SDOP ने पंचायत कर्मियों को पीटा, भाजपा व पंचायत संघ ने घेरा थाना

बीजापुर (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। बीजापुर ज़िले में एक शर्मनाक घटना सामने आई है, जहां कुटरू एसडीओपी बृजकिशोर यादव पर पंचायत सचिव बाबूराम पुलसे और तकनीकी सहायक संतोष कुंजाम के साथ सड़क पर मारपीट और अभद्रता करने का गंभीर आरोप लगा है। मामूली सड़क साइड न देने के विवाद ने हिंसा का रूप ले लिया, जिसमें एसडीओपी ने अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ मिलकर दोनों पंचायतकर्मियों को बुरी तरह पीटा।
डैमेज कंट्रोल में जुटी पुलिस, एसडीओपी बचाव में
घटना सामने आने के बाद स्थानीय भाजपा नेताओं और पंचायत संघ ने भैरमगढ़ थाना पहुंचकर एसडीओपी और सुरक्षाकर्मियों पर FIR दर्ज करने की मांग की। लेकिन पुलिस ने सिर्फ दो सुरक्षाकर्मियों को निलंबित कर एसडीओपी को क्लीन चिट दे दी। यही नहीं, पुलिस ने उल्टा बाइक सवार पंचायतकर्मियों को लापरवाही का दोषी ठहराया।
पीड़ितों का आरोप: गाली-गलौच, जान से मारने की धमकी
पीड़ित सचिव और सहायक के अनुसार वे पीएम आवास निरीक्षण के बाद लौट रहे थे, जब रास्ते में एसडीओपी ने उन्हें रोका और परिचय पूछने के बाद गाली-गलौच करते हुए डंडों और धमकियों के साथ पिटाई शुरू कर दी। उन्होंने बताया कि एसडीओपी ने बंदूक से जान से मारने की धमकी भी दी।
भाजपा नेताओं ने किया थाने का घेराव
घटना की जानकारी मिलते ही भाजपा और पंचायत प्रतिनिधियों ने थाने का घेराव कर दिया और देर रात तक एफआईआर व एसडीओपी की गिरफ्तारी की मांग करते रहे। थाने में मामला एसडीओपी से जुड़ा होने के कारण पुलिस पर कार्रवाई टालने के आरोप लगे।
पुलिस का बयान: वाहन ने चेक पोस्ट इग्नोर किया, विवाद एसडीओपी ने शांत कराया
बीजापुर पुलिस ने एक प्रेस नोट जारी कर कहा कि सड़क पर लापरवाही से वाहन चलाया गया, जो चेक पोस्ट पर नहीं रुका। एसडीओपी ने वाहन को रोका और पूछताछ के दौरान कहासुनी हुई, जिसे उन्होंने “शांतिपूर्वक नियंत्रित” किया। बयान में एसडीओपी की भूमिका को विवाद सुलझाने वाले अधिकारी के रूप में दिखाया गया है, जबकि पिटाई की बात को नजरअंदाज किया गया है।
सवाल उठ रहे हैं: क्या एसडीओपी को बचाया जा रहा है?
मारपीट में शामिल एसडीओपी पर कोई कार्रवाई नहीं होना पुलिस की पूर्वाग्रहपूर्ण कार्रवाई और दोहरे मापदंड को दर्शा रहा है। सवाल उठ रहा है कि क्या एसडीओपी को उनकी वर्दी और पद का फायदा दिया जा रहा है?
जांच की घोषणा, लेकिन भरोसा कम
पुलिस अधीक्षक ने घटना की विभागीय जांच शुरू करने की बात कही है और निलंबित पुलिसकर्मियों के खिलाफ आगे कार्रवाई की बात की है। हालांकि पंचायतकर्मियों और आम जनता को इस जांच पर ज्यादा भरोसा नहीं है।
बीजापुर में एक अधिकारी द्वारा सार्वजनिक रूप से की गई मारपीट ने पुलिस की कार्यप्रणाली और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब तक एसडीओपी पर भी समान रूप से कार्रवाई नहीं होती, यह मामला जनता की नजर में न्याय से ज्यादा बचाव की कवायद ही माना जाएगा।