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नगर सरकार को उच्च न्यायालय के आदेश की भी नहीं है परवाह ! फिर उसी विवादित भूमि पर बसाना चाहते है ट्रांसपोर्ट नगर जहां की भूमि में मेडिकल वेस्ट का है भंडार, भूमि के आसपास रहने वालों के सेहत पर भी पड़ेगा बुरा प्रभाव, क्या कहा है कोर्ट ने पढ़िए पूरा आदेश…

कोरबा। पहले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव की भागम-भाग के बीच सरकारी दफ्तर की किसी आलमारी में छुपा बैठा बरबसपुर विवाद का जिन्न मानों एक बार फिर बोतल से बाहर निकलता दिख रहा है। भू-अभिलेख शाखा ने नगर निगम समेत तमाम संबंधित विभागों को एक चिट्ठी जारी की है, जिसमें बुधवार को यानी आज बरबसपुर में सीमांकन कार्यवाही निपटाने मदद के निर्देश दिए गए हैं। साकेत से बाहर आई इस चिट्ठी से एक बार फिर पूरे शहर और खासकर राजनीतिक हल्कों में हलचल मच गई है। पूर्व में जब नई जगह की तलाश करते ट्रांसपोर्ट नगर को बरबसपुर शिफ्ट करने का विरोध हुआ, तो कारण यह सामने आया था कि एक तो वह स्थल नया टीपीनगर बनाने के लिए माकूल नहीं है। शहर से दबाव घटने की बजाय कई गुना बढ़ जाएगा। दूसरी गंभीर बात यह भी उजागर हुई कि पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने अपने नाते-रिश्तेदारों, चहेते करीबियों समेत खुद अपने निजी फायदे की मंशा से एक साजिश रची और भ्रष्टाचार से लिप्त पूर्व की कांग्रेस सरकार के पावर का प्रयोग कर ट्रांसपोर्टनगर को बरबसपुर ले जाने का भरसक प्रयास किया।

उच्च न्यायालय ने दिया है स्पष्ट निर्देश

इस मनमानी का खुलकर विरोध करते हुए ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़ न्यूज नेटवर्क के संपादक अब्दुल सुल्तान ने बिलासपुर उच्च न्यायालय में याचिका लगाई थी। मामले पर विचार करते हुए हाईकोर्ट ने भी प्रक्रिया को नियम विरुद्ध करार देते हुए फैसला सुनाया गया कि बरबसपुर में ट्रांसपोर्टनगर नहीं बन सकता। अब एक बार फिर वही मनमानी शुरु न हो जाए, इसकी सुगबुगाहट होती दिख रही है। पूर्व में इसका विरोध कर चुके अब्दुल सुल्तान ने चेतावनी दी है कि जो गलत है, वह गलत है और अब यह गलती जारी रखी जाती है, तो वे इस गलती का पुरजोर विरोध करेंगे और एक बार फिर हाईकोर्ट की शरण लेंगे। 

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भू-अभिलेख अधिकारी ने जारी किया सीमांकन आदेश

उल्लेखनीय है कि सीमांकन के संबंध में अधीक्षक भू-अभिलेख अमित कुमार झा द्वारा नगर पालिक निगम आयुक्त को भी सूचना जारी की गई है तथा उनके संबंधित अधिकारियों को दस्तावेज के साथ उपस्थित रहने कहा गया है। तत्संबंध में नगर निगम आयुक्त के द्वारा सीमांकन करने 8 सदस्यीय दल गठित कर उन्हें सीमांकन के समय उपस्थित रहकर सीमांकन की कार्रवाई पूर्ण कराने के निर्देश दिए गए हैं। गठित दल में कार्यपालन अभियंता एमएन सरकार, व्हीके शांडिल्य, राजस्व अधिकारी अनिरुद्ध प्रताप सिंह, प्रभारी सहायक स्वास्थ्य अधिकारी संजय तिवारी, प्रभारी सहायक अभियंता राहुल मिश्रा, उप अभियंता अश्वनी दास, राजस्व निरीक्षण सुनील गुप्ता व समयपाल सुशील तिवारी शामिल हैं।

रबसपुर में 72.91 एकड़ व 17.85 एकड़ भूमि का सीमांकन करने बनी टीम

बताया जा रहा है कि बरबसपुर की 72.91 एकड़ व 17.85 एकड़ भूमि का सीमांकन करने एक टीम गठित की गई है। नगर निगम की सीमा में आने वाले बरबसपुर में नया ट्रांसपोर्ट नगर बसाने के लिए चिन्हित की गई भूमि को लेकर उपजे पूर्व के विवाद के बीच सारा मामला ठंडे बस्ते में चला गया। जमीन को लेकर कई तरह के आरोप सामने आए, जिसके समाधान के लिए प्रशासनिक कार्रवाई शुरू की गई है। हांलाकि बुधवार 26 जून को बरबसपुर में होने वाला सीमांकन किसलिए हो रहा है, यह बात फिलहाल स्पष्ट रूप से सामने नहीं आई है। भू-अभिलेख शाखा के द्वारा ग्राम बरबसपुर तहसील कोरबा स्थित भूमि खसरा नंबर-359 में से रकबा 72.91 एकड़ एवं 17.85 एकड़ भूमि का सीमांकन व स्थल जांच 26 जून बुधवार को दोपहर 12 बजे किया जाना सुनिश्चित किया गया। इस संबंध में अधीक्षक भू-अभिलेख द्वारा संबंधित कर्मचारी, हलका पटवारी को दस्तावेजों के साथ मौके पर उपस्थित होने के लिए निर्देशित किया गया है। 

