June 27, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
राज्यपाल ने गोद ग्राम सोनपुरी के विकास कार्यों का लिया जायजामंत्रिमंडलीय उप समिति का फैसला : चावल जमा की समय-सीमा 5 जुलाई तक बढ़ीपद्मश्री डॉ. सुरेन्द्र दुबे के निधन पर सांसद बृजमोहन ने जताया गहरा शोकपद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे के निधन पर सीएम साय ने जताया शोकसुदूर अंचल में वन विभाग की ऐतिहासिक पहल, कूप कटाई और वन संसाधनों से ग्रामीणों को मिला नया सहाराकेंद्रीय राज्यमंत्री तोखन साहू ने मीसा बंदियों का किया सम्मानहितग्राही 10 प्रतिशत अंशदान की राशि जमा कर लाटरी में भाग लेवेशादी का झांसा देकर किया रेप,अपराधी गिरफ्तारझोल्टू गिरफ्तार, आजाद चौक पुलिस ने इस अपराध में पकड़ाअबूझमाड़ में दो महिला नक्सली ढेर
Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

कोरबा। शहर के अमरैय्यापारा क्षेत्र में आदिवासी स्वामित्व वाली भूमि पर कब्जे और प्लाटिंग का खेल एक बार फिर तेज हो गया है। हैरानी की बात ये है कि जिस जमीन पर 22 जून 2023 को कलेक्टर कोर्ट ने आदिवासी से गैर-आदिवासी अंतरण को अवैध मानते हुए भूमि मूल स्वामी को लौटाने का आदेश दिया था, वहां आज भी भू-माफिया कब्जा जमाए बैठे हैं।

हेमिंदर पाल सिंह भुल्लर नामक व्यक्ति ने खसरा नंबर 376 पर करीब 6.5 एकड़ आदिवासी भूमि पर अवैध कब्जा कर कांक्रीट सड़क और प्लाटिंग कर दी है। यही नहीं, उससे सटी दिनेश रामानी के नाम दर्ज खसरा नंबर 383 की जमीन पर भी कॉलोनाइजर एक्ट और नगर निगम एक्ट की धज्जियां उड़ाते हुए प्लाट बेचे जाने की तैयारी है।

इस पूरे खेल में राजस्व विभाग, नगर निगम और पुलिस प्रशासन की चुप्पी गहरी साजिश की तरफ इशारा कर रही है। क्योंकि 2023 में जब कलेक्टर कोर्ट ने धारा 170(ख) के तहत कार्रवाई के आदेश पारित किए थे, तब भी यह प्रमाणित हो चुका था कि आदिवासी जमीन गैर-आदिवासी के नाम पर फर्जी तरीके से दर्ज की गई। बावजूद इसके न जमीन का कब्जा हटाया गया, न नामांतरण शून्य हुआ और न ही दोषियों पर कोई कार्रवाई।

अब दो साल बाद फिर उसी जमीन पर प्लाट काटे जा रहे हैं और प्रशासन अनजान बना बैठा है।

बड़ा सवाल ये है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद भू-माफिया बेखौफ कैसे? क्या सत्ता-प्रशासन की सरपरस्ती में चल रहा है ये खेल?

स्थानीय लोगो का कहना है कि अगर यही हाल रहा तो आदिवासी हक की जमीनों की लूट इसी तरह जारी रहेगी और शासन-प्रशासन मूक दर्शक बना रहेगा।

मामला अब सिर्फ अवैध प्लाटिंग का नहीं, बल्कि कोर्ट के आदेश की सरेआम अवहेलना और आदिवासी अधिकारों के साथ खुला मजाक का बन चुका है।

आश्चर्य है कि कार्रवाई के बजाय जिम्मेदार विभाग इस पूरे प्रकरण पर पर्दा डालने में जुटे हैं।

अब देखना ये है कि क्या कलेक्टर और एसडीएम की नींद टूटेगी या फिर आदिवासी जमीन की ये लूट ऐसे ही बेरोकटोक चलती रहेगी।

अगले अंक में खोलेंगे सारे राज़ !

बने रहे ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़ न्युज नेटवर्क के साथ

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close