप्रियता का प्रतीक
उनकी सादगी, अपनापन और हर जरूरतमंद के लिए हर वक्त हाज़िर रहने का स्वभाव ही उन्हें जनता के दिलों में अमर कर गया। वे नेता से कहीं ज्यादा एक अपने जैसे इंसान थे। उनकी लोकप्रियता का आलम यह था कि कोरबा की हर गली, गांव, हाट-बाजार में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक उनका नाम सम्मान से लेते।
अमर विरासत और प्रेरणा का स्तंभ
डॉ. बंशीलाल महतो का जीवन यह सिखाता है कि सच्ची सेवा सत्ता के सिंहासन में नहीं, लोगों के दिलों में जगह बनाने में है। उनकी जयंती पर हम सबको उनके आदर्शों और समाजसेवा की भावना को आत्मसात करने का संकल्प लेना चाहिए।
वे चले गए, लेकिन उनके विचार, उनके संघर्ष और उनका सेवाभाव इस मिट्टी में हमेशा जीवित रहेगा।
“महतो जी केवल एक नेता नहीं थे, वे एक विचारधारा थे। ऐसी विचारधारा जो सत्ता के मोह से ऊपर उठकर सिर्फ और सिर्फ जनता के भले के लिए जिया करती है। उनकी जयंती पर हम सब उन्हें नमन करते हैं और उनके बताए रास्ते पर चलने का प्रण लेते हैं।”
ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ परिवार की ओर से डॉ. बंशीलाल महतो को सादर श्रद्धांजलि