March 12, 2025 |

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छत्तीसगढ़

वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की योजना दस साल से निगम की फाइलों में चल रही

शहर का जलस्तर लगातार नीचे गिर रहा, बेतहाशा नलकूप खनन से बढ़ रही समस्या

Gram Yatra Chhattisgarh
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बिलासपुर। शहर सम्ोत आसपास का जलस्तर लगातार गिर रहा है। हर साल हो रही तकलीफ के बावजूद प्रशासनिक उदासीनता समझ से परे है। नगर निगम ने वर्षा जल संग्रहण के लिए 1० साल पहले हर घर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लागू करने की योजना बनाई थी लेकिन पूरा दशक बीत जाने के बावजूद अब तक इस दिशा में ठोस पहल नहीं हो सकी है। निगम प्रशासन इसे लेकर पूरी तरह उदासीन है। इसकी वजह से आलम ये है कि योजना महज फाइलों में ही दौड़ रही है। गिरते जलस्तर के मद्देनजर 1० साल पहले निगम प्रशासन की शहर में घर- घर वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम शुरू कराने की योजना थी लेकिन इसे आज तक गंभीरता से नहीं लिया गया। न तो लोगों को इस दिशा में जागरूक करने कोई जागरुकता अभियान चलाया गया और न ही सख्ती बरतते हुए कोई कार्रवाई की गई।
० आवेदन 25 सौ, लगे महज 2 सौ
निगम की वर्तमान स्थिति के मुताबिक अभी तक वाटर हार्वेस्टिंग योजना के तहत वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने 25 सौ लोगों के आवेदन मिले हैं। इसमें भी सिर्फ 2 सौ घरों में ही यह सुविधा शुरु हो सकी है। लोगों का आरोप है कि भवन नक्शा की मंजूरी देते हुए नगर निगम वाटर हार्वेस्टिंग का पैसा तो वसूल लेता है, लेकिन उसे बनाने में सालों लग जा रहे है। हैरानी की बात ये है कि शासकीय भवन भी अब तक इसका पालन नहीं कर पाए हैं।
० सोख्ता गढ्ढा है कारगर उपाय
ेघरों समेत ऐसी जगहों पर जहां पानी का बहाव या जमाव होता हो या वेस्ट वाटर का निकास होता हो वहां सोख्ता गढ्ढा बनाकर जल संरक्षण किया जा सकता है। इसकी मदद से हर रोज 5 सौ लीटर तक पानी को बचाया जा सकता है। हर घर में वेस्ट वाटर का निकास जिस जगह से होता है वहां इसे बनाकर साल में दो लाख लीटर तक पानी आसानी से बचाया जा सकता है।
० इन तरीकों से बनाएं सिस्टम
यह सिस्टम स्वयं घर के परिसर में बनाया जा सकता है। इसके लिए सोख्ता गड्ढा
की जरूरत होती है। उसे वहीं बनाएं जहां सबसे ज्यादा पानी वेस्ट होता हो। गड्ढे की लंबाई, चौड़ाई और गहराई बराबर रख्ों। गड्ढे के बीचों बीच 6 इंच व्यास का 15 फीट का बोर कराएं। अब बोर में नरम ईंटों की रोड़ी भरें। फिर ऊपर 5 इंच, 6 इंच साइज के ईंटों के टुकड़े भरें। अब 6 इंच की एक परत मोटे रेत की बना देते हैं। एक मिट्टी का घड़ा या प्लास्टिक का डिब्बा लेकर उस में सुराख कर देते हैं। उस में नारियल की जटाएं या सुतली जूट भर देते हैं। यह इसलिए कि पानी के साथ आने वाला ठोस पानी ऊपर ही रह जाए और कभी-कभी सफाई करने के लिए भी सुविधा हो जाएगी। इससे काफी हद तक पानी का संरक्षण किया जा सकता है। अब निकास नाली को इस घड़े या डिब्बे के साथ जोड़ देते है वेस्ट पानी इस में सबसे पहले आएगा। खाली बोरी से गड्ढे को ढक दें। बोरी के ऊपर मिट्टी डाल कर गड्ढे को ईंटों से बंद कर दें। इस तरह तैयार हो गया सोख्ता गड्ढा अब यह गड्ढा प्रतिदिन लगभग 5०० लीटर बेकार पानी को 5-6 सालों तक सोखता रहेगा।
० लोगों को आ रही दिक्कतें
15० वर्ग मीटर से अधिक जमीन पर मकान बनाने पर 55 रुपए प्रति वर्गमीटर की दर से रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए नगर निगम की भवन शाखा में शुल्क जमा करना होता है। मकान नक्शा पारित कराने वालों को यह राशि साल भर के अंदर सिस्टम लगाने पर लौटा दी जाती है, लेकिन निर्धारित अवधि में सिस्टम नहीं लगाने पर उसकी जमा राशि राजसात कर ली जाती है।
० इसलिए जरूरी है वाटर हार्वेस्टिंग
चार दशक पहले तक तिलक नगर, गोंड़पारा, सरकंडा, जूना बिलासपुर सहित अन्य क्षेत्रों में 1० से 15 फुट की गहराई में पानी उपलब्ध हो जाता था। अरपा नदी में एक दो फुट रेत हटाते ही पानी निकल जाता था, लेकिन अब भू जल स्तर 15० से 2०० फुट नीचे चला गया है। जानकारों के मुताबिक शहर में कांक्रीटीकरण का जाल बिछता जा रहा है। जिसके चलते बारिश का पानी जमीन के अंदर नहीं जा पा रहा है। वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्अम के जरिए जमीन के अंर पानी पहुंचाया जा सकता है। इससे जल स्तर में सुधार होता है।
० वर्जन…
शहर में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम पर काम चल रहा है। इसके विस्तार के लिए स्वयं मकान मालिकों व संस्थानों को जागरूक होना होगा, तभी यह सफल हो पाएगा।
गोपाल सिंह ठाकुर, भवन शाखा प्रभारी, नगर निगम।

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