
सीवान (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। बिहार के सीवान जिले में एक स्कूल शिक्षक द्वारा बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) का काम करने से इनकार करने के बाद उत्पन्न नाटकीय घटनाक्रम ने सभी को चौंका दिया। जब पदाधिकारियों ने उनसे स्पष्टीकरण मांगा तो शिक्षक स्कूल की छत पर चढ़ गए और आत्महत्या की धमकी देने लगे। इस दौरान छात्रों और स्टाफ में अफरा-तफरी मच गई, और घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया।
क्या है पूरा मामला?
घटना तरवारा प्रखंड के काजी टोला स्थित उत्क्रमित उर्दू मध्य विद्यालय की है, जहां शिक्षक हारून रशीद को मतदान केंद्र संख्या 65 पर बीएलओ के रूप में तैनात किया गया था। लेकिन शनिवार तक उन्होंने पर्यवेक्षक के गणना प्रपत्र नहीं लिए, जिसके बाद पंचायत सचिव रत्नेश कुमार ने उनसे जवाब तलब किया।
इस पर शिक्षक ने न केवल काम करने से इनकार किया, बल्कि आक्रोश में आकर स्कूल की छत पर चढ़ गए और जान देने की धमकी देने लगे। करीब दो घंटे तक वह छत पर डटे रहे, जिससे स्कूल में मौजूद छात्र भयभीत हो गए, कई रोने लगे।
राजनीतिक माहौल और शिक्षक का विरोध
गौरतलब है कि चुनाव आयोग द्वारा मतदाता सूची के पुनर्निरीक्षण का कार्य बिहार में शुरू कराया गया है, जिसका राजनीतिक विरोध भी जोरों पर है। विपक्षी दलों ने इस पर 9 जुलाई को बिहार बंद और चक्का जाम का एलान किया है। शिक्षकों का एक वर्ग भी अचानक मिले इस कार्यभार के खिलाफ असंतोष और मानसिक दबाव की बात कर रहा है।
शिक्षा विभाग ने दिए जांच के आदेश, वेतन रोका गया
घटना के बाद बीएलओ पर्यवेक्षक ने इसकी शिकायत प्रखंड विकास पदाधिकारी से की है। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को वायरल वीडियो की जांच का निर्देश दिया गया है और 24 घंटे में रिपोर्ट देने को कहा गया है।
जब तक जांच पूरी नहीं होती, शिक्षक हारून रशीद का वेतन रोक दिया गया है। रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
क्या कहते हैं अधिकारी?
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “बीएलओ का काम संवैधानिक दायित्व है, इससे इनकार करना सेवा शर्तों का उल्लंघन है। लेकिन किसी भी सरकारी कर्मचारी को इस हद तक मानसिक तनाव न पहुंचे, यह भी प्रशासन की जिम्मेदारी है।”
यह घटना न सिर्फ प्रशासनिक असंतुलन की ओर इशारा करती है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि क्या चुनावी दायित्व सौंपने से पहले मानसिक, सामाजिक और मानवीय पहलुओं का आकलन किया जा रहा है?