महापौर राजकिशोर प्रसाद के समय तमाम सरकारी नियमों के विरुद्ध किया था आवंटन

बता दें कि नए ट्रान्सपोर्ट नगर बरबसपुर के संबंध में हाईकोर्ट से पूर्व में डायरेक्शन मिल चुका है। ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़ न्यूज नेटवर्क के संपादक अब्दुल सुल्तान की याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई कर फैसला सुनाया और बरबसपुर में टीपीनगर शिफ्ट करने की प्रक्रिया को नियम विरुद्ध बताया था। नया ट्रांसपोर्ट नगर उस जगह नहीं बन सकता। नगर निगम कोरबा की महापौर राजकिशोर प्रसाद के समय में बरबसपुर की भूमि का आबंटन किया गया था। इस बीच कोरबा के पूर्व शहर विधायक व पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल आरोप पर लगा था कि उन्होंने अपने परिवार व बिजनेस पार्टनरांे को बेजा लाभ पहुंचाने बरबसपुर पर टीपीनगर बनाने दबाव बना रहे हैं। दरअसल बरबसपुर के उक्त प्रस्तावित स्थल पर 25 एकड़ से भी अधिक जमीन ऐसी है, जो परिवार व बिजनेस पार्टनरों की है। यही वजह रही जो वे बरबसपुर में टीपीनगर बसाने एड़ी चोटी एक कर कोशिशें करते रहे। यहां तक कि जब बरबसपुर के अतिरिक्त किसी अन्य जगह पर टीपीनगर के लिए भूमि तलाश करने की बात आई तो वे प्रशासनिक अफसरों से भी भिड़ गए। वर्तमान में यह सीमांकन किसलिए और किसके आवेदन पर कराया जा रहा है, यह स्पष्ट नहीं है पर अगर बरबसपुर में ही ट्रांसपोर्ट नगर के संबंध में पुनः प्रयास किया जा रहा है, तो यह मामला पुनः उलझता देखा जा सकता है। ऐसे में शासन-प्रशासन पर फिर से आरोप लगना तय माना जा सकता है। क्योंकि बरबसपुर में प्रस्तावित नया ट्रांसपोर्ट नगर बनना उक्त प्रस्तावित स्थल पर मुमकिन नहीं है। उक्त प्रस्तावित स्थल का चयन सभी सरकारी नियमों के विरुद्ध किया गया था।

अगर नए टीपीनगर के लिए सीमांकन, तो हाईकोर्ट में लगेगी अवमानना याचिका: अब्दुल सुल्तान

इस संबंध में जानकारी साझा करते हुए ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़ न्यूज नेटवर्क के संपादक अब्दुल सुल्तान ने बताया कि अगर नया ट्रांसपोर्ट नगर को बरबसपुर में ही बनाने के लिए यह सीमांकन कराया जा रहा या पुनः उस स्थान पर ही ट्रांसपोर्टनगर की प्रक्रिया फिर से शुरू की जा रही होगी तो, वे पुनः हाईकोर्ट की शरण में जाएंगे और अवमानना याचिका दायर करेंगे। उन्होंने कहा कि कोरबा जिले में विभिन्न कोयला खदानें, बालको, एनटीपीसी समेत अन्य बहुत से पावर प्लांट संचालित हैं। जिससे कोरबा में भारी वाहनों का अत्यधिक दबाव बना रहता है। नया ट्रांसपोर्ट नगर बनना अति आवश्यक है और अति शीघ्र बनाया जाना चाहिए। लेकिन बरबसपुर इसके लिए उपयुक्त स्थान नहीं है। 

एनजीटी के नाॅम्र्स की अनदेखी, यहीं पर बायो मेडिकल वेस्ट डंपिंग भी 

गौर करने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है कि बरबसपुर में ही कोरबा जिले का एक मात्र बायो मेडिकल वेस्ट निपटान करने डंपिंग यार्ड और उन्हें नष्ट करने संयंत्र भी स्थापित है। इसे लेकर नेशनल ग्रीन ट्रब्यूनल (एनजीटी) के नियम काफी सख्त हैं, जो कहता है कि जहां पर बायो मेडिकल वेस्ट का निपटान होता है, उस जगह से एक किलोमीटर के दायरे में आवासीय परिसर तो दूर खेती-किसानी और व्यावसायिक प्रयोजन के निर्माण भी प्रतिबंधित होते हैं। ऐसे में सवाल तो यह उठता है कि आखिर शासन से निर्धारित इन कड़े नियमों की अनदेखी कर बरबसपुर में उसी खसरे की जमीन पर प्रशासन द्वारा सीमांकन क्यों कराया जा रहा है।

इस जगह पर पहुंचने के लिए वाहनों को पूरा शहर घूमकर जाना पड़ेगा। जिससे वाहन मालिकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा। बरबसपुर शासकीय नियमों में भी उपयुक्त स्थान नहीं है, जिसे माननीय हाईकोर्ट ने भी स्वीकार किया है।

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