कोरबा, कभी सूबे के पुराने मुखिया के शरण में रह काली कमाई करने वाले ब्लैक स्मिथ अब भाजपाइयों को साध चुका है यही वजह है कि सरकार आने के 3 महीने बाद भी किसी भाजपाई ने विरोध का झंडा बुलंद नहीं किया है। सैयां भए कोतवाल तो फिर डर काहे का यही वजह है जब सरकार को ही फिक्र नहीं तो फिर प्रशासन कैसे कार्रवाई का डंडा चला सकती है सबको जरूरत है तो फिर अपनी जरूरत पूरी करने की ! सूर्या इस मामले में काफी एक्सपर्ट है सत्ता के करीबी कैसे होना है इससे वो काफी वाकिफ है, इस बार उसकी मदद बालको के ही एक बड़े अधिकारी ने की है, वैसे भी बिना बालको के अधिकारी के मिले इस काम में बड़ी कमाई करना मुश्किल ही है। पहले आप इस काम और उसके खेल को समझिए बालको के राखड़ डेम भरने के कारण सरकार ने राख को लो लाइन एरिया में डालने की अनुमति दी है, मतलब ऐसे बड़े और अनुपयोगी गड्ढे जो जमीन उपजाऊ नहीं है उन गड्ढों को राख से भरकर उस पर मिट्टी को पाटना है इस लो लाइन एरिया की दूरी करीब 40 से 50 किलोमीटर तक होती है राजस्व अधिकारियों से लेकर पर्यावरण के अधिकारियों तक इसकी जानकारी देकर अनुमति ली जाती है परिवहन अधिकारियों को वाहनों के नियमानुसार चलाए जाने का शपथ दिया जाता है। कागजों पर काम भी वैसा ही होता है लेकिन असल हकीकत कुछ और है क्योंकि जैसा बताया गया है वैसा अगर सच में कर दिया जायेगा तो फिर बचत कैसे होगी क्योंकि भाड़ा दूरी पर तय होता है और अगर सही दूरी तय कर लिया जाए तो फिर सूर्या कमाएगा कैसे ? यहीं से शुरू होता है खेला न तो राख को तिरपाल से ढकने में समय बर्बाद किया जाता है, न ही तय दूरी पूरी की जाती है 4 से 5 किलोमीटर दायरे में जहां जगह दिखी वहां गाडियां खुले में अनलोड कर दी जाती है फिर यही राख हवा के जरिए उड़कर फिज़ा में जहर घोलते हुए लोगो के घरों तक पहुंच जाती है और उसके बाद शुरू होता है मौत का खेल ! जिसकी फिक्र किसी को नहीं है ज्यादा ट्रिप लेने के फेर में रफ्तार पर भी लगाम नहीं रहती है 40 हजार किलो राखड़ लेकर निकली गाड़ी किसी को भी अपनी चपेट में लेने को तैयार रहती है अगर जान बचाना है तो इनके रास्ते से हट जाइए क्योंकि इनकी रफ्तार तो कम होने से रही। बालको के अधिकारी भी परिवहन ठेकेदार याने सूर्या सिंडीकेट से कभी नहीं पूछते की 100 किलोमीटर का सफर कैसे आधे घंटे में पूरा हो गया वैसे में संयंत्र के भीतर बालको सभी वाहनों में तो स्पीडो मीटर लगाया गया है गाड़ी चाहकर भी 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से अधिक नहीं चल सकती और प्लांट में गाड़ियों की स्पीड निर्धारित की है 10 से 20 किलोमीटर प्रति घंटे, ये नियम ठेका कंपनी के गाड़ियों पर भी लागू होता है। लेकिन राखड़ परिवहन की कोई गाड़ी नियंत्रित नहीं है ऐसा नहीं की बालको ऐसा कर नहीं सकता है कर सकता है पर उसे सिर्फ मतलब है अपने राख के जल्दी निष्पादन से फिर अधिकारियों को एक तय सुविधा भी तो मिल ही जाती है। सूर्या ने अब सभी कांग्रेसियों या कहें राखड़ परिवहन करने वाले कांग्रेसी ठेकेदारों का सिंडीकेट तैयार कर रखा है। इसमें मुख्य रूप से ब्लैक स्मिथ, आरकेटीसी, शांति इंजिकॉम और जेपी कंस्ट्रक्शन शामिल है इनके नीचे कइयों को फेहरिस्त है लेकिन ये मुख्य भूमिका में है। इनमें ब्लैक स्मिथ को भूपेश बघेल का करीबी बताया जाता है, आरकेटीसी के सर पर जयसिंह अग्रवाल का हाथ है, शांति इंजिकॉम जयसिंह के बेटों की कंपनी है, जेपी कंस्ट्रक्शन का हाथ नेता प्रतिपक्ष डॉ चरण दास महंत ने थाम रखा है। सोचिए ये काम कितना बड़ा होगा जिसमें सभी प्रमुख स्तंभ जुड़े हुए है। काम का बड़ा होना और उसकी कमाई कितना भुन्हो उससे आम जनमानस को कोई फर्क नहीं पड़ता है न तो उसे भ्रष्टाचार से फर्क पड़ता है फर्क पड़ रहा है तो भाजपा नेताओं की खामोशी से क्योंकि ये खामोशी लोगो की जान का दुश्मन बनी हुई है। जिला कलेक्टर ने भी कइयों बार कार्रवाई करने निर्देश दिए है लेकिन अगर कार्रवाई नहीं हो रही तो समझ जाइए कोई बड़ी बात जरूर है इसके पीछे, सूर्या की सीरीज जारी रहेगी अगली बार सूर्या के नए प्लान जिसमें उसके हाथ कोयले तक जाकर काले होने वाले है उसकी दास्तान बताएंगे बने रहिए ग्राम यात्रा न्यूज नेटवर्क के साथ…
नमस्कार
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