वन भूमि के पट्टाधारी किसानों को 12 हजार तक अनुदान का प्रस्ताव : राज्यपाल
रायपुर। नई दिल्ली में शुक्रवार को प्रवासी भारतीय केंद्र में गर्वनर कॉन्फ्रेंस के लिए गठित उप समिति की बैठक झारखंड की राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू की अध्यक्षता में हुई। बैठक में जनजातियों के लिए संचालित योजनाओं और विभिन्न् संवैधानिक प्रावधानों में सुधार पर चर्चा हुई।
बैठक में छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके ने सुझाव दिया कि आंध्रप्रदेश, तेलांगाना एवं महाराष्ट्र की तर्ज पर 5वीं अनुसूची क्षेत्रों में स्थानीय व्यक्तियों को शासकीय सेवा के तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदों पर नौकरी देने का प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार सभी प्रदेशों के अनुसूचित क्षेत्रों में नियम बनाया जाए, ताकि वहां के स्थानीय जनजाति व्यक्तियों को नौकरी एवं रोजगार मिल सके।
राज्यपाल उइके ने कहा कि वनाधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत जो भूमि के पट्टे दिए गए हैं। उन पट्टाधारी जनजाति वर्ग के किसानों को प्रधानमंत्री किसान कल्याण योजना के अतंर्गत 10 एकड़ तक के कृषि धारक किसानों को छह हजार स्र्पये के स्थान पर 12 हजार स्र्पये का अनुदान दिया जाए।
अनुसूचित जनजाति वर्ग के पोस्ट मैट्रिक विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति के लिए निर्धारित आय की सीमा ढाई लाख स्र्पये है। उसे अन्य वर्गों के छात्रों के समान बढ़ाया जाए। नक्सल प्रभावित व्यक्तियों एवं आत्म समर्पण किये ग्रामीणों का सम्पूर्ण पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। इसके अंतर्गत उनके रोजगार, आवास, शिक्षा एवं अन्य मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए।
5वीं अनुसूची के क्षेत्रों में ग्राम पंचायतों को समाप्त कर नगर पंचायत बनाए गए हैं, जो कि नियमानुसार नहीं है। इस बैठक में केंद्रीय जनजाति कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा, ओडिशा के राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल, मेघालय के राज्यपाल तथागत राय, त्रिपुरा के राज्यपाल रमेश बैस, असम एवं मिजोरम के राज्यपाल जगदीश मुखी शामिल हुए। जनजातीय मामलों के सचिव दीपक खांडेकर और राज्यपाल के सचिव सोनमणि बोरा भी उपस्थित थे।
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